यहां एक साथ विराजते हैं शिव और
विष्णु
उडुपी के प्रसिद्ध मंदिरों में
से एक अनंतेश्वर मंदिर। यह मंदिर श्रीकृष्ण मठ के बगल में ही स्थित है। यह मंदिर
1200 साल से अधिक पुराना है। वास्तव में यह उडुपी का सबसे प्राचीन मंदिर है। इसका
निर्माण अलुपा वंश के राजाओं ने आठवीं सदी में कराया था।
यह रोचक है कि इस मंदिर के नाम
से गांव शिवाली नाम निकला है। उडुपी के आसपास बड़ी संख्या में शिवाली ब्राह्मण
हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि शिवाली का असली नाम शिवा हाली है। यह माना जाता है
कि शिवा हाली शिवा बेली कहलाने लगा। इसी का आगे नाम रुप्या पीठ या रजत पीठ पड़ा।
अनंतेश्वर मंदिर में शिव की जो
प्रतिमा स्थापित है वह शैव श्रद्धालुओं के मुताबिक शिव की प्रतिमा है। पर वैष्णव
उसे शिव और विष्णु दोनों की प्रतिमा मानते हैं। प्रतिमा देखने पर शिवलिंग के आकार
की है। पर लिंगम के सामने मानव आकृति बनी हुई है। इस आकृति की दिव्य आंखे और मूंछे
दिखाई देती है।
वैष्णव लोग इसे विष्णु प्रतिमा मानते हैं। तो यह हरि (विष्णु) और
हर (शिव) दोनों की प्रतिमा है। हर (महादेव) के शरीर में हरि का वास हो रहा है
यहां। यह अदभुत संयोग है।
कहा जाता है कि आचार्य माधव के
पिता इस मंदिर में पुजारी के तौर पर कार्य करते थे। आचार्य माधव इसी मंदिर परिसर
में अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे। अनंंतेश्वर मंदिर का वास्तु
अद्भुत है। मंदिर का मुख्य भवन आपको हाथी के पीठ की तरह दिखाई देता है। आकार में यह
इस क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है।
हालांकि मंदिर परिसर के बाहर चारों तरफ बाजार
होने के कारण मंदिर का मुख्य भवन दूर से नहीं दिखाई देता है। पर परिसर में प्रवेश
करने पर आपको मंदिर की भव्यता नजर आती है। इसकी छत द्विस्तरीय है। इसके निर्माण
में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मुख्य द्वार पर लकड़ी के विशाल स्तंभ भी
हैं।
मंदिर के गर्भ गृह में
अनंतेश्वर के अलावा गणपति की प्रतिमा है। मंदिर के प्रदक्षिणा पथ में तीर्थकुंड का
निर्माण किया गया है, जहां से श्रद्धालु अभिषेक के लिए जल लेते हैं।
चंद्रमौलेश्वर मंदिर - (शिव मंदिर )
अनंतेश्वर मंदिर के बगल में शिव
का चंद्रमौलेश्वर मंदिर स्थित है। यहां भी श्रद्धालु श्रद्धा से पूजा करने जाते
हैं। इस मंदिर का आधार तल अनंतेश्वर मंदिर से नीचा है। यहां भी शिव की प्रतिमा मानव रूप में है।
कैसे पहुंचे - रेलवे स्टेशन से
मंदिर की दूरी 4 किलोमीटर है। अनंतेश्वर मंदिर सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक खुला
रहता है। मंदिर परिसर के आसपास लकड़ी के सामानों की सुंदर दुकाने हैं। पास में
लगेज रूम और रहने के लिए मठ, अतिथिशाला और धर्मशाला भी उपलब्ध है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
(ANANTESHWARA TEMPLE, CHANDRA MAULESHWARA SHIVA TEMPLE UDUPI )
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