मुन्नार में रहते हुए मुन्नार
और उसके आसपास घूमने के कई तरीके हैं। आप टैक्सी बुक करके घूम सकते हैं। पर उससे
भी सस्ता तारीका हो सकता है आटो रिक्शा बुक करके घूमना। आमतौर पर आटोरिक्शा वाले एक
दिन के 800 रुपये लेते हैं। आटो दोनों तरफ से खुला रहता है इसलिए अच्छा नजारा
दिखाई देता है। आमतौर पर मुन्नार में हर आटोरिक्शा वाला गाइड और घुमाने का काम
करता है। (राजकुमार आटोवाला - 9447986627 )
तो हमने भी पहले दिन एक आटोवाले से बात कर ली थी कि कल आपके साथ घूमने
चलेंगे। हमारे आटोवाले अच्छे गाइड भी हैं। साथी वे ट्रैकिंग गाइड के तौर पर भी
अपनी सेवाएं देते हैं। अगले दिन वे हमें धोखा दे गए किसी ट्रैकिंग ग्रूप के साथ
चले गए। वहां ज्यादा कमाई थी। पर वे हमें एक दूसरा आटोवाला सुपुर्द करके गए।
मुन्नार में तीन अलग-अलग दिन
तीन अलग अलग रुट पर आप घूमने का कार्यक्रम बना सकते हैं। वैसे केरल टूरिज्म के
मुन्नार स्थित दफ्तर में जाकर टूर बुक किया जा सकता है। इसमें छोटे आकार की बस
आपको दिन भर घूमाती है।
पहले दिन हमारी दिन भर की भ्रमण
यात्रा का पहला पड़ाव था मुन्नार का फ्लावर गार्डन। यह मुख्य बाजार के पास ही
स्थित है। उद्यान विभाग द्वारा व्यस्थित इस गार्डन में कई हजार किस्म के फूल और
औषधीय पौधे हैं। फ्लावर गार्डन के लिए 30 रुपये का प्रवेश टिकट है। बच्चों के लिए
टिकट 15 रुपये का होता है।
हमारा अगला पड़ाव ह
मुट्टुपेट्टी डैम। मट्टुपेट्टी डैम समुद्र तल से 1700 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर बनी मट्टुपेट्टी झील और बांध पर पर्यटक
पिकनिक मनाने आते हैं। यहां से चाय के बागानों का मनमोहक दृश्य नजर आता हैं। यहां
पर पर्यटक बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। मट्टुपेट्टी अपने उच्च विशिष्टीकृत डेयरी
फार्म के लिए प्रसिद्ध है। मट्टुपेट्टी के अंदर व आसपास के शोला वन ट्रैकिंग करने
की सुविधा उपलब्ध कराता हैं। ये जंगल विभिन्न प्रकार के पक्षियों का घर भी है।
यहाँ एक छोटी सी नदी और पानी का सोता भी है जो यहां के आकर्षण को और भी बढ़ा देता
है। इस डैम के पास आप शूटिंग, फोटोग्राफी आदि का आनंद ले सकते हैं। भुट्टा और कुछ
और चीजें खाने पीने के लिए भी उपलब्ध हैं। मुट्टुपेट्टी डैम पर हमें फोटोग्राफर मिले जिनसे हमने फेमिली फोटो खिंचवाई। (रमेश - 8547955668 )
मुट्टूपाट्टी डैम के मार्ग पर
आपको आटो वाले जंगल हनी बी प्वाइंट दिखाएंगे। वह कुछ खास नहीं है। मधुमक्खी के
छत्ते तो बहुत लोगों ने देखा होगा। रास्ते में सड़क पर एक जगह है जहां जंगली हाथी
आते हैं। संयोग से हमें कुछ दूरी पर जंगलों में हाथी विचरण करते हुए दिखाई दे गए।
इस मार्ग का आखिरी प्रमुख आकर्षण
कुंडाला लेक और टॉप स्टेशन है। पूरे रास्ते में दोनों तरफ आपको चाय के विशाल बगान
तो नजर आते ही रहते हैं। मुन्नार में सर्दियों में भी बारिश होती रहती है। यह बारिश
मौसम को और भी सुहाना और आकर्षक बना देती है।
कुंडाला झील पर बना डैम केरल के
प्रमुख डैम में से एक है। इसका नाम सेतुपार्वती डैम है। यह 850 फीट लंबा है। इस
डैम का निर्माण त्रावणकोर के महाराजा चित्रथिरुनाल बालाराम वर्मा ने अपने शासन काल
के 25 साल होने पर करवाया था। डैम के ऊपर सड़क है जिसे दर्शक आरपार कर जाते हैं। उस
पार खाने पीने की छोटी दुकानें हैं। तो हल्की से पेटपूजा के बाद वापस चलते हैं।
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