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आईजोल में लालडेंगा मेमोरियल। |
पूर्वोत्तर का सुंदर और शिक्षित
राज्य मिजोरम कभी असम का जिला हुआ करता था। पर अलग भाषा संस्कृति होने के कारण यह
ज्यादा समय तक असम के साथ नहीं रह सका। 1950 के बाद ही यहां अलग राज्य की मांग को
लेकर आंदोलन जोर पकड़ने लगा।
यहां के लोगों के जन आकंक्षाओं
के अनुरूप मिजोरम 1972 में
पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। पर इससे मिजो क्षेत्र में शांति स्थापित नहीं की जा सकी। यहां के लोगों की
मांग पूर्ण राज्य की थी जो कई सालों बाद जाकर पूरी हो सकी।
जनता पार्टी के शासन काल में
प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के आदेश पर लालडेंगा को जेल में बंद कर दिया गया था।
पर राजीव गांधी ने मिजो समस्या को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया। वास्तव में साल 1984
में राजीव गांधी का केंद्र में सत्ता में आना मिजोरम के लिए युगांतकारी साबित हुआ।
मिजोरम के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालडेंगा 15 फरवरी 1985 को राजीव गांधी से मिले।
इस मुलाकात में मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने पर सहमति बनाने पर चर्चा
हुई। वास्तव में राजीव गांधी का मिजोरम से काफी लगाव था। उन्होंने यहां की कई
यात्राएं भी की थीं।
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साल 1986 में लुंगलेई के एक गांव में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, मणिशंकर अय्यर एक मिजो घर में। |
पूर्व और दक्षिण में म्यांमार
और पश्चिम में बांग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में
मिजोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य है। अब थोड़ा नजर डालते हैं मिजोरम के अतीत पर। 1891 में ब्रिटिश कब्जे में जाने के बाद कुछ वर्षों तक उत्तर का लुशाई पर्वतीय
क्षेत्र असम के और आधा दक्षिणी भाग बंगाल के अधीन रहा। 1898 में दोनों को मिलाकर एक जिला बना दिया गया जिसका नाम पड़ा—लुशाई हिल्स जिला और यह असम के मुख्य आयुक्त के प्रशासन में आ गया। यह
इलाका ही आगे चलकर मिजोरम कहलाया।
मिजोरम में अलगाववाद का दौर -
वास्तव में 1950 के बाद भारत-सरकार के मिजोरम के प्रति गैर-संवेदनशील होने का आरोप
लगाते हुए मिजोरम के संगठनों ने नाराज होकर एक अलगाववादी अभियान आरम्भ किया था।
मिजोरम में साल 1959
के अकाल में कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई
थी और मानव संपत्ति व फसल का भारी नुकसाना हुआ था। इसके बाद लालडेंगा की अगुवाई
में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने भारत सरकार के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए लड़ाई
शुरू कर दी। हालांकि उनके अभियान को सफलता नहीं मिल रही थी, लेकिन इसके कारण मिजो
समाज हिंसा से पीड़ित था। 1986 के मिजो समझौते के बाद एमएनएफ ने हिंसा का रास्ता
छोड़ भारतीय संविधान के तहत कार्य करने की घोषणा की।
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ताकि हम भूल न जाएं उनको, जिनके बुनियाद पर खड़ा है हमारा आज... |
1986 का मिज़ो समझौता (MIZO
ACCORD ) -
भारत सरकार और मिजो नेशनल फ्रंट के बीच 30 जून 1986 को एक समझौता हुआ जिसे मिजो समझौता कहा जाता है।
भारत सरकार और मिजो नेशनल फ्रंट के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते के बाद मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। राजीव
गांधी और लालडेंगा के बीच हुए इस समझौते के तहत मिज़ोरम को 20 फरवरी, 1987 को भारत का 23वां राज्य बनाया गया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने
दिसंबर 2017 में मिजोरम विधानसभा के विशेष सत्र में कहा कि 1986
के मिजो समझौते दुनिया के लिए एक शानदार उदाहरण है। भारत के लंबे
इतिहास में समझौता व इसकी विरासत सबसे बड़ी सफलताओं में से यह एक है।
- vidyutp@gmail.com - विद्युत प्रकाश मौर्य
(MIZO ACCORD, RAJEEV GANDHI, LALDENGA )
- vidyutp@gmail.com - विद्युत प्रकाश मौर्य
(MIZO ACCORD, RAJEEV GANDHI, LALDENGA )
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