देश
के कई रेलवे स्टेशनों पर रेलवे की विरासत देखने को मिल जाती है। इसी क्रम में जयपुर
रेलवे स्टेशन परिसर में एक स्टीम लोकोमोटिव को लोगों के दर्शन के लिए स्थापित किया
गया है।
यह
ओजे 641 स्टीम लोकोमोटिव 1944 का बना हुआ है। यह मीटर गेज पर चलने वाला लोकोमोटिव (इंजन)
था। यह ब्रिटेन में निर्मित है। इसका निर्माण डब्लू जे बेगनाल लिमिटेड, केसल
इंजीनियरिंग वर्क्स स्टाफोर्ड द्वारा किया गया था। निर्माण के लिहाज से 4-4-0
श्रेणी के इस लोकोमोटिव ने लंबे समय तक इसने उत्तर पश्चिम रेलवे को अपनी सेवाएं
दी। राजस्थान में सन 2000 से पहले तक मीटर गेज का लंबा नेटवर्क था। जयपुर भी मीटर
गेज का बड़ा स्टेशन हुआ करता था। अब जयपुर में मीटर गेज खत्म हो चुका है। पर ये
लोकोमोटिव मीटर गेज की दौर की याद दिला रहा है।
अब रेलवे राजस्थान के अजमेर में एक रेल संग्रहालय का भी निर्माण कर रहा है जिसमें इस क्षेत्र के कई प्रमुख रेलवे विरासत को संरक्षित किया जाएगा। वैसे देश के कई हिस्से में छोटे-छोटे रेल संग्रहालय हैं, जहां आप रेलवे की विरासत और इतिहास से रूबरू हो सकते हैं।
अब
जयपुर में साइकिल लें किराये पर – अब जयपुर में भी मैसूर, पुणे
और दिल्ली तर्ज पर साइकिल किराये पर दिए जाने की योजना शुरू हो चुकी है। रेलवे
स्टेशन के पास मुझे साइकिल रेंटल का काउंटर दिखाई देता है। वे अपनी योजना के
प्रचार प्रसार में लगे हैं। यहां पर साइकिल लेने के लिए आपको मोबाइल एप डाउनलोड
करना होगा। आपकी ई पहचान के बाद साइकिल किराये पर दे दी जाएगी। शहर में भ्रमण के
दौरान जगह जगह बने साइकिल स्टैंड में से कहीं भी आप साइकिल को इस्तेमाल के बाद जमा
कर सकते हैं।
जयपुर शहर में 20 साइकिल डॉकिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इनमें राजस्थान यूनिवर्सिटी, त्रिमूर्ति सर्किल, सेंट्रल पार्क, न्यू गेट, विधानसभा, कैलाश मॉल बस स्टैंड, नगर निगम कार्यालय, रामबाग चौराहा, मोती डूंगरी, जनता स्टोर, नारायण सिंह सर्किल, गोविंद मार्ग, दशहरा मैदान, आदर्श नगर, राजापार्क,
एसएमएस अस्पताल, विवेकानंद मार्ग सी
स्कीम, अजमेरी गेट, पांच
बत्ती, गवर्नमेंट हॉस्टल, अल्बर्ट
हॉल और जवाहर सर्किल शामिल हैं।
जयपुर में उपभोक्ता को 10 रुपए प्रति घंटा के हिसाब
से किराया देना पड़ता है। साइकिल किराए पर देने से पहले
ग्राहक से उसका पहचान पत्र और एक फॉर्म भरवाया जाता, ताकि
कंपनी को साइकिल की लोकेशन और उपभोक्ता के बारे में जानकारी रह सके। जयपुर से पहले इस तरह का कॉन्सैप्ट मैसूर, पुणे और इंदौर जैसे शहरों में शुरु हो चुका है। हालांकि सबसे पहले दिल्ली में भी 2010 के कॉमनवैल्थ खेलों के
दौरान मेट्रो स्टेशन पर रेंटल साइकिल का कॉन्सैप्ट लाया गया था। पर दिल्ली में यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो सका है।
समय की जरूरत है कि साइकिल
रेंटल को बढ़ावा दिया जाए। लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाए। इसके साथ ही महानगरों
में साइकिल चलाने वालों के लिए ट्रैक का निर्माण किया जाए। इस साइकिल ट्रैक पर
दुकानदारों और फूटपाथ पर सामान बेचने वालों का कब्जा न हो, तब यह योजना सफल हो
सकती है।
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विद्युत प्रकाश मौर्य
( STEAM LOCO, RAIL, JAIPUR, CYCLE )
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