युमथांग घाटी में कुछ घंटे गुजारने के बाद हमलोग वापसी की राह पर हैं। आप चाहें तो यहां से कुछ स्मृति चिन्हों की खरीददारी कर सकते हैं। जैसे बुद्ध मूर्ति या फिर नन्हा सा याक। वापसी में रास्ते में बर्फ धीरे धीरे कम होती जा रही है। कुछ दूर चलने के बाद लाचुंग का सेना का शिविर वाला इलाका आ गया है।

पर हम नहीं जा सके कटाव - खाने के बाद हमलोग कटाव की तरफ चल पड़े। होटल का कमरा खाली कर सामान गाड़ी में रख लिया है। कटाव युमथांग वैली के दूसरी तरफ है। लाचुंग से 28 किलोमीटर चीन (तिब्बत) बार्डर की तरफ। कोई 12 किलोमीटर से ज्यादा का सफर किया होगा कि सामने सिक्किम पुलिस की पूरी टीम मिली। वह रास्ते में बिजली की तार चोरी हो गई थी, उसकी जांच करने पहुंची थी। पर पुलिस अधिकारियों ने ड्राईवर से हमारे परमिट की जांच की।
पुलिस वालों का कहना था कि आपके परमिट में सिर्फ लाचुंग वैली लिखा है, कटाव का जिक्र नहीं है इसलिए आपको यहीं से वापस जाना होगा। सिक्किम पुलिस ने हमसे पूछा किसी के पास ड्रोन कैमरा, सेटेलाइट फोन आदि तो नहीं है। हमने कहा, नहीं। पुलिस का कहना था कि पिछले दिनों कुछ सैलानी इस क्षेत्र में ड्रोन कैमरा और सेटेलाइट फोन के साथ भी पकड़े जा चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने हमारे ड्राईवर महोदय का चालान भी कर दिया।
मैं अपनी सवारी की सलामती के लिए जिम्मेवार हूं- हमें रास्ते में एक साइन बोर्ड नजर आता है। इस पर ड्राईवरों के लिए रोमन हिंदी में कुछ हिदायतें लिखी हैं। इस पर लिखा है कि किस अनुशासन में सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्रों में वाहन चलाना है। पहली लाइन है - मैं अपनी सवारी की सलामती के लिए जिम्मेवार हूं। वास्तव में ऐसे काम के निर्देश देश भर में लिखे जाने चाहिए।
तो हम कटाव जा नहीं सके। अब हमारी कटाव के आधे रास्ते से वापसी हो गई। लाचुंग वैली के थाने में जाकर ड्राईवर महोदय को रिपोर्ट भी करनी पड़ी। यह सब देखकर लगा कि सिक्किम पुलिस के कामकाज का तरीका बड़ा नियमबद्ध और सख्त है। कई राज्यों की तरह कुछ ले दे कर निपटाने का रिवाज यहां पर बिल्कुल नहीं है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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