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मिजोरम के बुअलपुई में सड़क के किनारे बना सुंदर मंदिर। |
भूख तो लग गई है। होटल में शाकाहारी विकल्प भी है। 70 रुपये में चावल, दाल, सब्जी, भूजिया, सलाद की थाली। मैं एक थाली आर्डर कर देता हूं। सोनम होटल का खाना अच्छा है। होटल को महिलाएं चला रही हैं। यहां पर पीने की भी सुविधा उपलब्ध है।
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बुअलपुई में 70 रुपये की थाली। |
खाने
के बाद फिर शुरू होता है आगे का सफर। सूमो एजल की ओर एनएच 306 पर दौड़ रही है। सूमो
में मेरी आगे वाली सीट पर बैठी है नीवा। बीटेक अंतिम वर्ष की छात्रा हैं आईजोल के
एक सरकारी इंजीनियरिंग कालेज में। गुवाहाटी आईआईटी से रिफ्रेशर कोर्स करके लौट रही
हैं।
नीवा को पहाड़ों के चक्कर घिन्नी वाले रास्ते में उल्टी की परेशानी है। वह पड़ोस की महिला से खिड़की वाली सीट मांगती है, फिर ड्राईवर से पानी मांगती है। मैं उसे हाजमोला और इमली वाली टाफी देता हूं। वह बताती है कि पहाड़ी सफर में उसे हमेशा परेशानी होती है। मैं उसे वही कुछ पुराने टिप्स देता हूं। लौंग चबाने की सलाह। नींबू और संतरे के छिलके की गंध लेते रहने की सलाह।
नीवा को पहाड़ों के चक्कर घिन्नी वाले रास्ते में उल्टी की परेशानी है। वह पड़ोस की महिला से खिड़की वाली सीट मांगती है, फिर ड्राईवर से पानी मांगती है। मैं उसे हाजमोला और इमली वाली टाफी देता हूं। वह बताती है कि पहाड़ी सफर में उसे हमेशा परेशानी होती है। मैं उसे वही कुछ पुराने टिप्स देता हूं। लौंग चबाने की सलाह। नींबू और संतरे के छिलके की गंध लेते रहने की सलाह।
बातों
बातों में पता चलता है कि नीवा के मातापिता बिहार के हैं। वे वैशाली जिले से आते
हैं। पर कई दशक से मिजोरम सरकार की नौकरी में हैं। नीवा का जन्म आईजोल में ही हुआ
है। तो वह शक्ल सूरत से बिहारी है, बातचीत और व्यवहार में मिजो लड़की जैसी।
नीवा को हिंदी ज्यादा नहीं आती। पर उसे मिजो भाषा और अंग्रेजी अच्छी आती है। इंजीनयरिंग की पढ़ाई पूरी होने वाली है। अब उसे जल्द नौकरी मिल जाएगी। वह अपने सहपाठी मिजो छात्रों के बारे में बताती है। वे खूब नशाखोरी करते हैं। अपने मिजोरम के कई और अनुभव साझा करती है। कई बार मिजो युवा नशाखोरी के लिए लूटपाट भी कर लेते हैं। तो उनसे थोड़ा सावधान ही रहने की जरूरत है। उसे मिजोरम की वर्तमान ललथनहावला की सरकार के कामकाज से भी शिकायत है। सरकार सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं देती और अपनी नाकामियों के लिए असम सरकार कोसती है।
नीवा को हिंदी ज्यादा नहीं आती। पर उसे मिजो भाषा और अंग्रेजी अच्छी आती है। इंजीनयरिंग की पढ़ाई पूरी होने वाली है। अब उसे जल्द नौकरी मिल जाएगी। वह अपने सहपाठी मिजो छात्रों के बारे में बताती है। वे खूब नशाखोरी करते हैं। अपने मिजोरम के कई और अनुभव साझा करती है। कई बार मिजो युवा नशाखोरी के लिए लूटपाट भी कर लेते हैं। तो उनसे थोड़ा सावधान ही रहने की जरूरत है। उसे मिजोरम की वर्तमान ललथनहावला की सरकार के कामकाज से भी शिकायत है। सरकार सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं देती और अपनी नाकामियों के लिए असम सरकार कोसती है।
सफर
में नीवा ने आईजोल शहर और उसके आसपास के बारे में काफी जानकारियां दीं, जो मेरे
लिए बाद में उपयोगी साबित हुईं। टैक्सी से उतरते हुए उसने मुझे अपने घर आने के लिए
भी आमंत्रित किया।
मेरे
बगल में राजू ट्रक वाले बैठे हैं। वे रहने वाले तो हजारीबाग के हैं पर पिछले दो
साल से मिजोरम में ट्रक चला रहे हैं। जब उन्हें पता चलता है कि मैं सासाराम का हूं
तो बड़ी आत्मीयता से पेश आते हैं। कहते हैं – भैया इ जो सड़क के किनारे ऊंचा ऊंचा
पहाड़ देख रहे हो ना इसमें जान बिल्कल नहीं है। इहवां का पहाड़ एकदमे कमजोर है।
कबो कहीं पहाड़ गिर जाता है अउर रास्ता बंद। कहते हैं – मिजोरम में खाने पीने में
बड़ा दिक्कत होता है। पर का करें ट्रक के लाइन में मजबूरी है। और बातों बातों में
हमलोग आईजोल शहर के करीब पहुंच चुके हैं। -
विद्युत प्रकाश मौर्य
(MIZORAM, SUMO, RAJU TRUCK, TRAVEL )
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