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राजस्थान के डीग की एक दुकान पर बनता घेवर। |
सावन का महीना और रिमझिम बारिश
का मौसम आते ही खास तौर पर ब्रज का क्षेत्र घेवर से सज उठता है। यह एक ऐसी मिठाई
है जो सिर्फ इसी मौसम में बनती है। जी हां सावन और राखी के त्यौहार की विशेष मिठाई घेवर है। राजस्थान में मिठाइयों की सूची में घेवर बहुत पसंद की जाती है और इसे त्योहारों
पर खूब बनाया जाता है। घेवर न सिर्फ राजस्थान बल्कि
उत्तर प्रदेश ब्रज क्षेत्र की प्रमुख पारंपरिक मिठाई है। ये मिठाई बरसात के दिनों
में ही क्यों बनाई जाती है इस सवाल पर गोवर्धन शहर के सौंख अड्डे पर प्रमुख हलवाई
के दुकानदार ओम प्रकाश सैनी कहते हैं कि यह मिठाई बारिश के रिमझिम मौसम में ही बेहतर
आकार ले पाती है। बाकी मौसम इसका स्वाद उतना बढ़िया नहीं बन पाता है।
राखी की खास मिठाई - इसलिए घेवर प्रमुख रूप से सावन और राखी पर ही दुकानों पर नजर आता है। सावन में आप राजस्थान के भरतपुर डीग जैसे शहर में पहुंचे हर हलवाई की दुकान पर घेवर बनता हुआ नजर आने लगता है। घेवर दो तरीके का होता है। घेवर मावा से तैयार होता है। एक घेवर फीका होता है यानी बिना चीनी का यह खस्ता लगता है तो दूसरा मीठा होता है।
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घेवर की तैयारी- गोवर्धन (मथुरा ) की एक हलवाई दुकान पर। |
राखी की खास मिठाई - इसलिए घेवर प्रमुख रूप से सावन और राखी पर ही दुकानों पर नजर आता है। सावन में आप राजस्थान के भरतपुर डीग जैसे शहर में पहुंचे हर हलवाई की दुकान पर घेवर बनता हुआ नजर आने लगता है। घेवर दो तरीके का होता है। घेवर मावा से तैयार होता है। एक घेवर फीका होता है यानी बिना चीनी का यह खस्ता लगता है तो दूसरा मीठा होता है।
छप्पन भोग का प्रमुख व्यंजन - घेवर
कान्हा जी के छप्पन भोग के अन्तर्गत आने वाला प्रसिद्ध व्यंजन हॅ। कहते हैं कि यह
कान्हा जी को खास पसंद है। यह मैदे से बना, मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई देने वाला एक ख़स्ता और मीठा पकवान है।
सावन माह की बात हो और उसमें घेवर का नाम ना आए तो कुछ अटपटा लगेगा। घेवर, सावन का विशेष मिष्ठान माना जाता है। पर घेवर बनाने की प्रक्रिया लंबी और
पेचिदी है। हर घेवर को कड़ाह में एक खास फ्रेम ( सांचे) में डालकर बनाया जाता है।
जो घेवर बनाने वाला हलवाई जितना कुशल होगा वह उतना ही स्वाद वाला घेवर बनाएगा।
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गोवर्धन के सोंख अड्डे पर सैनी स्वीट्स में घेवर |
क्या सामग्री चाहिए घेवर के लिए
- मैदा,
घी, केवड़ा, दूध,
मक्खन, चीनी, बादाम,
पिस्ता, केसर और इलायची। मैदा और दूध को खास
तरह से मिलाना और उसे तेल में तलकर पकाना। पर हर हलवाई के घेवर बनाने का एक अपना
तरीका होता है।
घेवर बनाने घी या फिर वनस्पति का इस्तेमाल किया जाता है।
इसी आधार पर इसकी दरें भी तय होती हैं। अगर ब्रज क्षेत्र में बात करें तो फीका
घेवर 180 रुपये किलो और मीठा घेवर 240 रुपये किलो से 400 रुपये किलो तक मिलता है।
पर दिल्ली में इसका भाव 600 रुपये किलो तक भी चला जाता है।
पर ब्रज घेवर में जो मिठास है
वह और कहीं नहीं मिलती। जैसे जयनगर (बंगाल) का मोआ और कोलकाता के रसगुल्ला को
जियोग्राफिल इंडेक्स मिल गया है उसी तरह राजस्थान और ब्रज क्षेत्र के घेवर को भी
जीआई टैग दिलाने का प्रयास किया जाना चाहिए। तो कभी ब्रज क्षेत्र या राजस्थान का
दौरा करें तो घेवर का स्वाद लेना न भूलें। आप चाहें तो पैक करा कर घर वालों के लिए
ले भी जा सकते हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
write to me - vidyut@daanapaani.net
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(GHEVAR SWEET, RAJSTHAN, BRAJ )
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