गंगटोक
शहर में कई बौद्ध मठ हैं। पिछली बार मैं प्राचीन छोरटेन मोनेस्ट्री देख चुका था। इस बार
हमलोग पहुंचे हैं गोंजांग मोनेस्ट्री। इस बौद्ध मठ का परिसर विशाल है। आपको सड़क
से सीढ़ियां उतरकर मठ में आना पड़ता है। परिसर में बौद्ध भिक्षुओं के लिए विशाल
आवास भी बना हुआ है। इस पांच मंजिला आवासीय परिसर में कई बौद्ध भिक्षु स्मार्ट फोन के
साथ लैस और उसमें व्यस्त भी नजर आए।
सुबह 7 से शाम 5 बजे तक खुला - गोंजांग मठ
सैलानियों के लिए सुबह सात बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में आकर अदभुत शांति का एहसास होता है। आप यहां अपने लिए एक घंटे से ज्यादा का समय रखें। यहां हमलोगों ने विशाल धर्म चक्र भी घुमाया और शांति समृद्धि की कामना की। यहां से पवित्र प्रेरणा लेने के बाद अब हमलोग गोंजांग मठ से आगे की यात्रा पर चल पड़े हैं।
मेडिसीन बुद्ध की मूर्ति - गंगटोक शहर के रास्ते में हमें मेडिसीन बुद्धा की मूर्ति दिखाई देती है। मान्यता है कि बुद्ध की यह मूर्ति आपको स्वस्थ और निरोग होने का आशीर्वाद देती है। यहां बुद्ध की परिकल्पना एक फिजिशियन के तौर पर की गई है। एक ऐसा फिजिशयन जो आपको बाह्य और आंतरिक दोनों तरह के रोगों से मुक्ति दिलाता है।
रास्ते में स्कूल में पढ़ने वाली दो भूटिया बालिकाएं कार में लिफ्ट मांगती हैं। ड्राईवर मुझसे अनुमति मांगते हैं। मैं कहता हूं बिठा लिजिए। पहाड़ों पर देर तक कोई वाहन नहीं मिलता कई बार। दो किलोमीटर आगे वह बालिकाएं उतर गई।
मंदिर
के परिसर में अत्यंत शांति का वातावरण है। मुख्य मंदिर के अंदर आचार्य पद्मसंभव और गौतम बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं हैं। अंदर की दीवारों पर अत्यंत सुंदर चित्रकारी है।
इन चित्रों में सिक्किम और भूटान में बौद्ध धर्म के प्रसार की गाथा अंकित है। मंदिर
परिसर में गुरु पद्म संभव की कुल 25 प्रतिमाएं बनी हुई हैं, जो उनके द्वारा सिक्किम, नेपाल,
तिब्बत और भूटान में बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार की गाथा सुनाते हैं।

मेडिसीन बुद्ध की मूर्ति - गंगटोक शहर के रास्ते में हमें मेडिसीन बुद्धा की मूर्ति दिखाई देती है। मान्यता है कि बुद्ध की यह मूर्ति आपको स्वस्थ और निरोग होने का आशीर्वाद देती है। यहां बुद्ध की परिकल्पना एक फिजिशियन के तौर पर की गई है। एक ऐसा फिजिशयन जो आपको बाह्य और आंतरिक दोनों तरह के रोगों से मुक्ति दिलाता है।
वह अंतर को
शुद्ध करता है और आपको सत्य के मार्ग की ओर चलने की प्रेरणा देता है। सड़क
के किनारे पत्थरों पर बने मेडिसीन बुद्ध की मूर्ति के नीचे सिक्किम सैन्य पुलिस
द्वारा उनकी विशेषताएं लिखवाई गई हैं। हम भी बुद्ध से स्वस्थ निरोग रहने की
प्रार्थना करते हुए आगे की राह पर बढ़ चले हैं।
रास्ते में स्कूल में पढ़ने वाली दो भूटिया बालिकाएं कार में लिफ्ट मांगती हैं। ड्राईवर मुझसे अनुमति मांगते हैं। मैं कहता हूं बिठा लिजिए। पहाड़ों पर देर तक कोई वाहन नहीं मिलता कई बार।
गंगटोक
में देवराली की ओर जाते हुए आगे एक और झरना आया। यहां पर सैलानियों की खूब भीड़ लगी
थी। कुछ मनोरंजन का भी इंतजाम था। यूं लग रहा है लोग पिकनिक मना रहे हैं। थोड़ी देर यहां रुक कर हमलोग फिर आगे बढ़ चले। इस बीच हमें
बुजुर्ग टैक्सी वाले मधुकर भाई ने कई और जानकारियां दी गंगटोक के बारे में।
गंगटोक से वापसी - अब सिक्किम से चला चली की वेला है। पर तीसरी बार भी सिक्किम आने की इच्छा बनी हुई है। गंगटोक के देवराली
स्टैंड पर मेरे पिता की उम्र के टैक्सी ड्राईवर मधुकर भाई ने हमें टैक्सी के बजाय बस से जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, इससे समय और पैसा दोनों बचेगा। बस में गंगटोक
सिलिगुड़ी का किराया 160 रुपये है, जबकि टैक्सी में 250 रुपये। सस्ता होने के बावजूद बस का सफर ज्यादा
आरामदेह है। छोटी बस है जिसमें लेग स्पेस अच्छा है। सामान रखने की जगह भी है। हमें
बाघ पुल उतरना है तो वहां तक का किराया 140 रुपये ही है। बस तुरंत चल पड़ी।
![]() |
रंगपो में वापसी के समय... |
सिक्किम के आखिरी पड़ाव रंगपो
में बस पांच मिनट के लिए रुकी। हमने यहां जूस की बोतलें खरीदी। बाकी के छोटे-छोटे स्थलों पर अगर कोई सवारी उतरने
चढ़ने वाली हो तो रुक जाती है, वरना अपनी गति से चलती जा रही है। बस में सीट से
ज्यादा सवारियां नहीं है। तीस्ता के साथ वापसी का भी सफर सुहाना है। हमलोग 11.30
बजे गंगटोक में बस में बैठे थे। तकरीबन ढाई बजे बस ने हमें सेवक से पहले कोरोनेशन
ब्रिज यानी बाघ पुल पर उतार दिया। तो अलविदा सिक्किम।
-
विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com ( GONJANG MONASTERY, MEDICINE BUDDHA, GANGTOK, SIKKIM, )
आगे पढ़िए - भूटान की यात्रा.....
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 18 अप्रैल - विश्व विरासत दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षवर्धन भाई
ReplyDelete