भूटान हमारा ऐसा पड़ोसी देश है, जहां जाने के लिए भारतीय नागरिकों को पासपोर्ट/वीजा की जरूरत नहीं पड़ती। पर
हमें वहां जाने के लिए परमिट बनवाना पडता है। भारतीय नागरिकता के सबूत के लिए
हमारा मतदाता पहचान पत्र (वोटर आई कार्ड)
ही वहां मान्य है। इसके आधार पर ही भूटान सरकार का इमिग्रेशन डिपार्टमेंट परमिट जारी कर देता है। पर अगर 18 साल से कम उम्र
के बच्चे हों तो उनका जन्म प्रमाण पत्र जरूरी है।
आधार कार्ड मान्य नहीं - नेपाल और
भूटान की यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए ‘आधार’ वैध पहचान दस्तावेज नहीं है। यात्रा को
सरल बनाने के लिए 65 साल से अधिक और 15 साल से कम आयु वाले अपनी आयु और पहचान की पुष्टि के लिए अपनी फोटो वाले
दस्तावेज दिखा सकते हैं। इनमें पैन कार्ड, ड्राइविंग
लाइसेंस, केन्द्र सरकार स्वास्थ्य सेवा (सीजीएचएस)
कार्ड और राशन कार्ड शामिल हैं लेकिन आधार कार्ड शामिल नहीं है।
परमिट चेकलिस्ट -
- मतदाता पहचान पत्र या जन्म प्रमाण पत्र
अकेले व्यक्ति का परमिट नहीं - दूसरी
महत्वपूर्ण बात है कि भूटान का परमिट अगर आप टूरिस्ट के तौर पर जा रहे हैं तो अकेले
व्यक्ति का नहीं बनता है। यानी की सैलानियों के लिए परिवार या समूह में होना जरूरी
है। फुंटशोलिंग में भूटान के वीजा,परमिट का दफ्तर भूटान गेट के अंदर द्रुक होटल के पास है।
वीजा-परमिट कोलकाता के भूटानी दूतावास से भी बनवाया जा सकता है। परमिट का दफ्तर सुबह 9 बजे खुल जाता
है। शनिवार रविवार और भूटान सरकार के घोषित अवकाश के दिनों में दफ्तर बंद रहता है।

जयगांव में सुबह सुबह नास्ते के बाद 9 बजे
हमलोग भूटान में प्रवेश कर फुंटशोलिंग के परमिट दफ्तर में पहुंच गए हैं। यहां हमने दो लंबी लाइनें देखीं।
पता चला कि ये लाइन भूटान में जाकर काम करने वाले भारतीय मजदूरों की है।
राजमिस्त्री, बिजली, पलंबर जैसे मजदूर भूटान जाते हैं। वहां दैनिक मजदूरी भारत से
ज्यादा मिलती है। ऐसे मजदूरों को छह माह या एक साल का परमिट जारी होता है। यह
पीवीसी कार्ड पहचान पत्र जैसा होता है।पर भूटान में मजदूरी करने के लिए किसी एजेंट
के द्वारा जाना पड़ता है। एजेंट भी काम दिलाने के नाम पर मोटा कमिशन बनाते हैं।
टूरिस्ट परमिट बनवाने के लिए ज्यादा भीड़ नहीं थी। पर वहां जाकर पता चला कि बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट होना जरूरी है। मैं 13 साल के अनादि का जन्म प्रमाण पत्र लेकर नहीं गया था। हमारी परेशानी बढ़ गई। तभी कुछ लोगों ने सलाह दी कि ह्वाटसएप पर बर्थ सर्टिफिकेट मंगा लिजिए। फिर हमने यही किया। दिल्ली माधवी को फोन कर ह्वाटसएप पर मोबाइल कैमरे से फोटो खिंचवाकर जन्म प्रमाण पत्र मंगाया। फुंटशोलिंग में सामने कैफे में जाकर उसका प्रिंट निकलवाया। फार्म पूरे कर एक बार फिर इमीग्रेशन अधिकारी के पास पहुंचा। पर आप जिस तारीख से आप भूटान की यात्रा शुरू कर रहे हैं उसी तारीख से होटल बुकिंग की रशीद भी आवश्यक है। यह रशीद हमारे पास ईमेल पर थी। हमें उसका भी प्रिंट निकलवाने के लिए एक बार फिर कैफे जाना पड़ा। इस कवायद में आधे घंटे गुजर गए। अब शुरू हुई हमारे सारे कागज की जांच।
भूटान के इमिग्रेशन अधिकारी अपने राजकीय परिधान में बैठे कागज जांच रहे थे। मेरे फार्म पर प्रोफेशन में जर्नलिस्ट लिखा देख वे चौंक गए। पूछा, आप वहां क्यों जा रहे हैं, मैंने कहा बतौर सैलानी घूमने जा रहा हूं। उन्होंने कहा, ठीक है, पर वहां जाकर रिपोर्टिंग मत किजिएगा। हमने उन्हें आश्वस्त किया। उसके बाद फार्म के साथ हमें पहली मंजिल पर भेज दिया। वहां कई काउंटर बने थे। एक काउंटर लाइन में लग गया। वहां महिला अधिकारी ने हमारी डाटा एंट्री की, ऑनलाइन फोटो लिया, उंगलियों के निशान लिए। उसके 10 मिनट बाद दूसरे काउंटर से हमें परमिट मिल गया। हमने बाहर आकर उसका फोटो कॉपी करा लिया। यह जरूरी है क्योंकि पुनाखा जाने के लिए थिंपू में दुबारा परमिट लेना पड़ता है तब फोटो कापी की जरूरत पड़ती है।
टूरिस्ट परमिट बनवाने के लिए ज्यादा भीड़ नहीं थी। पर वहां जाकर पता चला कि बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट होना जरूरी है। मैं 13 साल के अनादि का जन्म प्रमाण पत्र लेकर नहीं गया था। हमारी परेशानी बढ़ गई। तभी कुछ लोगों ने सलाह दी कि ह्वाटसएप पर बर्थ सर्टिफिकेट मंगा लिजिए। फिर हमने यही किया। दिल्ली माधवी को फोन कर ह्वाटसएप पर मोबाइल कैमरे से फोटो खिंचवाकर जन्म प्रमाण पत्र मंगाया। फुंटशोलिंग में सामने कैफे में जाकर उसका प्रिंट निकलवाया। फार्म पूरे कर एक बार फिर इमीग्रेशन अधिकारी के पास पहुंचा। पर आप जिस तारीख से आप भूटान की यात्रा शुरू कर रहे हैं उसी तारीख से होटल बुकिंग की रशीद भी आवश्यक है। यह रशीद हमारे पास ईमेल पर थी। हमें उसका भी प्रिंट निकलवाने के लिए एक बार फिर कैफे जाना पड़ा। इस कवायद में आधे घंटे गुजर गए। अब शुरू हुई हमारे सारे कागज की जांच।
भूटान के इमिग्रेशन अधिकारी अपने राजकीय परिधान में बैठे कागज जांच रहे थे। मेरे फार्म पर प्रोफेशन में जर्नलिस्ट लिखा देख वे चौंक गए। पूछा, आप वहां क्यों जा रहे हैं, मैंने कहा बतौर सैलानी घूमने जा रहा हूं। उन्होंने कहा, ठीक है, पर वहां जाकर रिपोर्टिंग मत किजिएगा। हमने उन्हें आश्वस्त किया। उसके बाद फार्म के साथ हमें पहली मंजिल पर भेज दिया। वहां कई काउंटर बने थे। एक काउंटर लाइन में लग गया। वहां महिला अधिकारी ने हमारी डाटा एंट्री की, ऑनलाइन फोटो लिया, उंगलियों के निशान लिए। उसके 10 मिनट बाद दूसरे काउंटर से हमें परमिट मिल गया। हमने बाहर आकर उसका फोटो कॉपी करा लिया। यह जरूरी है क्योंकि पुनाखा जाने के लिए थिंपू में दुबारा परमिट लेना पड़ता है तब फोटो कापी की जरूरत पड़ती है।
पर्याप्त नकदी लेकर जाएं - परमिट लेकर हमलोग वापस होटल आए। चेकआउट किया। आराम लॉज के मैनेजर नवीन जी जो सीतामढ़ी के रहने
वाले हैं, उन्होंने कहा जितनी भूटानी करेंसी चाहिए मुझसे बदलवा लिजिए बिना किसी
कमिशन के। वापस आने पर बची हुई राशि देकर हमसे फिर भारतीय मुद्रा ले लिजिएगा।
हालांकि भूटान में थिंपू, पारो में भारतीय करेंसी चल जाती है। पर अक्सर लोग 500 और
2000 के नोट नहीं लेते। भारतीय और भूटानी करेंसी का मूल्य बराबर ही है। पर अगर
आपके पास भूटान में नकदी खत्म हो जाए तो वहां एटीएम से निकालने पर 200 रुपये प्रति
ट्रांजेक्शन शुल्क लगता है। अगर कार्ड से किसी दुकानदार को पेमेंट करना चाहें तो
वह 3.5 फीसदी कमीशन मांगते हैं। इसलिए पर्याप्त नकदी लेकर जाएं तो अच्छा है।
- मतदाता पहचान पत्र या जन्म प्रमाण पत्र
-
भूटान में होटल
बुकिंग की रशीद
-
आपका टूर
प्लान
-
परमिट के लिए
भरा हुआ फार्म
-
एक फोटोग्राफ, ( परमिट के लिए कोई शुल्क नहीं है)
- vidyutp@gmail.com
(BHUTAN PERMIT, JAIGOAN, BENGAL )
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फुंटशोलिंग में भूटान परमिट के लिए लाइन मे लगे भारतीय मजदूर। |