दक्षिण गोवा का चांदूर शहर।
इसका असली नाम तो चंद्रपुर था। नाम बिगड़ गया है। चंद्रपुर गोवा में सबसे लंबे समय
तक शासन करने वाला कदंबा सम्राज्य में राजधानी हुआ करता था। सुबह के नास्ते के बाद
स्कूटी से हमलोग चांदूर के लिए निकल पड़े। पहले कोलवा से मडगांव छह किलोमीटर का
सफर। हमें स्कूटी में पेट्रोल डलवाना है। मडगांव शहर में पेट्रोल पंप पूछते हुए एक
पंप पर पहुंच गए। वहां से चांदूर का रास्ता पूछा। रेलवे लाइन को फ्लाइओवर से पार
किया, फिर मडगांव का कैंटोनमेंट इलाका शुरू हो गया। मडगांव से चांदूर की दूरी 10
किलोमीटर बताई जाती है। पर हमलोग स्कूटी से क्वेपे रोड पर चलते हुए थोड़ा आगे निकल
गए। इसलिए हमें यह थोड़ा ज्यादा लगा। रास्ते में एक महिला ने बताया कि आपको कुछ
किलोमीटर पीछे से ही बाएं मुडना था। अब हमलोग वापस आए। जहां मुड़ना था उस चौराहे
पर कोई संकेतक नहीं था। खैर अब हमलोग सही रास्ते पर थे।
रास्ते में एक बोर्ड नजर आया – विलेज पंचायत ऑफ चांदोर वेलकम्स यू। हम निश्चिंत हुए कि अब सही रास्ते पर हैं। थोड़ी देर में हमलोग चांदूर में है। कभी ये शहर कदंबा सम्राज्य की राजधानी हुआ करता था, पर अब किसी गांव जैसा लगता है। मडगांव शहर से कुछ बसें रोज चांदोर के लिए आती हैं।
कुशावती के तट पर समृद्ध शहर था चंद्रपुर
रास्ते में एक बोर्ड नजर आया – विलेज पंचायत ऑफ चांदोर वेलकम्स यू। हम निश्चिंत हुए कि अब सही रास्ते पर हैं। थोड़ी देर में हमलोग चांदूर में है। कभी ये शहर कदंबा सम्राज्य की राजधानी हुआ करता था, पर अब किसी गांव जैसा लगता है। मडगांव शहर से कुछ बसें रोज चांदोर के लिए आती हैं।
कुशावती के तट पर समृद्ध शहर था चंद्रपुर
चांदोर कुशावती नदी के तट पर
बसा हुआ समृद्ध शहर हुआ करता था। कभी इस शहर में विशाल किला और मंदिर हुआ करते थे।
यह एक अंतरराष्ट्रीय महत्व का शहर हुआ करता था। यहां से कई देशों के लिए व्यापार
हुआ करता था। कुशावाती और जुआरी नदियां व्यापार का मार्ग हुआ करती थीं। माना जाता
है कि गोवा कभी मौर्य सम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। इसका चंद्रपुर नाम मौर्य
सम्राज्य के प्रतापी राजा चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से ही निकला है।
चांदोर में तीसरी सदी के राजा
भोज के भी अभिलेख मिले हैं। माना जाता है गोवा पर तीसरी सदी में राजा भोज का शासन
था। न सिर्फ गोवा बल्कि उत्तर कन्नडा और बेलगाम तक यहीं से शासन सत्ता संभाली जाती
थी।
आज चांदोर में कोई रौनक नजर
नहीं आती। बस स्टैंड के पास एक विशाल चर्च है। चर्च के पास कुछ पुरानी इमारते हैं
जो बुरे हाल में नजर आती हैं। आसपास में छोटा सा बाजार है। किसी छोटे से गांव सा
नजर आता है अतीत का ये शहर। लगता है इसे किसी का अभिशाप लग गया हो, जो अब इस हाल
में है।
गांव के बीचों बीच सफेद रंग का
एक सुंदर चर्च है। इसी चर्च के आसपास छोटा सा बाजार है। थोड़ा बाहर चलने पर
कुशावती नदी आती है।
कैसे पहुंचे – मडगांव से चांदोर
पहुंचना आसान है। चांदोर रेलवे स्टेशन (CNR )
भी
है। मडगांव से चांदोर की रेल से दूरी सिर्फ 8.4 किलोमीटर है। कुछ पैसेंजर ट्रेनें
यहां आती हैं। यह रेलवे स्टेशन मडगांव से हुबली जाने वाली लाइन पर आता है। इसी
रेलवे लाइन पर आगे प्रसिद्ध दूधसागर झरना पड़ता है। पर चांदोर में एक्सप्रेस
ट्रेनें नहीं रुकती हैं। सिर्फ वास्कोडिगामा कुलेम पैसेंजर ही यहां पर रुकती है।
हुबली जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेनें यहां बिना रुके आगे बढ़ जाती हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
(CHANDRAPUR, GOA OLD CAPITAL, KADAMBA KINGDOM )
(CHANDRAPUR, GOA OLD CAPITAL, KADAMBA KINGDOM )
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