कौन हैं बसव जिन्हें दक्षिण के
लोग विश्वगुरु कहते हैं। वे बारहवीं सदी के महान संत हैं। उनकी बीदर जिले के बसव कल्याण स्थित 108 फीट ऊंची
प्रतिमा कर्नाटक का बड़ा आकर्षण का केंद्र बन चुकी है। उनका सबसे बड़ा संदेश था –
जन्म से कोई उच्च या नीच नहीं होता। जन्म से सभी समान होते हैं। नैतिक ज्योति
प्राप्त करने के बाद ही कोई श्रेष्ठ बनता है। उन्हें क्रांति पुरुष भी कहा जाता
है। बसव का लक्ष्य रहा कि जाति स्तर पर पेशा के कारण कोई मूलभूत अधिकारों से वंचित
न रहे।
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उन्होंने कल्याण को अंतिम घोष
माना। महान संत बशेश्वर का जन्म 1134 ई में कम्मेकुल शैव ब्राह्मण परिवार में
बीजापुर जिले के इंग्लेश्वर बागेवाडी ग्राम में हुआ था। उनकी माता का नाम
मादलंबिका और पिता का नाम मादरस था। 1160 में मांगलवेडे से कल्याण आए। यहीं पर
1169 में कल्याण मंडपम की स्थापना की।
विश्वगुरु बसव की 108 फीट ऊंची
प्रतिमा उनकी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है जो बसव कल्याण में स्थापित की गई है।
यह विशाल मूर्ति हाल के साल में ही तैयार हुई है। इस विशाल प्रतिमा का अनावरण 28
अक्तूबर 2012 को हुआ। इसके निर्माण में कई वर्ष लगे हैं। विशाल गुलाबी रंग की
प्रतिमा कई किलोमीटर दूर से ही दिखाई देने लगती है। यह प्रतिमा बैठी हुई और ध्यान
अवस्था में है।
मुख्य सड़क से आधा किलोमीटर
पैदल चलने पर आप विशाल प्रतिमा के पास पहुंच जाते हैं। इससे पहले मंदिर ट्रस्ट
द्वारा संचालित अनाथाश्रम है, जिसमें 100 से ज्यादा बच्चे रहकर अध्ययन करते हैं।
साथ ही ट्रस्ट की ओर से संचालित पुस्तक और प्रतीक चिन्हों की दुकान भी है।
प्रवेश टिकट – मूर्ति परिसर में
प्रवेश के लिए 10 रुपये का टिकट है। साथ मोबाइल कैमरे के इस्तेमाल के लिए 10 रुपये
और डिजिटल कैमरे के लिए 25 रुपये का शुल्क लिया जाता है।
प्रतिमा द्वार से प्रवेश के बाद
आप एक कृत्रिम गुफा की सैर कर सकते हैं। इस गुफा में विश्वगुरु बशेश्वर के जीवन
चरित को देखा जा सकता है। यहां पर आप उनके परिवार से जुडे सदस्यों की मूर्तियां
देख सकते हैं। गुफा में एलईडी लाइट से प्रकाश व्यवस्था की गई है।
बसव की मूर्ति के आधार तल तक
जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। इन सात मंजिला सीढ़ियों पर हर ठहराव पर भी
मूर्तियों का निर्माण किया गया है। रास्ते में सरोवर बनाए गए हैं जिसमें कमल के
फूल खिले रहते हैं। मूर्ति के आधार तल पर जाने के बाद पता चलता है कि यहां मूर्ति
के नीचे एक विशाल प्रार्थना गृह का निर्माण कराया गया है। इस प्रार्थना गृह में
जाकर अदभुत शांति का एहसास होता है। यहां एक महिला पुरोहित तैनात हैं। वे हमें
प्रसाद देती हैं। हम वहां बैठकर थोड़ी देर ध्यान लगाते हैं। फिर बाहर निकल आते
हैं। मूर्ति के बाहर चारों ओर हरियाली है। ट्रस्ट की ओर अनाथालय के अलावा कई समाज
कल्याण के कार्य संचालित होते हैं। मैं ट्रस्ट को कुछ राशि दान में देकर रसीद ले
लेता हूं।
दोपहर होने के कारण कम लोग ही
यहां पहुंचे हैं। शाम को यहां अच्छी खासी भीड होती है। काफी लोग श्रद्धा भाव से
पहुंचते हैं तो कुछ लोग पिकनिक स्पॉट मानकर भी पहुंच जाते हैं।
कैसे पहुंचे : कर्नाटक के बीदर या कलबुर्गी शहर से बस से बसव कल्याण पहुंचा जा सकता है।
कैसे पहुंचे : कर्नाटक के बीदर या कलबुर्गी शहर से बस से बसव कल्याण पहुंचा जा सकता है।
-विद्युत प्रकाश मौर्य
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