Wednesday, May 30, 2018
भूटान मतलब खुशियों का देश – ग्रॉस नेशनल हैपीनेस
Tuesday, May 29, 2018
तीरंदाजी - भूटान का राष्ट्रीय खेल और परंपरा
भूटान के पारो में और फिर इसी तरह पुनाखा में नदी के किनारे बने ग्राउंड पर समूह में काफी लोग तीरंदाजी का मुकाबला करते हुए दिखाई दिए। तीरंदाजी भूटान का राष्ट्रीय खेल है। भूटान के लोग इसमें अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में पदक जीत लाते हैं। भूटान मे जगह जगह तीरंदाजी के क्लब बने हुए है।
तीरंदाजी भूटान की प्राचीन परंपरा है। पर इसे 1971 में राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया गया। इसी साल भूटान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना। सन 1984 से भूटान ओलंपिक खेलों में भी हिस्सा ले रहा है। भूटान के लोग बड़े ही महंगे तीर धनुष का इस्तेमाल करते हैं। फाइबर ग्लास के बने धनुष की कीमत 50 हजार से एक लाख रुपये तक भी होती है।
दरअसल तीरंदाजी भूटान के पुरूष वर्ग में जुनून की तरह प्रवेश कर चुका है। पर हमें एक बुराई इस खेल में घुसी हुई नजर आती है। कई जगह लोग यहां तीरंदाजी मुकाबले में पैसा भी लगाते हैं। यह कुछ कुछ हमारे यहां से सट्टा जैसा ही है। इसमें काफी लोग लाखों कमाते हैं तो काफी लोग बर्बाद भी हो जाते हैं।
Monday, May 28, 2018
कई शादियां कर सकते हैं भूटान के लोग
बीवी अलग होकर मां सकती है गुजारा भत्ता- हालांकि पहली पत्नी के रहते हुए भूटानी कोई दूसरी शादी करता है तो पहली पत्नी उससे अलग रहने का फैसला ले सकती है। इसके लिए वह अदालत में जाकर गुजारा भत्ता मांग सकती है। यह भत्ता हैसियत के अनुसार मिलता है। पर यह कम से कम 600 रुपये मासिक तो होगा ही। पुनाखा में मिली एक भूटानी शादी शुदा महिला बताती हैं कि कई लोग दूसरी और के मुहब्बत में पड़ कर दूसरी शादी रचाते हैं। पर हम ऐसे पति को चाहें तो छोड़ सकते हैं और गुजारा भत्ता मांग सकते हैं। मतलब कि महिला अधिकारों के लेकर सरकार के नियम अब सख्त हुए हैं। इसलिए सरकार अब सिर्फ दो पत्नियों की इजाजत देती है। पर कोई भूटानी महिला अपने देश के बाहर के किसी नागरिक से शादी नहीं रचा सकती।
अनूठा है भूटान का पहनावा- भूटान के ज्यादातर नागरिक और राजघराने के लोग भूटाने पहनावे में ही नजर आते हैं। यहां के पुरुषों के पहनावा का नाम है गो (GHO) और महिलाओं के पहनावा का नाम है कीरा ( KIRA ) राजकीय सेवा में लगे हर कर्मचारी के राजकीय पहनावे में दफ्तर आना अनिवार्य है। यही नहीं अगर कोई आम आदमी सरकारी दफ्तर में अपने किसी काम से जाता है तो भी यही औपचारिक पहनावा में ही जाना जरूरी है। जैसे आप बिजली ,पानी का बिल या हाउस टैक्स जमा करने जा रहे हैं तो भी राजकीय परिधान जरूरी है।
यहां तक की टैक्सी ड्राईवर, टूरिस्ट गाईड के लिए भी ये पहनावा जरूरी है। अगर आप राजकीय परिधान में नहीं हैं तो जुर्माना भरने के लिए तैयार रहिए। महिलाएं तो ज्यादातर औपचारिक परिधान में ही नजर आती हैं। हां पुरुष थोड़ी आजादी ले लेते हैं। स्कूल यूनीफार्म की बात करें तो वह भी भूटानी परिधान में ही होता है।
विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
Sunday, May 27, 2018
मीठी धूप के संग थिंपू की सड़कों पर
सुबह सुबह हम राजधानी थिंपू की सैर करने निकले हैं। सूरज की मीठी धूप सड़कों पर बिखर रही है। क्लाक टावर स्क्वायर से आधा किलोमीटर आगे चलकर हम लोग राजधानी के इमारतों के आसपास से गुजर रहे हैं। कई किलोमीटर तक सड़क पर यूं पैदल चलते हुए हम एक स्वच्छ सुंदर राजधानी और उसकी इमारतों के वास्तु का अवलोकन कर रहे हैं। किसी भी नए शहर में सुबह टहलना मेरा प्रिय शगल है, तो थिंपू में उसे कैसे छोड़ सकता था।
हमलोग रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी भूटान के हाईकोर्ट के पास से गुजर रहे हैं। सन 1955 में राजधानी बनाए जाने के बाद थिंपू में तमाम सरकारी भवनों का निर्माण हुआ है। आबादी की बात करें तो यहां कोई एक लाख 20 हजार लोग रहते हैं। यह भारत के किसी जिला मुख्यालय के शहर से भी कम है।
राजधानी वाले इलाके में वाहनों की आवाजाही भी काफी कम है। कहीं कहीं रंग बिरंगे फूल खिले हुए हैं। वांग चू नदी के किनारे जरूरत के हिसाब से नए भवनों का भी निर्माण कराया जा रहा है। वांग चू नदी के पश्चिमी किनारे पर राजधानी के तमाम भवन स्थित हैं। थिंपू शहर के उत्तरी क्षेत्र में नेशनल एसेंबली और राजा का निवास बना हुआ है।
इस इलाके में थिंपू जोंग भी स्थित है जो भूटान सरकार का राजकीय बौद्ध मठ है। इसका मूल नाम तासिखो जोंग है। यह मूल रूप से 1216 में बना था। पर दो बार नष्ट होने के बाद इसे 1962 में बनवाया गया। तब तीसरे राजा जिग्मे दोरजी वांगचुंक का शासन था। इस जोंग के अंदर शाम को 5 बजे के बाद ही प्रवेश किया जा सकता है।
आमतौर पर इस क्षेत्र में सैलानियों की आवाजाही की मनाही है। पर सुबह की सैर करते हुए हुए हम लोग तमाम मंत्रालयों के आसपास से गुजर रहे हैं।
इन दिनों थिंपू में तीन दिनों का वज्रयान कान्फ्रेंस चल रहा है। यह आयोजन भारत भूटान के कूटनीतिक रिश्तों के स्वर्ण जयंती के मौके पर हो रहा है। हालांकि हम इसमें शामिल होने नहीं आए हैं। कई किलोमीटर की सुबह की सैर करने के बाद अब वापसी। लौटते हुए वांग चू न दी के किनारे पहुंच गए। यहां बेंच पर बैठकर नदी की सुहानी धार को देखते रहना बड़ा सुखद लगता है।
पारो से लौटते हुए हमने भूटान शहर को रात में देखा। यह किसी भी पहाड़ों के शहर की तरह एक अलग नजारा पेश करता हुआ नजर आता है। हां दिवाली सा नजारा। रंग बिरंगा सतरंगा शहर थिंपू।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com ( BHUTAN, THIMPU, CAPITAL)
Saturday, May 26, 2018
स्वच्छता की मिसाल पेश करता राजधानी थिंपू
![]() |
थिंपू में लगी बैग वेंडिंग मशीन। |
![]() |
लहरों का संगीत - थिंपू की एक सुबह - वांगचू नदी के किनारे। |
Thursday, May 24, 2018
अच्छा खााओ, पीयो और मस्त रहो- खुशियों का देश भूटान

( BHUTAN VEG FOOD, PARO, THIMPU, PUNAKHA )
Tuesday, May 22, 2018
चिमी लाखांग - लिंग पूजन की अनूठी परंपरा

Sunday, May 20, 2018
गालिम और सिंगी की प्रेम कहानी - भूटान के रोमियो जूलियट
![]() |
पुनाखा में गालिम का पुस्तैनी घर |
पर गालिम ने अपने पिता को सिंगी के प्रति अपने प्रेम की बात बताई। साथ ही इस राज का भी खुलासा किया कि वह गर्भवती है। यह सब कुछ पिता के लिए झकझोर देने वाला था। नाराज पिता ने गालिम को अपने घर से निकाल दिया। इसके बाद गालिम मोचू नदी के तट पर असहाय घूमती रही। इस दौरान वह सिंगी के प्रेम में विरह के गीत गा रही थी। साथ ही वह हर आते जाते लोगों को अपना संदेश गासा में सिंगी तक पहुंचाने के लिए आग्रह करती थी। पर अपने खराब सेहत और गर्भवती शरीर के कारण गालिम जल्द ही बीमार पड़ गई। कहते हैं कि गालिम के साथ संवेदना जताने के लिए मोचू नदी की धारा भी धीमी पड़ गई।
( PUNAKHA, GALIM AND SINGI LOVE STORY, SING-LEM MOVIE 2011 )