गगरोन का किला और मीठे
शाह की दरगाह से एक बार फिर झालवाड़ शहर लौट आया हूं। आटो वाले ने मुझे झालवाड़
सिटी पैलेस के सामने छोड़ दिया है। मैं सिटी पैलेस में प्रवेश करता हूं। इसमें एक
छोटा सा पर बेहतरीन संग्रहालय है। पर यह संग्रहालय इन दिनों नवीकरण के कार्य को लेकर
बंद है। इसलिए हम संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर पहुंचकर इसे देखने से वंचित रहे।
वैसे संग्रहालय का 20 रुपये का टिकट है। यह हर सोमवार को बंद रहता है। शासकीय
संग्रहालय को वर्ष 1915 में स्थापित किया गया था। खुदाई में मिली कई अलग अलग मूर्तियाँ इस
संग्रहालय में रखी गई हैं। इसमें हिन्दू भगवान् अर्धनारीश्वर नटराज की मूर्ती भी
है जिसे मास्को में ‘फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया’ (भारत के त्यौहार) समारोह में प्रदर्शित किया गया था। अन्य कई मूर्तियों में
लक्ष्मीनारायण, त्रिमूर्ति, नटराज, विष्णु और कृष्ण की मूर्तियाँ सम्मिलित
हैं। यहां आप दुर्लभ पांडुलिपियां, सुंदर मूर्तियाँ, पुराने सिक्के और चित्र इस संग्रहालय के मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा आप
यहाँ 5वीं और 7वीं शताब्दी
के प्राचीन शिलालेख भी देख सकते हैं।
गढ़ गणपति का सुंदर मंदिर
- विद्युत प्रकाश मौर्य
दानापानी के लेखों पर अपनी प्रतिक्रिया दें -
Email- vidyut@daanapaani.net
संग्रहालय बंद था तो
झालवाड़ सिटी पैलेस का बाहर से ही मुआयना करना उचित समझा। झालावाड़ किले को गढ़
महल के नाम से भी जाना जाता है और यह झालावाड़ शहर के बिल्कुल मध्य में स्थित है।
इस किले को महाराजा राणा मदन सिंह ने इस किले को 1840-1845 के दौरान
बनवाया था। शहर के बीचोंबीच स्थित किला भव्य है। पर आजकल इस जिलाधीश कार्यालय (कलेक्टेरेट) और कई अन्य सरकारी कार्यालय इस किले में ही संचालित होते हैं। मतलब सरकारी
कब्जा है। क्या यह किसी ऐतिहासिक किले का सही इस्तेमाल है। कदापि नहीं। हमने देश
के कई हिस्सों में किलों में इस तरह का कब्जा देखा है। महाराजा के उत्तराधिकारियों
ने इस जगह की सुंदरता को बढाने के लिए किले के अंदर कई खूबसूरत चित्र लगाए हैं।
किले में स्थित जनाना खास को महिलाओं का महल भी कहा जाता है।
गढ़ गणपति का सुंदर मंदिर
झालवाड़ किले के अंदर
गढ़ गणपति का प्रसिद्ध मंदिर है। वे किले के संरक्षक है। पर शहर के लोगों की भी
गणपति मे अगाध आस्था है। रोज बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। गणपति का
श्रंगार भी हर रोज होता है। यह श्रंगार अदभुत होता है। बेशक मंदिर छोटा सा है पर
गणपति का प्रतिमा काफी सुंदर है। गढ़ परिसर स्थिति सिद्धी श्री गढ़ गणपति समिति ने
साल 2017 में गणेश महोत्सव को ग्रीन गणेश महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया
था। तो उस साल गणेश महोत्सव की थीम ग्रीन हर्बल रही।
किला, विशाल
प्रवेश द्वार और पुरानी दीवारों वाले पुराने झालावाड़ शहर को देखते हुए गणपति
मंदिर से मैं आगे चल पड़ा हूं। हमारे साथी अनिल भारद्वाज ने झालावाड़ में दैनिक
भास्कर के ब्यूरो चीफ इमरान भाई से मिलने की सलाह दी थी। मैं इमरान भाई को फोन
लगाता हूं। वे मुझे अपने दफ्तर बुला लेते हैं। थोड़ी देर उनसे बातचीत के बाद मैं
वापस कोटा बस से जाने का तय करता हूं। वापसी की ट्रेन शाम को है। बस से चलकर जल्दी
पहुंच जाउंगा। तो कोटा की बस में बैठ गया। और तीन घंटे में कोटा शहर में पहुंच
चुका हूं।
(JHALAWAR CITY, FORT, GANPATI )
(JHALAWAR CITY, FORT, GANPATI )
दानापानी के लेखों पर अपनी प्रतिक्रिया दें -
Email- vidyut@daanapaani.net
No comments:
Post a Comment