सरदी
की सुबह में भी सात बजे तक तैयार हो चुका
हैं। होटल के बाहर पोहा और जलेबी नास्ते में लेने के बाद यहीं एक आटो वाले से बात
करता हूं किला घूमाने के लिए। रात में होटल नटराज के मैनेजर ने सलाह दी थी। किला
अंदर काफी बड़े विस्तार में फैला है इसलिए यहीं से आटो बुक करके किले के सारे
दर्शनीय स्थलों को देखना ठीक रहेगा। आटो वाले इसके लिए 300 से 400 रुपये मांग सकते
हैं। चाहे आटो में एक आदमी हों या फिर पांच।
कांटो से खींच के ये आंचल हमने बांधी पायल - गाइड फिल्म के इस गीत को याद करें, इस गाने के बड़े हिस्से की शूटिंग चित्तौड़गढ़ के किले में हुई है। अगली बार इस गाने को देखिएगा तो गौर फरमाइएगा।
थोड़ी और बात चित्तौड़ के बारे में। ऐसा माना जाता है गुलिया वंशी बप्पा रावल ने आठवीं शताब्दी के मध्य में सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर चित्तौढ़ को दहेज के रूप में प्राप्त किया था, बाद में उसके वंशजों ने मेवाड़ पर शासन किया जो 16वीं शताब्दी तक गुजरात से अजमेर तक फैल चुका था। राजधानी को उदयपुर ले जाने से पहले 1568 तक चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी रहा।
मौर्य वंश के राजा ने बनवाया किला - गंभीरी
नदी के किनारे बसा चित्तौड़गढ़ राजस्थान के अति प्रचीन और प्रसिद्ध शहरों में
शामिल है। चित्तौड़गढ़ का किला यूनेस्को के विश्व विरासत की सूची में शामिल किया
गया है। चित्तौड़गढ़
के किले का निर्माण सातवीं शताब्दी में मौर्य वंश के शासक चित्रांगद ( चित्रक)
मौर्य ने कराया था। पहले इसका नाम चित्रकूट पड़ा। बाद में बिगड़कर चित्तौड़ हो
गया। कुछ लोग चित्रांगद मौर्य के जाट होने का भी दावा करते हैं। चित्रांगद मौर्य
ने दुर्ग में चतरंग मोरी तालाब भी बनवाया था।
कांटो से खींच के ये आंचल हमने बांधी पायल - गाइड फिल्म के इस गीत को याद करें, इस गाने के बड़े हिस्से की शूटिंग चित्तौड़गढ़ के किले में हुई है। अगली बार इस गाने को देखिएगा तो गौर फरमाइएगा।
थोड़ी और बात चित्तौड़ के बारे में। ऐसा माना जाता है गुलिया वंशी बप्पा रावल ने आठवीं शताब्दी के मध्य में सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर चित्तौढ़ को दहेज के रूप में प्राप्त किया था, बाद में उसके वंशजों ने मेवाड़ पर शासन किया जो 16वीं शताब्दी तक गुजरात से अजमेर तक फैल चुका था। राजधानी को उदयपुर ले जाने से पहले 1568 तक चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी रहा।
चित्तौड़गढ़
जंक्शन (COR
) से
करीब 3
किलोमीटर उत्तर-पूर्व की ओर एक पहाड़ी पर राजपूताने का गौरवशाली
किला निर्मित हुआ है। यह समुद्र तल से 1388 फीट ऊंची जमीन पर स्थित है। यह 500 फीट ऊंचे एक विशाल (ह्वेल मछ्ली) आकार में,
पहाड़ी पर निर्मित्त किला है। इसकी परिधि की बात करें तो लगभग 5
किलोमीटर लम्बा और 1 किलोमीटर तक चौड़ा
है। पहाड़ी का घेरा करीब 13 किलोमीटर का है। क्षेत्रफल के लिहाज से यह कुल 609 एकड़
क्षेत्र में स्थित है।
घूमने के लिए एक
आटो वाले से हमारा सौदा पट गया। उनके आटो में कुछ सवारियां हैं जिन्हे रेलवे
स्टेशन छोड़ने के बाद वे मुझे लेकर किले की ओर चल पड़े। किले के करीब आने के साथ
ही हम ऊंचाई पर चढ़ने लगे हैं। एक एक कर कई गेट आते हैं। पांडल पोल, भैरव पोल,
हनुमान पोल, जोरला पोल इसके बाद राम पोल। यहां पर किले का टिकट घर स्थित है। किले
का टिकट 15 रुपये का है। 10 रुपये वाहन पार्किंग के लिए जाते हैं। विदेशी
सैलानियों का टिकट 200 रुपये है। जबकि 15 साल के बच्चों का प्रवेश निःशुल्क है।
टिकट लेकर हमलोग आगे बढ़ जाते हैं। किले का पहला आकर्षण है कुंभा महल।
कुंभा
महल विशिष्ट राजपूत स्थापत्य शैली की झलक पेश करता है। इस महल में महाराणा कुंभा 1433
-1468 ने कई बदलाव करवाए थे। इस महल में प्रवेश लिए बड़ी पोल और त्रिपोलिया दरवाजे
से होकर आना पड़ता था। महल के मुख्य परिसर में सूरज गोखरा, जनाना महल, कांवर पड़े
महल आदि हैं। महल कई मंजिला है। आज भी इसकी भव्यता देखते बनती है। सैकड़ो लोग देश
के कोने कोने से आए हैं जो महल को निहार रहे हैं।
सबसे बड़ा आकर्षण विजय स्तंभ -
सबसे बड़ा आकर्षण विजय स्तंभ -
चित्तौड़गढ़
किले का सबसे प्रमुख आकर्षण विजय स्तंभ है। इसमें अंदर चढ़ने के लिए सीढ़ियां भी
बनी हैं। पर रखरखाव के लिए 1 जुलाई 2016
के बाद इसमें प्रवेश बंद कर दिया गया है।
महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान
महमूद शाह खिलजी को 1440 ई. में पराजित करने के बाद अपने इष्टदेव विष्णु
के लिए एक कीर्ति स्तम्भ बनवाया। यह 1448 में बनकर तैयार हुआ। इसमें कुल 9 मंजिले
हैं और इसकी ऊंचाई 37 मीटर है। यह स्तम्भ वास्तुकला की दृष्टि से अदभुत है। अंदर
झरोखों से प्रकाश जाने का इंतजाम है। इसमें विष्णु के विभिन्न रुपों जैसे जनार्दन,
अनन्त आदि, उनके अवतारों तथा ब्रम्हा, शिव, भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं, अर्धनारीश्वर, उमामहेश्वर, लक्ष्मीनारायण,
ब्रम्हासावित्री, हरिहर (आधा विष्णु और आधा
शिव), ब्रम्हा, विष्णु, महेश आदि का
चित्रण है। प्रत्येक मूर्ति के ऊपर या नीचे उनका नाम भी खुदा हुआ है।
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