नालगोंडा से नागार्जुन सागर के
लिए पहली बस सुबह 5.30 बजे से मिलने लगती है। मेरा होटल बस स्टैंड के सामने है तो
मैं तैयार होकर सुबह 6.30 वाली बस में नागार्जुन सागर के लिए बैठ गया। किराया है 44
रुपये। कोई दो घंटे का सफर है। रास्ते में नीदामानूर और हालिया जैसे दो प्रमुख
कस्बे में बस रूकी। कुछ लोग चढ़ते उतरते हैं। बस में ज्यादा भीड़ नहीं है। वैसे बस माचेरला तक जा रही है। माचेरला आंध्र प्रदेश के गुंटुर
जिले का शहर है। सुबह 9.30 बजे बस ने विजय विहार के स्टाप पर उतार दिया।
सामने एक टिफिन्स की दुकान है, तो सबसे पहले पेटपूजा। बीस रुपये में मसाला डोसा खाकर तृप्त हो गया। सामने दो मंदिर हैं। वहां मत्था टेकने के बाद नागार्जुन कोंडा जाने वाले मोटर लांच का स्टेशन पूछता हूं। लोगों ने बताया कि थोडा पैदल चलकर आगे की ओर जाएं। पैदल चलकर वहां पहुंच गया। बस का स्टाप तो यहां भी है, पर यहां कोई नास्ते की दुकान नहीं है। यहां से तेलंगाना टूरिज्म की ओर से नागार्जुन कोंडा के लिए मोटर लांच का संचालन किया जाता है। समय 9.30 और 1.00 बजे का है। पर सवारी कम हो तो दिन में एक बार ही मोटर लांच चलती है।
कम से 60 लोग हों तो चलेगी मोटर लांच
यहां आने पर पता चला कि कम से कम 60 लोगों के होने पर ही मोटर लांच चलेगी। अभी पहुंचे सिर्फ 8 लोग हैं। इंतजार करना होगा। गर्मी में सैलानी कम आते हैं। तो आंध्र प्रदेश शासन की ओर गुंटुर की तरफ से चलने वाली मोटर लांच बंद है। शनिवार रविवार को ज्यादा सैलानी आते हैं। आज सोमवार है तो लोगों को इंतजार है। तीन घंटे इंतजार के बाद भी लोग नहीं पूरे हुए।
सामने एक टिफिन्स की दुकान है, तो सबसे पहले पेटपूजा। बीस रुपये में मसाला डोसा खाकर तृप्त हो गया। सामने दो मंदिर हैं। वहां मत्था टेकने के बाद नागार्जुन कोंडा जाने वाले मोटर लांच का स्टेशन पूछता हूं। लोगों ने बताया कि थोडा पैदल चलकर आगे की ओर जाएं। पैदल चलकर वहां पहुंच गया। बस का स्टाप तो यहां भी है, पर यहां कोई नास्ते की दुकान नहीं है। यहां से तेलंगाना टूरिज्म की ओर से नागार्जुन कोंडा के लिए मोटर लांच का संचालन किया जाता है। समय 9.30 और 1.00 बजे का है। पर सवारी कम हो तो दिन में एक बार ही मोटर लांच चलती है।
कम से 60 लोग हों तो चलेगी मोटर लांच
यहां आने पर पता चला कि कम से कम 60 लोगों के होने पर ही मोटर लांच चलेगी। अभी पहुंचे सिर्फ 8 लोग हैं। इंतजार करना होगा। गर्मी में सैलानी कम आते हैं। तो आंध्र प्रदेश शासन की ओर गुंटुर की तरफ से चलने वाली मोटर लांच बंद है। शनिवार रविवार को ज्यादा सैलानी आते हैं। आज सोमवार है तो लोगों को इंतजार है। तीन घंटे इंतजार के बाद भी लोग नहीं पूरे हुए।
इस बीच इंतजार करते हुए हैदराबाद के
राहुल से दोस्ती हुई। वे बाइकर हैं, अपनी बुलेट मोटर साइकिल से देश भर में घूमते हैं। पूरा दक्षिण भारत घूम चुके हैं। अब लेह जाने की इच्छा रखते हैं। इंतजार करते हुए दोपहर हो गई है। गरमी खूब है। तो इस
बीच हमने शिकंजी पीया है।
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तेलंगाना टूरिज्म का विजय विहार टूरिस्ट कांप्लेक्स |
विजय विहार में लंच - अब भूख लगी है। तो राहुल के साथ उनकी बुलेट पर हमलोग दो
किलोमीटर पीछे तेलंगाना टूरिज्म के विजय विहार रिजार्ट पहुंचे। वहां दोपहर का लंच
लिया। 137 रुपये में अनलिमिटेड बूफे लंच। खाना बहुत अच्छा था, तो जमकर खा लिया। वापस आने पर एक बार फिर
मोटर लांच पाने की कवायद। अभी भी 24 यात्री हो सके हैं। तो तय हुआ कि हमलोग अपना दिन
क्यों खराब करें 150 रुपये प्रति व्यक्ति की जगह थोड़े ज्यादा पैसे दिए जाएं तो
मोटर लांच चल सकती है। फिर यही किया गया 150 की जगह 350 प्रति व्यक्ति देने पड़े। इस
तरह दोपहर 1.30 बजे नागार्जुन कोंडा के लिए सफर आरंभ हुआ। मोटर लांच अच्छी है।
इसमें 150 लोग सफर कर सकते हैं।
13 द्वार आंध्र में 13 तेलंगाना में - नागार्जुन सागर बांध कृष्णा नदी
पर बना है। आंध्र और तेलंगाना के विभाजन के बाद इसके 26 द्वार में से 13 आंध्र में
पड़ते हैं तो 13 तेलंगाना में। नागार्जुन सागर आप आंध्र प्रदेश के गुंटुर जिले से
या फिर तेलंगाना के नालगोंडा जिले से पहुंच सकते हैं। हैदराबाद से नागार्जुन सागर
के लिए सीधी बसें भी हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन माचरेला है जो यहां से 24 किलोमीटर
है।
नागार्जुन सागर बांध - राष्ट्र का नवीन मंदिर
नागार्जुन सागर बांध का निर्माण
स्वतंत्रता के बाद 1955 में करवाया गया। इसके वास्तुकार पद्मभूषण केएल राव थे।
बांध के पास बने पार्क में केएल राव और आंप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व
राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी की प्रतिमाएं लगी हैं। 1955 में बांध की आधारशिला
तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ने रखी थी। बांध पूरी तरह 1967 में तैयार हुआ। साल
2005 में इस बांध के 50 साल पूरे हो गए।
इस बांध के कारण 800 मेगावाट से ज्यादा
बिजली का उत्पादन होता है। इस बांध से मिलने वाले पानी से न सिर्फ आंध्र तेलंगाना
के सात जिलो में खेतों की सिंचाई होती है। साथ ही पूरे हैदराबाद शहर को पीने का
पानी यहां से मिलता है। इसलिए पानी के
बूंद बूंद की कीमत हैदराबाद के लोग खूब जानते हैं।
( NAGARJUNA SAGAR DAM, NALGONDA, GUNTUR, ANDHRA, TELANGANA, KRISHNA RIVER, WATER)
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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