भीलवाड़ा
के बाद हमारी अगली मंजिल है चितौड़गढ़। हरणी महादेव से लौटते हुए बस के कंडक्टर ने
बता दिया था कि बस स्टैंड जाने की कोई जरूरत नहीं है। आप रेलवे फाटक पार कर चितौड़
हाईवे पर खड़े हो जाएं। वहीं बस मिल जाएगी। वाकई वहां से बस मिल गई। भीलवाड़ा से
चितौड़गढ़ की दूरी 55 किलोमीटर है। रेलवे लिंक भी उपलब्ध है। पर मैंने बस से जाना
तय किया। भीलवाड़ा से चित्तौड़ गढ़ के बीच सड़क मार्ग और रेल मार्ग समांतर चलते
हैं।
शहर
से बाहर निकलते ही हमें बायीं तरफ मयूर शूटिंग और बीएसएल की विशाल फैक्ट्रियां
दिखाई देती हैं। इन फैक्ट्रियों के गेट पर सेल्स आउटलेट भी बने हुए हैं। एलएन झुनझुनवाला समूह के कपड़ों के कंपनी की स्थापना 1961 में हुई थी। तब से कंपनी लगातार विस्तार तर रही है। आरएसडब्लूएम अब डेनिम का उत्पादन भी करती है। मयूर फैब्रिक्स अब रेडिमेड गारमेंट के क्षेत्र में भी आ गई है।
बस की खिड़की से रेलवे स्टेशन भी दिखाई दे रहे हैं। भीलवाड़ा से आगे मंडनिया कस्बा आता है। फिर हमीरगढ़। इसके बाद चांदेरिया फिर हम चित्तौड़गढ़ शहर की सीमा में प्रवेश कर गए। चंदेरिया औद्योगिक इलाका है। इसके साथ ही शाम गहराने लगी है। मुझे पता नहीं है कि चित्तौड़गढ़ में कहां जाकर रुकना है। तो बस हमें बस स्टैंड में पहुंचा देती है।
वहां से उतरने के बाद वापस बाजार की ओर बढ़ता हूं। बस स्टैंड के पास मुझे पहला होटल दिखाई देता है – नटराज टूरिस्ट होटल। हरे भरे लॉन के बाद होटल की सफेद रंग की बिल्डिंग है। बाहर से मुझे महंगा होटल प्रतीत हुआ। पर रिसेप्सन पर जाकर सिंगल रूम अटैच बाथ के साथ पूछता हूं। वे बताते हैं 300 रुपये। कमरा खोलवाकर देखा। पसंद आ गया। बस यहीं जम गया। कमरे में बैग रखने के बाद बाहर घूमने निकला। आगे चौराहा पर प्रशानिक दफ्तर है। वहां बाहर सड़क पर लिखा है – वीर शिरोमणि गोरा, बादल, जयमल फत्ता और कल्लाजी की नगरी चित्तौड़गढ़ में आपका स्वागत है।
बस की खिड़की से रेलवे स्टेशन भी दिखाई दे रहे हैं। भीलवाड़ा से आगे मंडनिया कस्बा आता है। फिर हमीरगढ़। इसके बाद चांदेरिया फिर हम चित्तौड़गढ़ शहर की सीमा में प्रवेश कर गए। चंदेरिया औद्योगिक इलाका है। इसके साथ ही शाम गहराने लगी है। मुझे पता नहीं है कि चित्तौड़गढ़ में कहां जाकर रुकना है। तो बस हमें बस स्टैंड में पहुंचा देती है।
वहां से उतरने के बाद वापस बाजार की ओर बढ़ता हूं। बस स्टैंड के पास मुझे पहला होटल दिखाई देता है – नटराज टूरिस्ट होटल। हरे भरे लॉन के बाद होटल की सफेद रंग की बिल्डिंग है। बाहर से मुझे महंगा होटल प्रतीत हुआ। पर रिसेप्सन पर जाकर सिंगल रूम अटैच बाथ के साथ पूछता हूं। वे बताते हैं 300 रुपये। कमरा खोलवाकर देखा। पसंद आ गया। बस यहीं जम गया। कमरे में बैग रखने के बाद बाहर घूमने निकला। आगे चौराहा पर प्रशानिक दफ्तर है। वहां बाहर सड़क पर लिखा है – वीर शिरोमणि गोरा, बादल, जयमल फत्ता और कल्लाजी की नगरी चित्तौड़गढ़ में आपका स्वागत है।
चौराहे
पर मीराबाई की रथ पर सवार होकर आती हुई प्रतिमाएं लगी हैं – यह तब का दृश्य है जब
मीरा शादी के बाद चित्तौड़ आई थीं। यहां लिखा है – मेवाड़ की राजवधु, मेड़ता की
बेटी, शाही ठाटबाट संग डोली में बैठ आई। कृष्ण रंग में रंगी मीराबाई कहलाई।
चौराहे
के दूसरे तरफ बापू के दांडी मार्च की प्रतिमाएं लगाई गई हैं। एक तरफ नेकी की दीवार
बनी है। यहां आप अपने पुराने कपड़े दान में दे सकते हैं। इन्हें जो चाहे कोई
जरूरतमंद को उठा कर ले जा सकता है। कई शहरों में इस तरह के प्रयोग शुरू किए गए हैं
जो काफी अच्छे हैं।
अगर
आप दिल्ली से चित्तौड़गढ़ पहुंचना चाहते हैं तो शाम को सीधी बस सेवा है। इसी तरह
चित्तौड़ से दिल्ली के लिए भी सीधी लग्जरी बसें चलती हैं। ये बसें पुरानी दिल्ली
रेलवे स्टेशन के सामने से बुक कराई जा सकती हैं। सालों से हमारी चित्तौड़ आने की
इच्छा थी, पर अब जाकर पहुंचा हूं जब फिल्म पद्मावत विवाद के बाद चित्तौड़ चर्चा
में आ गया है।
जनवरी 2018 में यहां सैलानियों की आमद काफी बढ़ गई है। रानी पद्मिनी का आकर्षण लोगों में इतना बढ़ा कि एक जनवरी को चित्तौड़गढ़ के किले में सैलानियों का प्रवेश एक समय के बाद रोकना पड़ा।
जनवरी 2018 में यहां सैलानियों की आमद काफी बढ़ गई है। रानी पद्मिनी का आकर्षण लोगों में इतना बढ़ा कि एक जनवरी को चित्तौड़गढ़ के किले में सैलानियों का प्रवेश एक समय के बाद रोकना पड़ा।
रात
का भोजन लेने के बाद होटल के कमरे में आकर सो गया। चित्तौड़गढ़ का किला घूमने का
कार्यक्रम अहले सुबह का है। तो अभी
शुभरात्रि। मिलते हैं कल सुबह।
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विद्युत प्रकाश मौर्य ( CHHITAURGARH CITY, GORA AND BADAL, MIRA BAI )