मडिकेरी में पहुंचते ही बारिश
ने हमारा स्वागत किया था। हमारे होटल वाले ने पूछा था तुम बारिश में मडिकेरी आया
है... मैंने कहा हां, मानसून को करीब से महसूस करने आया हूं। आखिर हम तो यहां
घूमने आएं तो बारिश से परेशान क्यों होना। 12 जून को यहां आया सावन झूम के तर्ज पर
बारिश हो रही है। हमारे पास नीले रंग का विंडचिटर है। मैंने बस स्टैंड के पास की
एक दुकान से उसी रंग का मैच करता हू पायजामा खरीद लिया। अब बिना छाता के बारिश से
बचने के लिए तैयारी हो गई। वैसे हमारे तीन दिन के मडिकेरी प्रवास में खूब बारिश
हुई।
रात में तो कभी कभी कभी इतनी तेज बादलों के गरजने की आवाज आती थी कि बार बार नींद टूट जाए। पर यहां मौला मेहरबान है। गरज बरस कर खूब पानी दे रहे हैं। कई बार तो मूसलाधार बारिश में दुकान में या कहीं बरामदे में ओट लेकर खड़ा होना पड़ा। पर इस मानसून में कुर्ग का सौंदर्य और निखर आया है। वैसे कुर्ग में हर साल जून से सितंबर-अक्तूबर तक खूब बारिश होती है। साल 2018 में दुखद ये रहा है कि सितंबर महीने में हुई कई दिनों तक लगातार हुई जोरदार बारिश ने कुर्ग को तबाह कर दिया।
रात में तो कभी कभी कभी इतनी तेज बादलों के गरजने की आवाज आती थी कि बार बार नींद टूट जाए। पर यहां मौला मेहरबान है। गरज बरस कर खूब पानी दे रहे हैं। कई बार तो मूसलाधार बारिश में दुकान में या कहीं बरामदे में ओट लेकर खड़ा होना पड़ा। पर इस मानसून में कुर्ग का सौंदर्य और निखर आया है। वैसे कुर्ग में हर साल जून से सितंबर-अक्तूबर तक खूब बारिश होती है। साल 2018 में दुखद ये रहा है कि सितंबर महीने में हुई कई दिनों तक लगातार हुई जोरदार बारिश ने कुर्ग को तबाह कर दिया।
मडिकेरी की सबसे लोकप्रिय
लोकेशन है राजा सीट। अपने होटल फोर्ट व्यू से राजा सीट का रास्ता पूछता हुआ पैदल
ही चल पड़ा हूं। हल्की हल्की बारिश के रिमझिम में आगे बढ़ रहा हूं। एक जगह साइन
बोर्ड देखकर पता चलता है कि कुर्ग में क्लब महिंद्रा का रिजार्ट भी है। मैं राजा
सीट पहुंच गया हूं। दोपहर मे ठंडा-ठंडा मौसम है। एक सुंदर सा पार्क और उसके कोने
में व्यू प्वाइंट। पार्क में प्रवेश के लिए 10 रुपये का टिकट है। राजा सीट इसलिए
कहते हैं कि कभी कोडागू का राजा यहीं से बैठकर नजारे देखता था। वह अपनी रानियों के
साथ सूरज को देखा करता था। सूरज की सुनहरी किरणें यहां से काफी मनभावन लगती हैं।
अब यह जगह हर आम और खास के लिए
खुली है। यहां पर हमारी मुलाकात पटना के डॉक्टर परिवार से हुई। हवा कुंआरी है।
मौसम जवां है। रंग बिरंगे लोग राजा सीट पर विभिन्न भाव भंगिमाओं में तस्वीरें
खिंचवा रहे हैं।
राजा सीट के पास पार्क में एक
खिलौना ट्रेन भी चलती है। इसका ट्रैक ज्यादा लंबा नहीं है। पर मुझे छोटी छोटी रेल
गाड़ियों से इतना प्रेम है कि इस ट्रेन पर बैठकर सफर करने का लोभ मैं छोड़ नहीं
सका। आधे किलोमीटर का यादगार सफर है। आसपास मे खाने पीने की भी कुछ दुकाने हैं। राजा
सीट घूमने के बाद पैदल ही चलता हुआ मडिकेरी मुख्य बाजार तक पहुंच गया।
हिंदू राजाओं ने बनवाई अपनी समाधि – (राजा टॉम्ब ) –
मडिकेरी शहर के बाहरी इलाके में राजा की समाधि टॉम्ब स्थित है। कोडागू के राजा
हिंदू थे, पर उन्होने अपनी समाधि बनवाई। यह अपने आप में अनूठी बात है क्योंकि देश
में ज्यादातर मकबरे मुस्लिम राजाओं के मिलते हैं।
ये समाधियां इंडो इस्लामिक
वास्तुकला का नमूना है। हरे भरे परिसर में तीन इमारते हैं। इन इमारतों में कोडागू
के राजा की समाधियां बनी हैं। भवन निर्माण की शैली इस्लामिक है। पर इसमें नदीं की
भी स्थापना की गई है। वहीं अंदर शिव की अराधना भी की जाती है। केंद्र में स्थित
बड़ी समाधि कुर्ग के राजा दोदावीरराजा राजेंद्र और उनकी महारानी महादेवीअम्मा की
है। दूसरी समाधि का निर्माण राजाचिक्कवीर राजेंद्र ने अपने पिता लिंगाराजेंद्र के
लिए 1820 में कराया था। तीसरी समाधि वीर राजेंद्र गुरू की है जो 1834 की बनी हुई
है। इसे स्थानीय लोग गादिगे भी कहते हैं।
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Write me – vidyut@daanapaani.net
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