तालबेहट की सड़क पर अलग
बुंदेलखंड राज्य की मांग वाली होर्डिंग नजर आती है। वैसे अलग बुंदेलखंड राज्य की
मांग बहुत पुरानी है। पर यह लगातार टलता रहा। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ
जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड राज्य के गठन किए जाने की मांग है।
तालबेहट के सरकारी डिग्री कालेज
की छात्राएं मधुर आवाज में बुंदेली लोकगीत को सुर देती हुई लड़कियां गा रही
हैं- देश मेरा बुंदलेखंड न्यारो हमें लगे
प्राणन से प्यारो... पर इस न्यारे बुंदेलखंड का यूपी,
एमपी और केंद्र सरकार से हमेशा उपेक्षा ही मिली है। वर्तमान में
बुंदेलखंड क्षेत्र के हालात बहुत ही गंभीर है। यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक
संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह काफी पिछड़ा है। इसका मुख्य कारण तो
राजनीतिक उदासीनता ही है। न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें इस क्षेत्र के
विकास के लिए गंभीर हैं। इसलिए इस इलाके के लोग अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग लम्बे
समय से करते आ रहे है।

बुंदेलखंड इलाका 914 ईस्वी में अस्तित्व में आया था। अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे बुंदेलखंड
इलाके में लगभग पांच करोड़ की आबादी और 70 हजार वर्ग
किलोमीटर के क्षेत्र आता है। साल 211 की जनगणना के अनुसार
बुंदेलखंड क्षेत्र की आबादी 1.83 करोड है। अंग्रेजी हुकूमत
के दौरान ये अलग प्रदेश था। बुंदेलखंड को राज्य बनाने की मांग वर्ष 1955 में शुरू हुई थी। तब राज्य पुनर्गठन आयोग ने इसकी सिफारिश भी की थी। तभी
से यह मुद्दा लगातार चल रहा है।

वादे और धोखा –
2012 विधानसभा चुनाव में
बुन्देलखण्ड कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी फिल्म स्टार राजा बुन्देला चुनावी मैदान
में उतरे थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि वे अलग राज्य की मांग पर
कायम हैं। लोकसभा चुनाव में जब केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, गृह
मंत्री राजनाथ सिंह और स्वयं पीएम मोदी ने झांसी में आकर जनता से वादा किया था यदि
उनकी सरकार बनती है तो तीन साल में बुन्देलखंड राज्य बना दिया जाएगा।

05 जनवरी 2018 को - बुंदलेखंड राज्य की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के सदस्यों नेझांसी के गांधी उद्यान में एकत्र होकर अपने
खून से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे। बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के
अध्यक्ष भानू सहाय के नेतृत्व में सैंकडों लोगों ने खून से लिखे पत्र में कहा -
बहुत हुआ, अब हमारा सब्र टूट रहा है। ऐसा न हो कि हमें कोई
और कदम उठाना पड़े।
बुंदेलखंड के दर्शनीय स्थल –
झांसी, ओरछा, गढ़कुंडार,
देवगढ़, तालबेहट, खजुराहो,
चित्रकूट, महोबा, पन्ना। प्रमुख नदी - बेतवा।
हमारा दो दिनों का तालबेहट प्रवास यादगार रहा। तालबेहट रेलवे स्टेशन पर कुछ ही ट्रेनें रुकती हैं। तालबेहट का रेलवे स्टेशन छोटा सा है। रात की ट्रेन से हमारा दिल्ली वापसी का आरक्षण है। ट्रेन आधे घंटे देर से आई। हमारे साथ दिल्ली जाने वाले कई लोग हैं। पर दिन भर की थकान के बाद ट्रेन में जगह मिलते ही सभी सो गए।
हमारा दो दिनों का तालबेहट प्रवास यादगार रहा। तालबेहट रेलवे स्टेशन पर कुछ ही ट्रेनें रुकती हैं। तालबेहट का रेलवे स्टेशन छोटा सा है। रात की ट्रेन से हमारा दिल्ली वापसी का आरक्षण है। ट्रेन आधे घंटे देर से आई। हमारे साथ दिल्ली जाने वाले कई लोग हैं। पर दिन भर की थकान के बाद ट्रेन में जगह मिलते ही सभी सो गए।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
Email: vidyutp@gmail.com
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आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन न्यायालय के विरोध की राजनीति : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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