क्या है टाइगर नेस्ट... नाम से कौतूहल होता है। वास्तव में यह एक विशाल बौद्ध
मठ ही है पर इसे टाइगर नेस्ट कहते हैं। वह इसलिए कि आचार्य पद्मसंभव यहां आठवीं
सदी में बाघ पर सवार होकर आए थे। अगर आप पारो में हैं और टाइगर नेस्ट देखना चाहते
हैं तो हमें कम से कम आधे दिन का समय निकालना पड़ेगा।
पारो शहर से टाइगर नेस्ट का बेस
प्वाइंट 7 किलोमीटर की दूरी पर है। बेस प्वाइंट से टिकट लेने के बाद टाइगर नेस्ट
के लिए चढ़ाई करनी पड़ती है। हरे भरे जंगलों से होकर कच्चा रास्ता। दूरी है 4.5
किलोमीटर। यानी चढ़ना और उतरना मिलाकर देखा जाए तो 9 किलोमीटर का सफर। पर ये हरियाला सफर है। हालांकि
कई लोगों के लिए ये मुश्किलों भरा होता है। खड़ी चढ़ाई होने के कारण तो कई लोग कई बार बीच रास्ते से वापस लौट
आते हैं।
टाइगर नेस्ट की ऊंचाई 3210 मीटर यानी करीब 10 हजार फीट है।
यह स्थान पारो घाटी से 900 मीटर ऊपर है। यह एक
खड़ी चट्टान के शीर्ष पर स्थित दुर्गम स्थान है। दुनिया भर से आने वाले सैलानियों
के लिए पैदल यात्रा की पसंदीदा जगह है। चूंकि टाइगर नेस्ट का सफर थका
देने वाला है इसलिए हमने सुबह चढ़ाई करना तय किया। होटल से चाय, मुरमुरा जैसा
हल्का नास्ता लेने के बाद हमलोग सुबह 7.30 बजे टाइगर नेस्ट के आधार तल पर पहुंच गए
थे। एक दिन पहले ही इसके लिए टैक्सी बुक कर ली थी।
पारो के टैक्सी वाले आधार तल तक छोडने
और फिर लाने के लिए 800 रुपये मांगते हैं। हम सुबह सुबह ही आधार तल पर पहुंच गए हैं। आधार तल से 50-50 रुपये में दो डंडे
किराये पर लेने के बाद हमने चढ़ाई शुरू कर दी है। बैग में पानी की बोतल और कुछ खाने
पीने की चीजें रख ली हैं। रास्ते में कुछ अलग अलग देशों से सैलानी मिलते गए। हमारे
साथ लंदन से आए एक सज्जन चल रहे हैं उनकी उम्र 69 साल है पर चढने को लेकर उनका जोश देखने लायक है। वे टाइगर नेस्ट देखने को लेकर काफी उत्साहित
हैं।
टाइगर नेस्ट के आधे रास्ते पर
कैफेटेरिया आता है, जहां तक घोड़े से जाया जा सकता है। घोड़े वाले इसके लिए 600 रुपये लेते
हैं। पर इसका कोई फायदा नहीं है। उसके आगे तो पैदल ही जाना है। रास्ता हरे भरे जंगलों से होकर जा रहा है। कई जगह सीधी चढ़ाई भी है।
कच्चे रास्ते में पगड़ंडियों से पता चलता रहता है कि आपको किधर जाना है। डेढ़ घंटा
चलने के बाद हमलोग कैफेटेरिया पहुंचे हैं।
यहां पर चाय और बिस्कुट 130 रुपये का
है। इतनी महंगी चाय कौन पीए भला। तो कैफेटेरिया में थोड़ा सुस्ताने के बाद आगे की चढ़ाई शुरू कर दी।
रास्ते में हमें एक कोलकाता का परिवार मिला। पति-पत्नी और उनकी दो नन्हीं बेटियां हैं साथ में। बेटियां थोड़ी थक रही हैं। उनके साथ बातों बातों में सफर कटता रहा।
और देखते देखते हम सबसे
ऊंचे प्वाइंट पर पहुंच गए हैं जहां से टाइगर नेस्ट दिखाई देने लगा है। इसके बाद
तकरीबन 700 सीढ़ियां उतरनी और चढ़नी है। सीढ़ियों का उतार खत्म होने पर एक सुंदर
झरना दिखाई देता है। झरने के सौंदर्य का आनंद लेने के बाद फिर से चढाई है। और अब हम तीन घंटे
की मनोरम पदयात्रा करके पहुंच गए हैं टाइगर नेस्ट के प्रवेश द्वार पर।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(TIGER NEST, PARO, BHUTAN, BUDDHA MATH, WONDER )
बढ़िया पोस्ट ... आभार आपका |
ReplyDeleteएक अनुरोध है कृपया अपने ब्लॉग पर ब्लॉगर का फ़ालोवर वाला विजेट लगा लें ताकि आप के ब्लॉग की फीड सीधे आपके पाठकों तो मिल सके|
सादर |
धन्यवाद
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