मिजोरम की राजधानी आईजोल शहर के ट्रेजरी स्क्वायर पर टहलते हुए याद आया कि नीवा ने मुझे अपने घर आने का
आमंत्रण दिया था। कौन नीवा, वही जिसकी हमने आईजोल आते समय सूमो में मुलाकात की बात
पीछे की थी। मेरे पास समय था तो सोचा चलते हैं नीवा के घर। फोन मिलाया। उसने तुरंत अपने घर
आने का रास्ता बता गाइड कर दिया। वैसे तो आईजोल में सिटी बसें चलती हैं पर छुट्टी का दिन
होने के कारण मामला ठंडा है। सड़कों पर सिटी बसें कम दिखाई दे रही हैं। सामने
राजभवन वाले चौराहे पर कुछ हवा मिठाई और गोलगप्पे वाले बैठे हैं। यहां भी
गोलगप्पा। तो गोलगप्पा को क्यों न राष्ट्रीय खाद्य-भोज्य पदार्थ घोषित कर दिया जाए ।
उत्तर-दक्षिण-पूरब पश्चिम सब जगह तो मिलता है। सिर्फ नाम बदल जाता है। बिहार में
घुपचुप, झारखंड में फोकचा। दिल्ली में गोलगप्पा तो मुंबई में पानीपूरी।
कोई बस उपलब्ध नहीं है तो मैं पैदल ही चल पड़ता हूं। लोगों से रास्ता पूछता हुआ। पहुंचना है
खतला। अपर खतला पहुंचकर एक बार फिर पूछता हूं। आईजोल कॉलेज के आसपास पहुंचना है।
बंधन बैंक के पास नीवा सड़क पर ही हमारा इंतजार करती मिल गई। नीवा के पिता मदन राय
बिजली विभाग में हैं। पूरा परिवार अत्यंत सज्जन। थोड़ी देर बैठने के बाद चलने की
बातकरता हूं। पर मां कहती हैं खाना खाकर जाएं। दाल भरी हुई पूडी और खीर। नए साल का
पहला भोजन। दूर आईजोल में लेकिन अपने गृह राज्य बिहार के एक परिवार के बीच। अपने
घर की तरह और पूड़ी लिजिए की जिद। ये सब कुछ याद रहेगा। यहां पर नीवा के कुछ
रिश्तेदारों और उनके भाइयों से भी मुलाकात हुई।
कई
और मजेदार बातें। यहां मजदूरों को मोटिया कहते हैं। बाहर से आए लोगों को बाइपा। पर
बड़ी संख्या में बाहरी मजदूर आईजोल में हैं। अगर आप मिजोरम में बुजुर्ग लोगों को
सम्मान देना चाहते हैं तो उनके नाम से पहले पू लगाएं। यहां श्रीमान जैसा कुछ होता
है। चलते चलते, नीवा ने मुझे शाम तक कुछ और स्थलों के भ्रमण के बारे में सलाह दी।

जी हां, बाइक टैक्सी गुरुग्राम और नोएडा की तरह यहां भी चल रही है। साल 2017 में आईजोल शहर में बाइक टैक्सी परिचालन में आई है। एक्टिवा जैसी स्कूटी को बाइक टैक्सी में संचालित किया जा रहा है। दोपहिया का नंबर पीले रंग का है और बाइक टैक्सी ड्राईवर के पास हेलमेट भी पीले रंग का है। आपको जहां भी जाना है ड्राईवर से किराये का मोलभाव करें। पहाड़ी शहर है इसलिए किराया तय नहीं किया गया है। पर यह टैक्सी से काफी सस्ता है। आधे से भी कम है। मतलब सिटी बस और टैक्सी के बीच शहर में घूमने का एक और विकल्प है। शहर में ऐसी कई सौ बाइक टैक्सी संचालन में आ गई हैं। ये बाइक टैक्सी वाले लोग आसपास के 10-12 किलोमीटर दूर गांव में भी चले जाते हैं।
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