सिलचर
शहर के पास उधारबंद में स्थित कांचा कांति मंदिर असम के कछार इलाके के अत्यंत
सुंदर और प्रमुख पूजा स्थल में शामिल है। कछार के लोगों की कांचा कांति देवी में
असीम आस्था है।
इस
मंदिर का निर्माण कछार के शासकों ने 1806 में करवाया था। कहा जाता है कि राजा को
सपने में माता ने दर्शन देकर मंदिर बनवाने की प्रेरणा दी। पर पुराना मंदिर
जीर्णशीर्ण हो जाने पर मंदिर समिति ने नए भव्य मंदिर का निर्माण 1978 में करवाया।
मंदिर का परिसर साफ सुथरा और मनोरम है। कांचाकांति देवी के बारे में कहा जाता है
कि वह काली और दुर्गा दोनों का सम्मिलित स्वरूप हैं।
मंदिर
में जो माता का स्वरूप है वह सुनहले रंग की है। चार भुजाओं वाली देवी की प्रतिमा
का सौंदर्य देखते ही बनता है। रोज यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता का
आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। लोग मंदिर की प्रदक्षिणा करके खुद को धन्य समझते हैं।
मंदिर परिसर का वातावरण है वह आपको
सौंदर्य के साथ आध्यात्मिकता का एहसास कराता है।
कांचाकांति
मंदिर के बगल में भगवान शिव का भी मंदिर है। परिसर में मंदिर समिति का दफ्तर है।
यहां दर्शन के लिए सालों भर पहुंचा जा सकता है। किसी जमाने में इस मंदिर में भी
बलि का रिवाज था। पर अब यह परंपरा बंद हो चुकी है। कछार के लोगों का मानना है कि
कांचाकांति जागृत देवी हैं और वे लोगों की मुरादें पूरी करने वाली हैं। नवरात्र के
समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर में आपको ठगी करने वाले पंडा
या पुजारी बिल्कुल नहीं मिलेंगे। आप अपनी श्रद्धा से यहां पूजा पाठ कर सकते हैं।

कांचाकांति मंदिर
के आसपास छोटा सा बाजार है। यहां प्रसाद की दुकानों के अलावा खाने पीने की अच्छी
और सस्ती दुकाने हैं। खासतौर पर पूरी सब्जी और जलेबी का स्वाद यहां लिया जा सकता
है।
यहां हर रोज विवाह शादी,
जन्मदिन व अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। बराक घाटी, त्रिपुरा, मणिपुर और उत्तरी कछार (डिमा हसाओ) के लोग
सपरिवार यहां मनौती मांगने और पूरा होने पर अनुष्ठान करने आते हैं। इस क्षेत्र के लोगों में
कांचाकांति मां का वही सम्मान है जो गुवाहाटी में मां कामाख्या का।

कैसे
पहुंचे – कांचा कांति मंदिर की दूरी सिलचर शहर के कैपिटल प्वाइंट से 11 किलोमीटर
है। सिलचर शहर के सदरघाट से उधारबंद के लिए शेयरिंग टैक्सी मिल जाती है। जिसका
किराया 10 रुपये है। अगर सिलचर एयरपोर्ट से आना हो तो उधारबंद कस्बे की दूरी 15
किलोमीटर है। उधारबंद टैक्सी स्टैंड से मंदिर 300 मीटर की दूरी पर है। आप एयरपोर्ट
जाने के क्रम में भी मंदिर का दर्शन करते हुए आगे का सफर कर सकते हैं।
शाम को माता के दरबार में - मैं
शाम को कांचा कांति मंदिर पहुंचा हूं। सदर घाट से एक कार मिल गई उसमें महज 10 रुपये किराया देकर मैं अकेला ही मंदिर तक पहुंचा हूं। सदर घाट में बराक नदी का पुल पार करने के
बाद रंगपुर का इलाका आता है। आगे एक चौराहे से सीधा रास्ता तो जिरीबाम चला जाता
है। बायीं तरफ मुडने पर गुवाहाटी जाने वाला एनएच 54 पर गाड़ी कुछ किलोमीटर दौड़ती
है। उसके बाद दाहिनी तरफ वीआईपी रोड पर चल पड़ती है। यह सड़क एयरपोर्ट की ओर जा रही
है।
सियाराम यादव से मुलाकात - मंदिर
परिसर में कुछ स्कूली बच्चों से मुलाकात हुई जो किसी स्पोर्ट्स मीट में हिस्सा
लेने यहां पहुंचे हैं। दर्शन के बाद वापस लौटते हुए उधारबंद के बाजार में जलेबी और
समोसा खाता हूं। वापसी में मारूति वैन मिलती है। इसके ड्राईवर सियाराम यादव बिहार
के दरभंगा के हैं। पर 70 के दशक से इधर ही रह रहे हैं। पहले एक चाय की फैक्ट्री
में नौकरी की। तीन साल पहले 60 की उम्र में रिटायर हो गए। तब घर बैठना अच्छा नहीं
लगा तो अब टैक्सी चला रहे हैं। वे 64 की उम्र में पूरी तरह से फीट हैं। आजकल असम में चल रहे एनआरसी से वे भी काफी परेशान हैं। लिस्ट में उनकी पत्नी का नाम है पर उनका ही नाम गायब हो गया है।
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विद्युत प्रकाश मौर्य
( KANCHAKANTI TEMPLE, UDHARBAND, SILCHAR )
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उधारबंद में पान सुपारी का बाजार... |
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