
कोलकाता
को आम आदमी का शहर कहा जाता है। यहां खाना पीना घूमना अन्य शहरों की तुलना में
निश्चित तौर पर सस्ता है। पर जब आप कोलकाता और आसपास के शहरों को लोकल ट्रेन से
घूमने निकलेंगे तो आपको कुछ अलग नजारा दिखाई देगा। यहां के तकरीबन सभी रेलवे
स्टेशनों पर बाजार सजा हुआ दिखाई देगा। ये बाजार कुछ यूं है कि रेलवे की संपत्ति
पर सालों से अवैध वेंडरों का कब्जा है।
आमतौर
पर देश के किसी भी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर कुछ चयनित स्थलों पर दुकानों या
स्टाल की अलाटमेंट होती है। पर कोलकाता में आपको हर लोकल रेलवे स्टेशन पर
प्लेटफार्म पर लंबा बाजार सजा हुआ दिखाई देगा। जब कुछ साल पहले 2014 में मैंने
सियालदह से काकद्वीप की तरफ गंगा सागर जाने के लिए ट्रेन यात्रा की थी तो हर
स्टेशन के प्लेटफार्म पर लंबा चौड़ा बाजार सजा देखा था।
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प्लेटफार्म पर गन्ने का जूस भी सब्जी बाजार भी.... |
इस
बार की यात्रा में भी इसी तरह का बाजार देखने को मिला। जादवपुर हो या बालीगंज,
दमदम हो या फिर कोई और स्टेशन हर स्टेशन पर प्लेटफार्म पर कई सौ दुकानें सजी हुई
दिखाई देती हैं। आमतौर आपने रेलवे स्टेशन पर टी स्टाल, फूड स्टाल, दवा , बुक स्टाल
आदि देखा होगा। पर कोलकाता के रेलवे स्टेशन पर आप खानेपीने के निहायत ही स्थानीय
स्टाल के अलावा सब्जियों की दुकानें, रेडिमेड कपड़ो की दुकानें, खिलौनों की
दुकानें सब कुछ देख सकते हैं। यानी आपको खरीददारी के लिए बाजार जाने की कोई जरूरत
नहीं है। सबकुछ यहीं से खरीद लें।
वैसे
तो मुंबई में फुट ओवर ब्रिज पर भी दुकानें सजी दिखाई देती हैं। पर कोलकाता के रेलवे
स्टेशनों पर कब्जा करके स्थायी दुकानें बना ली गई हैं। कई दशक से कोई भी सरकार आए
जाए भारत सरकार की संपत्ति पर लोगों का इस कदर कब्जा है कि इसको हटाना मुश्किल हो
गया है। कई रेलवे स्टेशनों पर तो इतनी बुरी तरह कब्जा हो गया है कि रेलवे स्टेशन
के नाम पट्टिकाएं भी ढक गई हैं।
इन
रेलवे स्टेशनों पर दुकाने चलाने वाले लोग कई दशकों से यहां जमे हुए हैं। कई इसमें
लोकल दंतमंजन बेचने वाले, चना, चूड़ा, घुघनी बेचने वाले, अंडे का आमलेट बेचने वाले
भी हो सकते हैं। ये दुकानें सुबह से लेकर देर रात तक गुलजार रहती हैं।
ऐसा
नहीं है कि चेकिंग नहीं होती।कभी कभी
रेलवे की ओर चेकिंग की औपचारिकता निभाई जाती है। इस दौरान सारे दुकानदार दुकानें
बंद करके थोड़ी देर के लिए फरार हो जाते हैं। देश के कई और हिस्सों में रेलवे के
जमीन पर कब्जा हो सकता है पर कोलकाता में जिस तरह प्लेटफार्म पर दुकानें सजी हैं
वह आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेंगी।
हो
सकता है इन दुकानों से कुछ लोगों को सुविधा होती हो, बड़ी संख्या में लोगों को
रोजगार मिला हो, पर सिटी ऑफ जॉय का यह एक बदरंग चेहरा ही तो है।
मैं जनवरी 2018 के अखबार में एक
खबर पढ़ता हूं - हावड़ा स्टेशन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए रेलवे की ओर से शनिवार को अभियान चलाया गया।रेल सुरक्षा बल समेत रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में नोटिस दी गई 19 दुकानों पर कार्रवाई की गई। स्टेशन के विभिन्न प्लेटफार्म पर अवैध तरीके से संचालित की जा रही दुकानों और ट्रालियों पर हथौड़ा चला। 10 दुकानों व 9 ट्रालियोंपर कार्रवाई
की गई।
लेकिन क्या ऐसी ही कार्रवाई
कोलकाता और आसपास के सभी स्टेशनों पर हो सकती है क्या।
-
विद्युत प्रकाश मौर्य
( KOLKATA, LOCAL RAIL, MARKET )
( KOLKATA, LOCAL RAIL, MARKET )
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