
अब मेरी
मंजिल है कुशलनगर से कुर्ग क्षेत्र का विशाल बौद्ध मंदिर जिसे लोग गोल्डेन टेंपल कहते हैं। वहां जाने के लिए आटो
रिक्शा ले लिया है। शेयरिंग नहीं मिला तो 60 रुपये में आरक्षित रिक्शा लेना पड़ा।
कुशल नगर
शहर से मैसूर रोड पर एक किलोमीटर आगे बढ़ने के बाद कावेरी नदी का पुल पार कर
दाहिनी तरफ ग्रामीण अंचल में जा रहे रास्ते में तकरीबन 5 किलोमीटर चलने पर विशाल
बौद्ध मंदिर में पहुंचा जा सकता है। कुशल नगर शहर से मंदिर की दूरी 6 किलोमीटर है।
यह मंदिर अरलीकुमारी, बायलाकुप्पे ग्राम में पड़ता है। वास्तव में इसका
नाम नामद्रोलिंग मानेस्ट्री है। मंदिर सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।
नामद्रोलिंग
मानेस्ट्री दक्षिण भारत में तिब्बती बौद्ध लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां
कई हजार बौद्ध भिक्षु विशाल परिसर में रहते हैं। मंदिर परिसर में सुनहली मूर्तियों
और सुनहली पेंटिंग के कारण इसे गोल्डेन टेंपल के नाम से जाना जाने लगा है। इस
मंदिर की स्थापना बौद्ध धर्म गुरु पेमा नोरबु रिनपोछे द्वारा 1963 में की गई थी।
वह 1959 में तिब्बत से निर्वासित होकर भारत में आए थे।
कई एकड़ में
फैले इस गोल्डेन टेंपल में परिसर में कई मंदिर हैं। मुख्य मंदिर में तीन मूर्तियां
हैं। ये मूर्तियां गौतम बुद्ध, गुरु पद्मसंभव
और अमितायुस की हैं। ये तीनों मूर्तियों में गौतम बुद्ध की मूर्ति 60 फीट ऊंची
हैं। बाकी दोनों मूर्तियों की ऊंचाई 58 फीट है। इनका सौंदर्य देखते बनता है। मंदिर
परिसर में एक साथ कई हजार बौद्ध भिक्षु बैठकर प्रार्थना करते हैं। मंदिर का परिसर
अत्यंत हरा भरा है।
मैं जब इस विशाल बौद्ध मठ में पहुंचा हूं विशेष पूजा जारी है। हजारों बौद्ध भिझु एक सुर में साधना में लगे हैं। बाहर बैठे लोग उन्हें साधना करते हुए देख रहे हैं। एक अदभुत आधात्मिक माहौल का सृजन हो रहा है। आधे घंटे में पूजा खत्म हो गई फिर लोगों को मंदिर की विशाल मूर्तियों को देखने का मौका मिला।
3500 बौद्ध
भिक्षु निवास करते हैं -
इस मठ में कुल 3500 बौद्ध भिक्षु निवास करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु कुछ घंटे जरूर गुजारते हैं। मंदिर परिसर में एक कैंटीन हैं जहां आप तिब्बती व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। कैंटीन में बैठकर मैंने चाय पी। कैसी चाय तिब्बती चाय विद बटर। यह 20 रुपये की चाय नमकीन स्वाद की है।
इस मठ में कुल 3500 बौद्ध भिक्षु निवास करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु कुछ घंटे जरूर गुजारते हैं। मंदिर परिसर में एक कैंटीन हैं जहां आप तिब्बती व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। कैंटीन में बैठकर मैंने चाय पी। कैसी चाय तिब्बती चाय विद बटर। यह 20 रुपये की चाय नमकीन स्वाद की है।
नामद्रोलिंग
मानेस्ट्री में कुछ घंटे गुजारने के बाद मैं वापसी की राह पर पैदल ही चल पड़ा हूं।
ग्रामीण सड़क इतनी मनोरम है और रास्ता इतना हरा भरा है कि पैदल ही चलने की इच्छा
हुई। दोनो तरफ हरे भरे खेत। मैं कच्चा आम खाता हुआ पैदल सफर कर रहा हूं। रास्ते
में कुछ स्कूली बच्चे मिले। उनसे उनकी पढ़ाई के बारे में पूछताछ की। सबको हिंदी
आती है।
करीब एक घंटे में 5 किलोमीटर पैदल चलकर मैं कुशल नगर पहुंच गया। कुशल नगर में कावेरी नदी के पुल पर मां कावेरी का मंदिर बना है। यहां नदी पर दो पुल हैं। एक नया दूसरा पुराना। पुराने पुल से पैदल पार करने के बाद मैं कुछ देर कुशल नगर के बाजार की सैर करने के बाद बस लेकर मडिकेरी की तरफ चल पड़ता हूं।
- vidyutp@gmail.com
( BYLAKUPPE BUDDHIST GOLDEN TEMPLE, NAMADROLING
MONASTERY, KAVERI RIVER )
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