दिल्ली से पटना का सफर इस बार
सीमांचल एक्सप्रेस में हो रहा है। मई 2018 में यह संयोग है कि दिल्ली से ट्रेन समय
से चल पड़ी है। वर्ना ज्यादातर ट्रेनें लेट हो रही हैं। हमने इस बार कानपुर में
ट्रैवल खाना एप से अपने लिए खाने की थाली बुक की। यह कानपुर के पंडित रेस्टोरेंट
से आया। कुल 255 रुपये की थाली। डिलेवरी के लिहाज से देखें तो उनकी सेवा काफी समय
पर थी। कानपुर में ट्रेन लेट हो गई थी, पर आर्डर लेकर हमारे कोच के सामने
रेस्टोरेंट के प्रतिनिधि हाजिर थे। ये खाना 255 रुपये के लिहाज से थोड़ा महंगा जरूर है, पर रेलवे के खाने से काफी उम्दा
है। इसमें थोड़ी क्वांटिटी बढ़ा दें तो अच्छा रहेगा।
खैर ट्रेन पटना पहुंचते-पहुंचते
चार घंटे लेट हो गई। लेट तो मुगलसराय तक की काफी हो गई थी। मुगलसराय के बाद तो
बिना बाधा के तेज चली। हमलोग नए स्टेशन पाटलिपुत्र जंक्शन पर उतरे। यह दानापुर से गंगा
पर नए रेल पुल दीघापुल के मार्ग पर स्टेशन बना है। स्टेशन पर ज्यादा सुविधाएं नहीं
है। पर सारी रात आपको पटना जंक्शन और बस स्टैंड के लिए शेयरिंग आटो मिल जाते हैं।
इस बार के पटना यात्रा में हम
बिहार संग्रहलाय देखने पहुंचे। बेली रोड पर पटना हाईकोर्ट के आगे नया विशाल
संग्रहालय बना है। इसका प्रवेश टिकट 100 रुपये का है। संग्रहालय रोज 10 से 4.30
बजे तक खुलता है। हर सोमवार को बंद रहता है। छात्रों के आईकार्ड पर 50 फीसदी का
टिकट मे डिस्काउंट है।
संग्रहालय का परिसर पूरी तरह वातानुकूलित है। अगर आपके पास बड़ा बैग है तो काउंटर पर जमा कराने की सुविधा है। संग्रहालय में एक आडिटोरियम है जिसमें हर घंटे एक 12 मिनट का शो होता है। इस शो में बिहार के गौरवशाली इतिहास से रुबरू कराया जाता है। वास्तव में लंबे समय तक मगध देश की राजधानी रहा है। इसलिए जो बिहार का इतिहास है वह काफी हद तक देश का इतिहास है।
संग्रहालय का परिसर पूरी तरह वातानुकूलित है। अगर आपके पास बड़ा बैग है तो काउंटर पर जमा कराने की सुविधा है। संग्रहालय में एक आडिटोरियम है जिसमें हर घंटे एक 12 मिनट का शो होता है। इस शो में बिहार के गौरवशाली इतिहास से रुबरू कराया जाता है। वास्तव में लंबे समय तक मगध देश की राजधानी रहा है। इसलिए जो बिहार का इतिहास है वह काफी हद तक देश का इतिहास है।
संग्रहालय की प्राचीन भारत
दीर्घा में काफी मूर्तियां पटना संग्रहालय से ही लाकर यहां रखी गई हैं। इसमें सबसे
प्रमुख है दीदारगंज की यक्षिणी जो अब बिहार संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही है। बिहार
संग्रहालय में मार्डन आर्ट पेंटिंग की विशाल दीर्घा बनी है जिसमें आप कई जाने माने
कलाकारों की पेटिंग देख सकते हैं। इसके साथ ही बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग
के कई बेहतरीन नमूने देखे जा सकते हैं।
बिहार संग्रहालय का सबसे खास है
बिहार डायस्पोरा खंड। इसमें बिहार के लोगों के मॉरीशस और सूरीनाम जैसे देशों में
जाकर बसने की दास्तान को पिरोया गया है। कुछ चित्रों के माध्यम से कुछ कहानियों के
माध्यम से। बिहार डायस्पोरा से बाहर निकलें तो बच्चों से सेक्शन में पहुंचे। यहां
काफी मनोरंजन है। बच्चों को इतिहास, पुरातत्व और विज्ञान से रूबरू कराने के लिए
रोचक आख्यान प्रस्तुत किया गया है। जिसे बड़े भी काफी आनंद से देखते हैं। इसी खंड
में सम्राट अशोक के राजसिंहासन को भी देखा जा सकता है। पर यह असली नहीं है, एक
परिकल्पना है। आप इस सिंहासन पर बैठकर फोटो भी खिंचवा सकते हैं।
संग्रहालय में जगह-जगह टायलेट्स
के बेहतरीन इंतजाम हैं। इसके साथ ही यहां एक कैंटीन भी है। पर इसका खाना पीना काफी
महंगा है। तो अब बाहर चलें।
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