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आईजोल में एमएनएफ का मुख्यालय |
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में 40 में से 32 सीटें कांग्रेस ने जीतकर सरकार बनाई, वहीं
एमडीए (मिजोरम डेमोक्रेटिक एलायंस) 8 सीटें ही जीत पाया था। एमडीए में मिजो नेशनल फ्रंट, मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस
और मेरालैंड डेमोक्रेटिक एलायंस शामिल थे।
मिजोरम में 40
मे 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित
है। सिर्फ आईजोल इस्ट सीट ही समान्य है। कुल 11 विधानसभा
क्षेत्र आईजोल में ही हैं। साल 2013 में चुनावी मैदान में लालनथन हवला (मुख्यमंत्री), जोरामथंगा
(पूर्व मुख्यमंत्री, एमएनएफ),आर.
रोमविया (विधानसभा अध्यक्ष), जोहाल्सो (विधानसभा
उपाध्यक्ष) सहित कुछ दिग्गज भी चुनाव के मैदान में थे।

पर तीसरी बार 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट ने बाजी मारी और जोरामथांगा मुख्यमंत्री बने। साल 2003 में एक बार फिर जोरमाथांगा की अगुवाई में मिजो नेशनल फ्रंट ने सरकार बनाई। पर साल 2008 में पासा पलट गया। फिर कांग्रेस सत्ता में वापस आई और एक बार फिर लालथनहवला मुख्यमंत्री बने।
मिजोरम के
सबसे लंबे समय तक के सीएम - ललथनहवला
मिजोरम में कांग्रेस का चेहरा
और सबसे लंबे समय तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे ललथनहवला राज्य की राजनीति के मंजे हुए खिलाडी हैं ।ललथनहवला ने अपना कैरियर एक रिकॉर्डर के तौर पर शुरू किया था। उसके बाद उन्होंने
असम को-ऑपरेटिव अपेक्स बैंक में असिस्टेंट के रूप में काम किया। 1967 तक वे राजनीतिक
पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट के सचिव रहे।
ललथनहवला 1967 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल
हो गए। 1973 में वे मिजोरम के पार्टी अध्यक्ष चुने गए। उनके नेतृत्व में 1989 में
कांग्रेस पार्टी ने मिजोरम में बहुमत हासिल किया और वे राज्य के मुख्यमंत्री चुने
गए। वह 1989 से लेकर 1998 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। साल 2008 में वह राज्य के एक बार फिर मुख्यमंत्री चुने गए। 2018 में वे मुख्यमंत्री के
तौर पर चार कार्यकाल और 20 साल पूरे कर चुके हैं। इस तरह वे ज्योति बसु और पवन कुमार चामलिंग की सूची में शामिल हो गए हैं।
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एमएनएफ के जोरमथंगा। |
लालडेंगा के उत्तराधिकारी
जोरमथंगा
मिजोरम के दो बार मुख्यमंत्री
रहे जोरमथंगा की बात करें तो वे मिजो नेशनल फ्रंट पार्टी का नेतृत्व करते हैं।
उन्हें लालडेंगा के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता है।
मिज़ो नेशनल फ्रण्ट के तत्कालीन अध्यक्ष लालडेंगा ने ज़ोरमथंगा को अपना सचिव बनाया था। जिस पद पर वे सात वर्षों तक बने रहे। 1979 में वे मिजो नेशनल फ्रण्ट के उपाध्यक्ष बन गए। विद्रोह के दौरान सेना ने जोरमथंगा को गिरफ्तार भी किया था। विद्रोह के दौर में वे म्यांमार के जंगलों में भी रहे। 1990 में हुई लालडेंगा की मृत्यु तक जोरमथंगा उनके सबसे भरोसेमंद सहयोगी थे। लालडेंगा के बाद वे मिजो नेशनल फ्रण्ट के अध्यक्ष बने। वे 1998 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उनका जन्म म्यांमार सीमा के पास मिजोरम के चंफई जिले के सामथांग गांव में 13 जुलाई 1944 को हुआ था।
फिलहाल मिजोरम की राजनीति में ललथनहवला और जोरामथांगा ये ही दो नाम हैं जिनके आसपास राजनीति घूमती है। दोनों 70 के पार हैं। पर राज्य में कोई युवा नेतृत्व फिलहाल उभरता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
मिज़ो नेशनल फ्रण्ट के तत्कालीन अध्यक्ष लालडेंगा ने ज़ोरमथंगा को अपना सचिव बनाया था। जिस पद पर वे सात वर्षों तक बने रहे। 1979 में वे मिजो नेशनल फ्रण्ट के उपाध्यक्ष बन गए। विद्रोह के दौरान सेना ने जोरमथंगा को गिरफ्तार भी किया था। विद्रोह के दौर में वे म्यांमार के जंगलों में भी रहे। 1990 में हुई लालडेंगा की मृत्यु तक जोरमथंगा उनके सबसे भरोसेमंद सहयोगी थे। लालडेंगा के बाद वे मिजो नेशनल फ्रण्ट के अध्यक्ष बने। वे 1998 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उनका जन्म म्यांमार सीमा के पास मिजोरम के चंफई जिले के सामथांग गांव में 13 जुलाई 1944 को हुआ था।
फिलहाल मिजोरम की राजनीति में ललथनहवला और जोरामथांगा ये ही दो नाम हैं जिनके आसपास राजनीति घूमती है। दोनों 70 के पार हैं। पर राज्य में कोई युवा नेतृत्व फिलहाल उभरता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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