तंजौर से चलकर तो एक बार फिर
त्रिची वापस लौट आया हूं। यहां रहने के लिए होटल पहले बुक कर रखा है। हालांकि हमारी वेबबुकिंग में होटल की लोकेशन बस स्टैंड के पास दिखाई गई
थी, पर यह होटल बस स्टैंड से कोई दो किलोमीटर दूर है। पर शुक्र है कि वहां तक जाने
के लिए शेयरिंग आटो और बस की सुविधा उपलब्ध है। मुझे थोड़ी पूछताछ के बाद होटल तक
जाने के लिए बस मिल गई।
Email- vidyut@daanapaani.net
होटल अमुथाम रेसिडेंसी डिंडिगुल
हाइवे पर है। कमरे काफी बड़े -बड़े और हवादार भी हैं। इसलिए बस स्टैंड के दूरी कोई
खास मायने नहीं रखती। होटल पहुंचा तो चेकइन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद भूख लगी
थी। अच्छी बात है कि होटल का अपना रेस्टोरेंट है जो खूब चलता है। दोपहर की थाली 85
रुपये की। खाना अनलिमिटेड। खाना अच्छा भी है। पर यह रेस्टोरेंट रात को बंद रहता
है। रात में आसपास में दूसरे विकल्प मौजूद हैं।
कई दिन सफर के दौरान गंदे हुए
कुछ कपड़े भी धो डाले। यहां गर्मी है तो जल्दी सूख जाएंगे। इसके दोपहर में थोड़ी
देर आराम किया। शाम को 4 बजे त्रिची शहर घूमने निकला। हमारे होटल वाले ने सलाह दी
कि पहले आप रॉक फोर्ट टेंपल जाएं उसके बाद श्रीरंगम मंदिर। उनकी सलाह ठीक थी। त्रिची
शहर के यही दो बड़े आकर्षण हैं।
तिरूचिरापल्ली नाम संस्कृत के
त्रिशिरापुरम नाम से बना है। यह नाम त्रिशिरा अर्थात तीन सिर और पल्ली या पुरम्
अर्थात शहर से मिलकर बना है। ऐसा माना जाता है कि त्रिशिरा नाम के तीन सिर वाले
राक्षस ने भगवान शिव की आराधना इसी शहर के नजदीक की थी। कभी चोल साम्राज्य का एक
महत्वपूर्ण हिस्सा रहा तिरूचिरापल्ली शहर तिरूचिरापल्ली जिले का मुख्यालय है। नाम
लंबा है तो तमिलनाडु के लोग इसे त्रिची के नाम से भी पुकारते हैं।
यह आबादी में चेन्नई के बाद
तमिलनाडु का दूसरा बड़ा शहर है। राजधानी चेन्नई से त्रिची की दूरी 335 किलोमीटर
है। शहर की आबादी 11 लाख से ज्यादा हो चुकी है। कावेरी नदी शहर के बीचों बीच से
गुजरती है। यह शहर विशेष रूप से श्री रंगानाथस्वामी मंदिर,
श्री जम्बूकेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है।
तिरूचिरापल्ली में कुछ समय तक
मुगल शासकों ने भी राज किया। इसके बाद इस पर विजयनगर के शासकों ने कब्जा कर लिया।
विजयनगर के शासकों के राज्यपाल ने इस क्षेत्र में 1736 ई. तक शासन किया। त्रिची
हाथ से बनी सिगार और साड़ियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। वरैयुर की हाथ से बनी
सिगार पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
बस स्टैंड से लोकल बस पकड़कर
मैं चल पड़ा हूं रॉक फोर्ट टेंपल के लिए। बस वाले कंडक्टर मुझे एक विशाल चर्च के
पास उतार देते हैं। त्रिची शहर के बीचों बीच में होली चर्च स्थित है।
होली रिडेमार बेसेलिका का निर्माण 1880 में करवाया गया था। यह एक रोमन कैथोलिक चर्च है। इस लंबे और विशाल चर्च की वास्तुकला काफी सुंदर है। इसे देखने काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इसकी आंतरिक दीवारों पर सुंदर आयल पेंटिंग देखी जा सकती है। पास में ही त्रिची का प्रसिद्ध सेंट जोसेफ कॉलेज स्थित है। इस चर्च के आस-पास ही त्रिची शहर के कई प्रमुख बाजार भी स्थित है। बाजार में खूब भीड़ है। मैं लोगों से रॉक फोर्ट टेंपल का पता पूछता हुआ आगे बढने लगता हूं।
होली रिडेमार बेसेलिका का निर्माण 1880 में करवाया गया था। यह एक रोमन कैथोलिक चर्च है। इस लंबे और विशाल चर्च की वास्तुकला काफी सुंदर है। इसे देखने काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इसकी आंतरिक दीवारों पर सुंदर आयल पेंटिंग देखी जा सकती है। पास में ही त्रिची का प्रसिद्ध सेंट जोसेफ कॉलेज स्थित है। इस चर्च के आस-पास ही त्रिची शहर के कई प्रमुख बाजार भी स्थित है। बाजार में खूब भीड़ है। मैं लोगों से रॉक फोर्ट टेंपल का पता पूछता हुआ आगे बढने लगता हूं।
( TRICHY, TIRUCHIRAPALLI, HOLY CHURCH )
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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