हावड़ा रेलवे स्टेशन पर कहीं भी इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के
वालंटियर नजर नहीं आए। बाद में लोगों ने बताया कि कोलकाता और सियालदह में भी कोई
स्वागत कक्ष काम नहीं कर रहा था। हालांकि 78वीं हिस्ट्री कांग्रेस के सर्कुलर में
लिखा था कि स्वागत के लिए वालंटियर तैनात मिलेंगे। खैर में बस का नंबर पता करके
जादवपुर यूनीवर्सिटी के लिए प्रस्थान कर जाता हूं। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर रिपोर्ट
करने के बाद अपनी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करता हूं। बैग खत्म हो गए हैं।
किट के नाम पर कुछ नहीं। आवास व्यवस्था की बात की तो कोई उत्तर नहीं।
देश भर से आए
सैकड़ो लोग आवास के इंतजाम के लिए भटक रहे हैं। मैं अपनी सदस्यता रिन्यू करा चुका हूं।
डेलीगेट फी भी समय पर डाक से भेज चुका हूं फिर भी आवास देने से इनकार। ऐसा इससे
पहले किसी हिस्ट्री कांग्रेस में नहीं हुआ। मैं 2002 में अमृतसर, 2014 में जेएनयू
दिल्ली, 2015 में बंगाल के मालदा टाउन की कांग्रेस में जा चुका हूं। देश भर से आए
कालेज और यूनीवर्सिटी के शिक्षक परेशान हैं।
लंच कूपन लेकर खाने की लाइन में लगा पर खाना भी अत्यंत घटिया
गुणवत्ता का है। मन खट्टा हो गया। मेरा ही
नहीं तमाम लोगों को शिकायते हैं। इंतजाम से। शाम होते होते हमलोग एक दल बनाकर
जादवपुर यूनीवर्सिटी के वीसी सुरंजन दास के पास शिकायत करने गए। पर उनका जवाब बड़ा
गैरजिम्मेवाराना था। सुनने में आया कि 27 तारीख की शाम को भी आवास व्यवस्था को
लेकर चिलपों और लड़ाई हो चुकी है। देर शाम हमलोगों को दो बस में बिठाकर बॉलीगंज
इलाके के एक होटल में ले जाया गया। पर उस होटल के सारे कमरे जल्द ही भर गए। होटल
वाले ने ऊपर डायनिंग हाल में धर्मशाला की तरह रहने का विकल्प दिया।

29 तारीख की सुबह बालीगंज से लोकल ट्रेन पकड़कर जादवपुर
यूनिवर्सिटी पहुंचा। वहां पर सुबह का नास्ता एक बार फिर घटिया गुणवत्ता का मिला। हमें
मालदा टाउन के खाना पीना याद आता है। वह अच्छी गुणवत्ता का था। समय पर ईमेल करने
के बावजूद पर्चे की सूची में मेरा नाम नहीं। दुबारा से नाम दर्ज कराया तो अब मेरी
बारी 30 दिसंबर को ही आने की उम्मीद है। थोड़ी देर प्रोफेसर हितेंद्र पटेल जी के
समूह में दलित हिस्ट्री के पैनल में गया। वहीं अच्छी चर्चा सुनने को मिली।
दोपहर
के बाद कोलकाता घूमने निकल गया। चौरंगी और इंडियन म्युजियम उसके बाद प्रभात खबर के
दफ्तर में स्थानीय संपादक श्री तारकेश्वर मिश्र जी, पुराने साथी नवीन श्रीवास्तव
और अजय विद्यार्थी से मुलाकात। रात को होटल वापस। 30 दिसंबर की सुबह 11 बजे से
पहले हमारे पर्चे का नंबर आ गया। इस बार मेरा शोधपत्र पटियाला स्टेट मोनो रेल
सिस्टम पर है। प्रोफेसर पीके शुक्ला जी का पैनल था जहां मैंने पर्चा पढ़ा। दोपहर
से पहले निकल गया मैं देउल्टी के लिए। हावड़ा से आगे शरतचंद्र के गांव में। वहां
से लौटकर दुर्गानगर ( दमदमकैंट से आगे ) अजय विद्यार्थी के घर पहुंचा।
हर बार की तरह 78वीं इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में भी कुछ पुराने
साथियों से मुलाकात और कुछ नए लोगों से परिचय हुआ। पर यह हिस्ट्री कांग्रेस अपनी
बदइंतजामी के लिए ही याद किया जाएगा।
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विद्युत प्रकाश
मौर्य
( INDIAN HISTORY CONGRESS, JADAVPUR UNIVERISTY, KOLKATA, HOTEL NIHAR INN )
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