अगर आप शाकाहारी हैं और आप
भूटान दौरे पर हैं तो किसी शाकाहारी होटल में ही रुके तों अच्छा होगा। ऐसा इसलिए
क्योंकि भूटान में मांसाहार के नाम पर सब कुछ खाया जाता है। यहां की ज्यादातर
आबादी बीफ (गौमांस) भी खाती है। थिंपू शहर में होटल गासिल के अलावा शांति देवा और
होटल भूटान भी शाकाहारी होटल हैं। गासिल और शांतिदेवा बजट होटल हैं, जबकि होटल भूटान
तीन सितारा है।
दोस्त और बेहतरीन गाइड सोनम दोरजी - होटल गासिल हमने दो दिनों के
लिए बुकिंग डाटकाम से बुक किया था। इसके कमरे 1450 रुपये प्रतिदिन के हैं। वैसे
यहां अकेले व्यक्ति के लिए 800 रुपये का भी कमरा है। नोरजिन लाम मुख्य सड़क पर
स्थित होटल के आधारतल पर रेस्टोरेंट और रिसेप्शन है। ऊपर के तीन मंजिलों पर 24
कमरे हैं। होटल का वेज रेस्टोरेंट इतना लोकप्रिय है कि आसपास के लोग भी खाने आते
हैं। रेस्टोरेंट वेज है पर यहां वे ड्रिंक्स पेश करते हैं। वैसे भूटान के हर छोटे
बड़े रेस्टोरेंट के पास ड्रिंक्स का परमिट है, ऐसा देखकर प्रतीत होता है।
होटल गासिल के प्रबंधक सोनम
दोरजी का व्यवहार काफी अच्छा है। वे बहुत अच्छे गाइड भी हैं। साथ ही भूटान आने
वाले सैलानियों के बहुत अच्छे दोस्त। उन्होंने हमें भूटान घूमने का लिए बड़े ही
विस्तार से और धैर्य से गाइड किया। साथ ही कम खर्चे में कैसे घूमा जाए उसकी भी
टिप्स दी। स्वभाव से सोनम दोरजी बड़े विनोदी हैं। उनके एक भाई दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में भूटानी रेस्टोरेंट चलाते हैं।
सोनम दोरजी की सलाह पर हमने एक
दिन पारो में रुकने की योजना बनाई। उन्होंने अपने होटल से दो दिनों की बुकिंग में
एक दिन की बुकिंग रद्द करके हमें पारो में सिटी होटल की अगले दिन की बुकिंग उपलब्ध
कराई। परदेश में इतनी मदद भला कौन करता है। तो सोनम भाई ने अपने व्यवहार से हमारा दिल जीत लिया। वैसे अगर आप भूटान घूमने जा रहे हैं तो पहले या तो पारो में एक रात्रि
विश्राम कर दो दिन वहां घूमें या फिर लौटते हुए पारो में एक या दो रातें ठहरने की
योजना बनाएं।
भूटान में सैलानियों घूमने के लिए तीन प्रमुख शहर हैं। पारो,थिंपू और पुनाखा। अगर आप भूटान पांच रातों का कार्यक्रम बना रहे हैं तो दो रातें पारो दो थिंपू और एक पुनाखा में गुजारें। या थिंपू में ही रुककर पुनाखा दिन भर घूम कर वापस लौट सकते हैं। पुनाखा के लिए सैलानियों को अलग से परमिट लेना पड़ता है। आपके भूटान परमिट की छाया प्रति के साथ एक आवेदन करना पडता है। पास जारी करने वाला इमिग्रेशन आफिस शनिवार और रविवार को बंद रहता है। हमें 25 तारीख यानी रविवार को पुनाखा जाना है तो हमने 23 तारीख की सुबह में ही पुनाखा का परमिट निकलवा लिया। 22 तारीख की शाम को हल्की बारिश के बीच हमने क्लाक टावर के आसपास थिंपू शहर का दौरा किया। बाजार में सामान महंगे हैं।
भूटान में सैलानियों घूमने के लिए तीन प्रमुख शहर हैं। पारो,थिंपू और पुनाखा। अगर आप भूटान पांच रातों का कार्यक्रम बना रहे हैं तो दो रातें पारो दो थिंपू और एक पुनाखा में गुजारें। या थिंपू में ही रुककर पुनाखा दिन भर घूम कर वापस लौट सकते हैं। पुनाखा के लिए सैलानियों को अलग से परमिट लेना पड़ता है। आपके भूटान परमिट की छाया प्रति के साथ एक आवेदन करना पडता है। पास जारी करने वाला इमिग्रेशन आफिस शनिवार और रविवार को बंद रहता है। हमें 25 तारीख यानी रविवार को पुनाखा जाना है तो हमने 23 तारीख की सुबह में ही पुनाखा का परमिट निकलवा लिया। 22 तारीख की शाम को हल्की बारिश के बीच हमने क्लाक टावर के आसपास थिंपू शहर का दौरा किया। बाजार में सामान महंगे हैं।
23 की सुबह सबसे पहले हमलोग छोरटेन
मेमोरियल गए। यह थिंपू शहर का प्रमुख जोंग यानी मठ-मंदिर है। सैलानियों के लिए यह
सुबह 9 बजे से 5 बजे तक खुलता है। विदेशी सैलानियों के लिए 300 रुपये का प्रवेश
टिकट है। छोरटेन मेमोरियल में भूटान सरकार के हाईड्रो इलेक्ट्रिक विभाग के
इंजीनियर मिल गए। बातों बातों में उनसे मित्रता हो गई, उन्होंने हमें भूटान के इमिग्रेन आफिस तक छोड़ दिया। यह दफ्तर
क्राफ्स बाजार के पास ही है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( BHUTAN, THIMPU, HOTEL GHASEL, SONAM DORJEE )
( BHUTAN, THIMPU, HOTEL GHASEL, SONAM DORJEE )
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व मलेरिया दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी
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