अगरतला शहर के सुंदरतम
मंदिरों में से एक है चतुर्दश देवता मंदिर। यह मंदिर वर्तमान शहर से 14 किलोमीटर
दूर पुराने अगरतला में स्थित है। चतुर्दश देवता के मंदिर का परिसर अति
सुंदर है। चतुर्दश देवता से
अभिप्राय उन देवताओं से है जिनकी पूजा त्रिपुरा के शासक परिवार किया करते थे।
इस मंदिर का निर्माण
1761 में त्रिपुरा के राजा कृष्ण माणिक्य देव वर्मा ने करवाया था। मंदिर का
निर्माण उदयपुर से अगरतला राजधानी स्थानांतरिक किए जाने के बाद किया गया। पुराने
मंदिर का जीर्णोद्धार कर अब इसे नया रूप प्रदान किया गया है। पर लोगों की आस्था इस
मंदिर के प्रति सैकडो साल से चली आ रही है।
इस मंदिर का गर्भगृह
गोलाकार है। लाल रंग का यह मंदिर दूर से किसी स्तूप जैसा नजर आता है। चतुर्दश
मंदिर आकार में गोल है और इसके बाहरी क्षेत्र को विशाल स्तंभों पर निर्मित किया
गया है। इसका प्रदक्षिणा पथ भी गोलाकार है। इसके चारों तरफ हरा भरा लॉन है। मंदिर
में 14 देवताओं के विग्रह गर्भगृह में रखे रहते हैं। सभी देवताओं के विग्रह में
उनके सिर दिखाई देते हैं। देव मूर्तियों का पूरा शरीर नहीं है। उन्हें पूजा के समय
निकाला जाता है। इसके बार फिर से अंदर रख दिया जाता है। मंदिर खुलने और बंद होने
का समय निर्धारित है।
जून जुलाई में विशाल
मेला - हर साल जून-जुलाई में
आने वाली पूर्णिमा के मौके पर यहां विशाल मेला लगता है। इस मेले को खाराची पूजा
कहते हैं। इस मौके पर मंदिर परिसर में हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। एक सप्ताह तक
चलने वाले इस उत्सव में त्रिपुरा के हर जिले से लोग पहुंचते हैं। ये मेला सात
दिनों तक चलता है, जिसमें साधु संन्यासी और बाहर से सैलानी भी पहुंचते हैं।
मंदिर का जीर्णोद्धार – हाल के सालों में
अगरतला के चतुर्दश देवता मंदिर का सौंदर्यीकरण 95 लाख रुपये के लागात से कराया गया
है। इसके लिए सरकार ने फंड जारी किया था। मंदिर परिसर में कुछ आकर्षक मूर्तियां
लगी हैं जो आम आदमी का संघर्ष और विकास की कहानी बयां करती प्रतीत होती हैं।
मंदिर के सामने विशाल सरोवर – मंदिर परिसर में विशाल
सुंदर सरोवर का निर्माण कराया गया है। झील के चारों तरफ घाट बने है। सुंदर प्रवेश
द्वार के पास सीढियां उतरकर आप झील में जाकर स्नान कर सकते हैं।
इस मंदिर में कुल
14 देवताओं की पूजा होती है। इन देवताओं को त्रिपुरी (कोकाबराक) भाषा में नाम कुछ इस
प्रकार हैं - लाम्प्रा, अखत्रा, बिखत्रा, बुरासा, थुमनाईरोक, बोनीरोक, संग्रोमा, मवताईकोतोर, त्विमा, सोंग्राम, नोकसुमवताई, माइलूमा, खुलूमा और स्वकलमवताई।
अब इन देवताओं के नाम हिंदी में समझिए – शिव, दुर्गा, विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिकेय, गणेश, ब्रह्मा, पृथ्वी, समुद्र, गंगा, अग्नि, कामदेव और हिमाद्रि। मंदिर परिसर में पूजा और प्रसाद की दुकाने हैं। कई सौ सालों से राजघराने द्वारा चली आ रही पूजा के कारण चतुर्दश देवता मंदिर त्रिपुरा का राजकीय मंदिर माना जाता है।
अब इन देवताओं के नाम हिंदी में समझिए – शिव, दुर्गा, विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिकेय, गणेश, ब्रह्मा, पृथ्वी, समुद्र, गंगा, अग्नि, कामदेव और हिमाद्रि। मंदिर परिसर में पूजा और प्रसाद की दुकाने हैं। कई सौ सालों से राजघराने द्वारा चली आ रही पूजा के कारण चतुर्दश देवता मंदिर त्रिपुरा का राजकीय मंदिर माना जाता है।
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अगरतला के खैरपुर स्थित चतुर्दश देव मंदिर में पूजा अर्चना करते मुख्यमंत्री बिप्लब देब और उनके परिवार के सदस्य। |
पुराना अगरतला राजधानी
और संग्रहालय – मंदिर के बगल में हवेली म्युजियम स्थित है। इस छोटे से संग्रहालय
में त्रिपुरा राजघराने के इतिहास को समझा जा सकता है।
कैसे पहुंचे – अगरतला के मोटर स्टैंड
से पुराने अगरतला के लिए शेयरिंग आटोरिक्शा, बैटरी रिक्शा और टाटा मैजिक जैसी
गाड़ियां मिलती हैं। आप खैरपुर जाने वाले टैक्सी में बैठे। चंपामुड़ा के पास उतर
जाएं। वहां हावड़ा नदी का पुल पार करके आप पुराने अगरतला में पहुंच जाते हैं।
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विद्युत प्रकाश मौर्य
(CHATURDASH DEVTA MANDIR, OLD AGARTALA
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