डिकाचू में तीस्ता नदी। |
उनके पास सिक्किम के सैर सपाटा
वाले स्थलों की अच्छी जानकारी और व्यवहारिक अनुभव है। मार्च महीने में भी सिक्किम
के तमाम इलाकों में अच्छी बर्फबारी हो रही है। नाथुला मार्ग पर छांगु लेक के आगे
का रास्ता इन दिनों बंद है। हमें पता चला कि रोज सैलानी छांगु लेक या 15 माइल से ही लौट कर आ जा
रहे हैं। तो बिशमिल्लाह भाई की सलाह पर हमने उत्तर सिक्किम की तरफ जाना
तय किया।
पूर्व सिक्किम - इस जिले में राजधानी यानी गंगटोक शहर और उसके आसपास के इलाके आते हैं। इसी जिले में नाथुला में भारत चीन की सीमा, छांगु लेक, बाबा मंदिर आदि इलाके भी आते हैं।
पश्चिम सिक्किम - इस जिले का मुख्यालय गेजिंग हैं। पश्चिम सिक्किम पूर्वी हिमालय क्षेत्र के सबसे खूबसूरत और पवित्र स्थानों में गिना जाता है। यह क्षेत्र अपनी जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है। यह मठभूमि है। यहां के कुछ मठ तो शताब्दियों पुराने हैं। एक रिज पर स्थित संगा चोलिंग मठ 1697 में बना था। इसे सिक्किम राज्य के सबसे प्राचीन मठों में एक माना जाता है। यहां की खेचियापलरी झील अति सुंदर है। पर फिलहाल तो चलेंगे उत्तर सिक्किम में लाचुंग की ओर।
उत्तर सिक्किम जिला सिक्किम राज्य के चार जिलों में से एक है।
इस जिले का मुख्यालय मांगन है। उत्तरी सिक्किम जिले का अधिकांश हिस्सा पर्यटकों के
लिए प्रतिबंधित है, क्योंकि इस संवेदनशील जिले की सीमा चीन से
मिलती है। इसलिए नाथुला की तरह यहां के लिए भी पास
निकलवाना पड़ता है। लाचुंग जाने के लिए दो दिनों का पैकेज गंगटोक में मिलता है।
इसमें पहले दिन सुबह गाड़ी लेकर आपको लाचुंग की तरह जाती है। यह 125 किलोमीटर का
सफर है। रात्रि विश्राम लाचुंग में होता है। अगले दिन युमथांग वैली, जीरो प्वाइंट
आदि की सैर के बाद देर शाम तक गंगटोक वापसी। इस पैकेज में दोपहर का भोजन, रात्रि
भोजन, अगले दिन सुबह का नास्ता, दोपहर का खाना के साथ ही रात्रि में लाचुंग में
होटल में रहना भी शामिल है।
नार्थ सिक्किम का यह पैकेज 1200 रुपये प्रति यात्री से 1700 रुपये प्रति यात्री तक का हो सकता है। हमने एनएच 31ए पर नाथुला टूर एंड ट्रैवल्स से अपना पैकेज बुक कराया। यह ट्रैवल एजेंसी एमजी रोड के ठीक नीचे स्थित है। हमारा पैकेज 1200 रुपये में तय हो गया। यह काफी किफायती रहा। तो अब परमिट के लिए आधार कार्ड और दो तस्वीरें जमा करानी थी।
नार्थ सिक्किम का यह पैकेज 1200 रुपये प्रति यात्री से 1700 रुपये प्रति यात्री तक का हो सकता है। हमने एनएच 31ए पर नाथुला टूर एंड ट्रैवल्स से अपना पैकेज बुक कराया। यह ट्रैवल एजेंसी एमजी रोड के ठीक नीचे स्थित है। हमारा पैकेज 1200 रुपये में तय हो गया। यह काफी किफायती रहा। तो अब परमिट के लिए आधार कार्ड और दो तस्वीरें जमा करानी थी।
बेटे अनादि के पास तस्वीरें नहीं थीं तो बगल वाली दुकान में फटाफट फोटो खिंचवाकर दे दिया गया। पैकेज
बुक होने के बाद हमलोग एमजी रोड पर टहलने निकल गए। यहां लक्ष्मी स्वीट्स में छोले
भठूरे, पूरी और मिठाइयां खाई गईं। मैं अपनी पिछली यात्रा में भी लक्ष्मी स्वीट्स में आया था। इस बार उनके मालिक से थोड़ी देर बातचीत हुई।
थोड़ा एमजी रोड की रौनके बहार लूटने के बाद
अनादि ने मोमोज भी उदरस्थ किए। यही सब कुछ हमारा डिनर हो गया। अनादि को भी एमजी रोड पर खूब आनंद आया। उसके बाद हमलोग होटल वापस चल पड़े। एमजी रोड से हमारा होटल आधे किलोमीटर की दूरी पर है।
चार हिस्सों में बंटा है सिक्किम - तो देश का नन्हा सा खूबसूरत राज्य सिक्किम राज्य चार हिस्सों में बंटा हुआ है। टूरिज्म के लिहाज से भी चार हिस्से में है। तो जान लेते हैं कौन से हैं वे चार हिस्से-
नार्थ सिक्किम - ( इसका मुख्यालय
मंगन में है ) उत्तर सिक्किम जिले के तहत लाचूंग घाटी, युमथांग वैली, जीरो प्वाइंट, कटाव, चुंगथांग, गुरु डंगमार लेक आदि इलाके आते हैं।
दक्षिण सिक्किम - इस जिले में नामची का इलाका आता है। यह गंगटोक से
दार्जिलिंग के मार्ग पर पड़ता है। इसमें नामची में चार धाम मंदिर , चाय के बागान और भी कुछ
दिलकश नजारे देखे जा सकते हैं।
पूर्व सिक्किम - इस जिले में राजधानी यानी गंगटोक शहर और उसके आसपास के इलाके आते हैं। इसी जिले में नाथुला में भारत चीन की सीमा, छांगु लेक, बाबा मंदिर आदि इलाके भी आते हैं।
पश्चिम सिक्किम - इस जिले का मुख्यालय गेजिंग हैं। पश्चिम सिक्किम पूर्वी हिमालय क्षेत्र के सबसे खूबसूरत और पवित्र स्थानों में गिना जाता है। यह क्षेत्र अपनी जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है। यह मठभूमि है। यहां के कुछ मठ तो शताब्दियों पुराने हैं। एक रिज पर स्थित संगा चोलिंग मठ 1697 में बना था। इसे सिक्किम राज्य के सबसे प्राचीन मठों में एक माना जाता है। यहां की खेचियापलरी झील अति सुंदर है। पर फिलहाल तो चलेंगे उत्तर सिक्किम में लाचुंग की ओर।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( NATHULA TOURS, VAJRA STAND, LACHUNG )
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