जब आप पारो शहर में प्रवेश करते
हैं तो यह किसी आर्ट गैलरी सा नजर आता है। दो तरफ पहाड़ियां बीच मे बहती पारो नदी
और उसके आसपास बसा शहर। ऐसा लगता है कि किसी कॉफी टेबल बुक के पन्नों से निकल कर
कोई चित्रमय शहर साकार हो उठा है। इतना साफ सुथरा और हरा भरा मानो कोई प्रकृति की
बनाई चित्र दीर्घा ही हो।
शहर का सौंदर्य ऐसा है जो यहां
कुछ रातें गुजारने के लिए रोकता है। पारो का क्षेत्र भूटान का सबसे संपन्न इलाका
भी गिना जाता है। इस इलाके में खेतीबाड़ी भी अच्छी है। एयरपोर्ट होने के कारण
सैलानियों की आवाजाही भी ज्यादा रहती है। इसलिए पारो में होटल और टूरिज्म व्यवसाय
खूब फल फूल रहा है। बड़ी संख्या में भूटान आने वाले ऐसे भी सैलानी हैं जिन्हें
थिंपू की तुलना में पारो ज्यादा पसंद आता है।
पारो में आप 800 रुपये से लेकर
5000 रुपये प्रतिदिन के होटलों में ठहर सकते हैं। कुछ होटल मुख्य बाजार से दूर
गांव और खेतों में भी बने हैं। पारो शहर के मुख्य बाजार के सारे भवन एक तरह के और
कलात्मकता से बने हैं। मुख्य पथ के दोनों तरफ सिर्फ गिफ्ट गैलरी जैसी दुकाने हैं।
अंदर वाली सड़क पर होटल, रेस्टोरेंट और कपड़े आदि की दुकाने हैं। छोटे से शहर मे
कुछ सुंदर पार्क भी बने हुए हैं। पारो 2200 मीटर ( 7200 फीट) की ऊंचाई पर है।
पारो बाजार की मुख्य सड़क पर दोनों तरफ गिफ्ट
गैलरी की भरमार है। ये बड़ी ही सुंदर और सुरूचिपूर्ण दुकाने हैं। यहां आप कुछ
खरीदें नहीं तो भी देखने के लिए इन शोरूम में जा सकते हैं। यहां भूटान में बनी
हस्त शिल्प की वस्तुएं मिलती हैं। खास तौर पर पर्स और महिलाओं से जुड़ी हुई
सामग्री। हमें भी भूटान से कुछ यादगारी खरीदनी थी तो हमने एक बुद्ध मूर्ति खरीदी।
बुद्ध मूर्तियां वैसे कई आकार प्रकार की मिलती हैं। हां इन आर्ट गैलरी में आप मोल
भाव जरूर करें आपको कुछ लाभ मिल सकता है।
पारो में खाना पीना – पारो में कोई भी शुद्ध शाकाहारी
भोजनालय तो नहीं दिखाई देता है पर कुछ भोजनालय हैं जहां आप 150 रुपये मे बुफे लंच
खा सकते हैं। यूं कहें कि खाने पीने में पारो थोड़ा महंगा शहर है। हमने पारो में प्रवास के दौरान अपने सिटी होटल के रेस्टोरेंट में ही खाया। क्योंकि यह आसपास के होटलों की तुलना में बेहतर था। यहां स्वच्छता का खास ख्याल रखा गया था। डायनिंग हॉल का डेकोरेशन भी काफी सुंदर था।
सिटी होटल का रेस्टोरेंट दूसरे तल पर स्थित है। इसका खाना पीना अच्छा तभी होटल में रहने वालों के अलावा आसपास के सैलानी भी यहां खाने के लिए आते हुए दिखाई दिए। यहां दो बार हमने वेज फ्राएड राइस और एक
बार वेज बिरयानी और दाल मंगाई। खाने की गुणवत्ता और सर्विस काफी अच्छी है। सर्विस देने वाली सारी स्टाफ महिलाएं हैं। उनका व्यवहार भी अच्छा है।
खतरनाक पारो एयरपोर्ट - पारो
एयरपोर्ट पर विमान उतारना किसी भी पायलट के लिए चुनौती भरा कार्य होता है। हाई
एल्टीट्यूट पर होने के कारण यहां दृश्यता (विजबल्टी) की दिक्कत रहती है। एयरपोर्ट
का एक ही रनवे है जो तकरीबन दो किलोमीटर लंबा है। पर इसके बगल में ऊंचा पहाड़ है।
इसलिए उड़ान भरने या लैंडिंग के समय काफी सावधानी बरतनी पड़ती है।
पारो से थिंपू वापसी – एक बार
फिर हमलोग थिंपू की ओर लौट रहे हैं। दोपहर के दो बजे हैं। हमारे ड्राईवर वहीं हैं
जो हमें टाइगर नेस्ट ले गए थे। केजांग दोरजी ( +975-77403533
) का व्यवहार काफी अच्छा
है। पारो से थिंपू का शेयरिंग किराया 200 रुपये प्रति सवारी है। उन्होंने दो और
सवारियों का इंतजाम कर लिया है। एक घंटे में फर्राटे से वे हमें थिंपू पहुंचा देते
हैं। इस बार हमारा अगले दो दिन का ठहराव होटल भूटान में है। क्राफ्ट बाजार से आगे
भूटान डेवलपमेंट बैंक के पास यह एक नया तीन सितारा शाकाहारी होटल है।
थिंपू से पारो
और फिर थिंपू हमारी वापसी हुई है। जैसे हम विशाल होटल के रिसेप्शन पर पहुंचे, होटल में मौजूद महिला स्टाफ चलकर हमारे पास आई। हमने उन्हें अपनी बुकिंग के बारे में बताया। यह बुकिंग मेक माइ ट्रिप के द्वारा है। उन्होंने कोई कागज देखने को नहीं मांगा। लिफ्ट से हमारा समान लेकर सीधे हमारे कमरे तक पहुंचा दिया। कमरे की डिजिटल चाबी हमें सौंप दी गई। होटल भूटान काफी सुंदर है। हालांकि इसका शाकाहारी भोजनालय थोड़ा महंगा है। इसलिए हमलोग खाने के लिए रात को फिर से होटल गासिल ही पहुंच गए।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(PARO, THIMPU, HOTEL BHUTAN )
(PARO, THIMPU, HOTEL BHUTAN )
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