
मैसूर में साइकिल की सवारी –
पैडल विद प्राइड
मैसूर देश के उन चुनिंदा शहरों
में है जहां किराये पर साइकिल दिए जाने की मुहिम सफलतापूर्वक चल रही है। पूरे
मैसूर शहर में साइकिल किराये पर देने के लिए कई स्टैंड बनाए गए हैं। इसके लिए आपको एक
एप डाउनलोड करना पड़ता है। इसके बाद आपको 350 रुपये या अधिक की धनराशि रिचार्ज
करानी पड़ती है। जब भी आप साइकिल लेना चाहें तो स्टैंड में लॉक की गई साइकिलों को
मोबाइल एप के माध्यम से निकाल सकते हैं। किसी व्यक्ति से सहायता की कोई जरूरत
नहीं। जब तक जहां तक चाहें अपनी साइकिल से मैसूर शहर घूमते रहें। किराया सिर्फ 10
रुपये प्रति घंटा है।
हाईटेक इंतजाम : स्मार्ट कार्ड लगाएं और स्टैंड से साइकिल निकालें। जब साइकिल जमा करना हो तो किसी भी स्टैंड में जाकर साइकिल को जमाकर दें। साइकिल के अगले हिस्से में एक हुक लगा है जो जाकर स्टैंड में लॉक हो जाता है। जितनी देर साइकिल आपके पास रही उतनी राशि आपके खाते से कट जाएगी।
हाईटेक इंतजाम : स्मार्ट कार्ड लगाएं और स्टैंड से साइकिल निकालें। जब साइकिल जमा करना हो तो किसी भी स्टैंड में जाकर साइकिल को जमाकर दें। साइकिल के अगले हिस्से में एक हुक लगा है जो जाकर स्टैंड में लॉक हो जाता है। जितनी देर साइकिल आपके पास रही उतनी राशि आपके खाते से कट जाएगी।
मैसूर में कई लोग सुबह में
साइकिल चलाने के लिए भी साइकिल किराये पर लेकर शहर में घूमने निकल पड़ते हैं। पूरे
मैसूर शहर में 25 से ज्यादा साइकिल स्टैंड बनाए गए हैं। इसके अलावा आप चलते फिरते
स्टोर से भी साइकिल किराये पर ले सकते हैं।
साइकिल रेंट दिल्ली, जयपुर, पुणे जैसे शहरों में भी है। पर मैसूर के इंतजाम सबसे स्मार्ट हैं। भले ही दिल्ली में साइकिल रेंट को लेकर लोग उदासीन हों पर यहां लोग खूब साइकिल रेंट का लाभ भी उठा रहे हैं। स्कूली बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी यहां साइकिल लेकर दौड़ाते हुए नजर आ जाएंगे।
साइकिल रेंट दिल्ली, जयपुर, पुणे जैसे शहरों में भी है। पर मैसूर के इंतजाम सबसे स्मार्ट हैं। भले ही दिल्ली में साइकिल रेंट को लेकर लोग उदासीन हों पर यहां लोग खूब साइकिल रेंट का लाभ भी उठा रहे हैं। स्कूली बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी यहां साइकिल लेकर दौड़ाते हुए नजर आ जाएंगे।

घंटा घर और मैसूर फोर्ट - मैसूर के घंटाघर का निर्माण 1927 में कृष्णराज वाडियार के शासन काल की सिल्वर जुबली के मौके पर कराया गया था। इस घंटाघर की ऊंचाई 22.85 मीटर है। वाडियार का शासन काल 1902 से 1940 तक रहा। वे मैसूर के लोकप्रिय राजा थे।
राजा के सम्मान में घंटाघर का निर्माण मैसूर पैलेस के स्टाफ ने अपने वेतन से दान देकर करवाया था। इसकी छतरी राजपूताना स्टाइल में है। आगे छतरी के नीचे डाक्टर अंबेडकर की प्रतिमा भी लगी है। इसके आगे वाडियार सर्किल में चौराहे पर महाराजा की विशाल प्रतिमा लगी है।
राजा के सम्मान में घंटाघर का निर्माण मैसूर पैलेस के स्टाफ ने अपने वेतन से दान देकर करवाया था। इसकी छतरी राजपूताना स्टाइल में है। आगे छतरी के नीचे डाक्टर अंबेडकर की प्रतिमा भी लगी है। इसके आगे वाडियार सर्किल में चौराहे पर महाराजा की विशाल प्रतिमा लगी है।
हम किले के नार्थ गेट पर हैं। इसे जयराम बलराम गेट भी कहते हैं। अगर आप मैसूर का किला देखना चाहते हैं तो उसके लिए प्रवेश दक्षिणी द्वार से है। प्रवेश का समय सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे के बीच है। दक्षिणी द्वार पर ही टिकट काउंटर और पार्किंग का इंतजाम है। किले में शाम से 7 से 8 बजे के बीच लाइट एंड साउंड शो भी होता है। किले का प्रवेश टिकट वयस्कों के लिए 50 रुपये और लाइट एंड साउंड शो का भी टिकट 50 रुपये का है।
पर हमें उत्तरी गेट के बाहर सुबह के सुहाने मौसम में हजारों कबूतरों के बीच काफी आनंद आ रहा है। उत्तरी गेट पर श्रीकोट आंजनेय स्वामी का मंदिर है। यहां पर भक्त सुबह सुबह दर्शन के लिए पहुंचने लगे हैं। उत्तरी गेट पर ही दूसरा मंदिर विनायक स्वामी का है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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