दक्षिण गोवा
के रिवणा गांव में स्थित विमलेश्वर मंदिर शिव का भव्य और अति प्राचीन मंदिर है। गोवा
के श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस मंदिर के शिवलिंगम स्वयंभू शिव हैं। विमल का
मतलब पवित्र और ईश्वर का मतलब भगवान। मंदिर का वर्तमान भवन 1920 का बना हुआ है। पर
इस मंदिर के जीर्णोद्धार का प्रमाण 11 वीं सदी में कदंबा सम्राज्य में और उससे
पहले छठी सदी में चालुक्य सम्राज्य के दौरान का भी मिलता है। मंदिर परिसर में
विमलेश्वर महादेव के अलावा, कमलेश्वर, महाकाली और मारुतिनंदन की भी मूर्तियां
स्थापित की गई हैं।
विमलेश्वर
के स्वंभू शिवलिंगम के बारे में माना जाता है कि यह सैकडों साल पहले इलाके के
निवास कोल समुदाय के लोगों द्वारा स्थापित किया गया था। यह गोकर्ण के महाबलेश्वर
के सदृश प्राचीन है। पर बाद में बाढ़ के दौरान शिवलिंगम कहीं खो गया था। कई सालों
बाद इसे ढूंढ कर फिर से स्थापित किया गया।
कहा जाता है
कि रिवणा गांव में किसी जमाने में कई ऋषियों के आश्रम हुआ करते थे। सघन वन और साफ
पानी के झरनों के कारण इस क्षेत्र को ऋषि लोग काफी पसंद करते थे। इसी कारण से
रिवणा को ऋषिवन भी कहते थे। गोवा का नाम महाभारत काल में गोमंत मिलता है।
कालांतर में रिवणा गांव
में कुनबी नाम से जानी जाने वाली जनजाति ने गाय पालना और खेती बाड़ी की शुरुआत की।
यहां श्रम करके जंगलों को काट कर उन्होंने खेत तैयार किए। इसी खेती के दौरान लंबे समय से विलुप्त हुआ पुराना शिवलिंगम प्राप्त हो गया। यह गांव के लोगों के लिए अत्यंत प्रसन्नता का समय था।
वह एकादशी
का दिन था जब एक कुनबी किसान को खेतों से शिवलिंगम प्राप्त हुआ। विमलेश्वर मंदिर
के गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंगम में कुनबी किसान द्वारा हल चलाने के दौरान
शिवलिंगम हल के लगे निशान आज भी दिखाई देते हैं। गांव के लोगों ने शिवलिंगम
प्राप्त होने पर पहले एक छोटा सा मंदिर बनाकर स्थापित किया। पर अब मंदिर भव्य रूप ले चुका है। विमलेश्वर भगवान
के सम्मान में आज रिवणा के किसान एकादशी के दिन खेतों में हल नहीं चलाते।
एक और खास
बात है कि महादेव शिव के इस मंदिर में भक्त गण चांदी दान करते हैं। मंदिर में लगे बोर्ड
पर लिखा है किस भक्त ने कितने किलोग्राम चांदी दान की। किसी भक्त ने किलो में तो
किसी भक्त ने कुछ ग्राम में चांदी दान की है। हर साल चांदी दान करने वालों की सूची
लंबी होती जा रही है। बाद में इस चांदी से प्राप्त धन को मंदिर परिसर के विकास में
लगाया जाता है।
इस मंदिर के
श्रद्धालु रेवणेकर उपाधि लिखने वाले गौड़ सारस्वत ब्राह्मण लोग हैं जो विमलेश्वर
महादेव को अपना कुल देवता मानते हैं। कदाचित रेवणेकर उपाधि रिवणा गांव के नाम से
ही निकली है।
विमलेश्वर मंदिर
परिसर को भव्य बनाने मे दावणगेरे (कर्नाटक), कारवार
और बेलगाम के भक्तों ने काफी राशि दान की है। दशहरा और शिवरात्रि के समय इस
मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
साल के बाकी दिनों में यहां कम श्रद्धालु दिखाई देते हैं।
रिवणा जाते
समय दाहिनी तरफ पड़ने वाले इस मंदिर का परिसर विशाल है। परिसर में एक सरोवर भी है।
यहां वाहनों के लिए पार्किंग का इंतजाम है। मंदिर परिसर में एक छोटी सी कैंटीन भी
है।
आप मडगांव
से क्वेपे होते हुए रिवणा के विमलेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मडगांव से मंदिर
की दूरी 25किलोमीटर है।
श्री संस्थान
गोकर्ण पुर्तगाली जीवोत्तम मठ - रिवणा में हमें गुफा के पास श्री संस्थान गोकर्ण जीवोत्तम मठ नजर आता
है। यह मठ मंदिर गुफा नंबर दो के पास है। इस सुंदर मठ में मारुति यानी हनुमान जी
का मंदिर है। मंदिर में अतिथियों के रहने का इंतजाम भी है। मंदिर परिसर में एक
श्री रामचंद्र तीर्थ सभागृह का भी निर्माण हुआ है।
जीवोत्तम मठ की शांति और सुंदरता ऐसे ही किसी आश्रम की याद दिलाती है।
महालक्ष्मी का मंदिर – रिवणा यानी ऋषिवन में कई सुंदर मंदिर हैं। इन्ही मंदिरों
में धन धान्य की देवी महालक्ष्मी का भी एक मंदिर है। हमें गांव में एक सुंदर
महालक्ष्मी मंदिर के भी दर्शन करने का मौका मिलता है। मुख्य सड़क पर स्थित यह
मंदिर भी अत्यंत सुंदर है। पीले रंग का मंदिर हरित परिसर में बना हुआ है। रिवणा
जाते समय महालक्ष्मी मंदिर बायीं तरफ दिखाई देगा।
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विद्युत प्रकाश
मौर्य
( VIMLESWAR TEMPLE, SOUTH GOA, RIVONA )
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