उडुपी के मठ और मंदिरों को
घूमते हुए एक अद्भुत म्युजियम से आप रुबरू हो सकते हैं जो ले जाता है आपको बैंकिंग
के इतिहास के पन्नों में। जी हम बात कर रहे हैं कारपोरेशन बैंक संग्रहालय की। यह
उडुपी में श्रीकृष्ण मठ के पास रथ विथी (कार स्ट्रीट) के पास ही स्थित है। यह
बैंकिग जगत का एक हेरिटेज म्युजियम है। साथ ही बैंक कि ओर से यहां वित्तीय शोध
केंद्र का संचालन किया जाता है। बैंकिंग में रुचि रखने वाले लोगों को इस संग्रहालय
की ओर रुख जरूर करना चाहिए।
इस संग्रहालय में सिक्कों का
विशाल संग्रह है। यहां आप 400 इश्वी पूर्व से लेकर वर्तमान समय तक सिक्के और बदलती
हुई बैंकिग व्यवस्था को समझ सकते हैं। वास्तव में यह भवन कारपोरेशन बैंक के
संस्थापक हाजी अब्दुल्ला साहेब का आवास हुआ करता था जिसे कारपोरेशन बैंक प्रशासन
ने संग्रहालय में तब्दील कर दिया है। 12 मार्च 1096 को यहां पर महज 5000 रुपये की
निधि से कारपोरेशन बैंक की शुरुआत हुई थी। यहां पर आप कारपोरेशन बैंक के इतिहास के
अलावा दुनिया के अलग अलग देशों के 1360 से ज्यादा तरह के सिक्कों का संग्रह देख
सकते हैं। फिलहाल इन सिक्कों का बाजार मूल्य 42 लाख से ज्यादा है।
इसके अलावा आप यहां बैंकिंग से
जुड़े यंत्र, रिकार्ड और नोटों का भी संग्रह देख सकते हैं। पूरे भवन को आलोकित
करने के लिए सोलर लाइटिंग का इस्तेमाल किया गया है। संग्रहालय को बेहतर बनाने के
लिए बैंक प्रबंधन की ओर से लगातार प्रयास जारी है।
संग्रहालय में प्रवेश के लिए को
प्रवेश टिकट नहीं है। यहां पर पूरे संग्रह को देखने में एक घंटे का वक्त गुजार
सकते हैं। अंदर के हिस्से में फोटोग्राफी प्रतिबंधित है। स्कूल कालेज के छात्रों
और बैंकिंग में रूचि रखने वालों के लिए यह बेहतरीन जगह है।
संग्रहालय देखने पहुंचे लोगों को जानकारी देने के लिए बैंक के कर्मचारी भी यहां मौजूद रहते हैं। यहां पर आप वस्तु विनिमय प्रणाली के बाद मुद्रा के चलन और वर्तमान स्थित तक लेनदेन के तरीकों के बारे में सहज भाषा में जान सकते हैं।
संग्रहालय देखने पहुंचे लोगों को जानकारी देने के लिए बैंक के कर्मचारी भी यहां मौजूद रहते हैं। यहां पर आप वस्तु विनिमय प्रणाली के बाद मुद्रा के चलन और वर्तमान स्थित तक लेनदेन के तरीकों के बारे में सहज भाषा में जान सकते हैं।
ज्ञान-विज्ञान और मुद्रा संबंधी
बातें हो जाएं तो अब उडुपी के गलियों में घूमिए और थोड़ी खरीददारी करें। शहर के
लोगों का व्यवहार काफी अच्छा है। कार स्ट्रीट पर मुझे एक ग्रंथागार नजर आता है।
वहां से दो किताबें खरीद लेता हूं। ये किताबें उडुपी के बारे में जानकारी दे रही
हैं। पर जी नहीं भरा उडुपी से फिर आने की इच्छा बनी हुई है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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