कर्नाटक के समुद्रतटीय शहर
मंगलुरु का सबसे प्रसिद्ध और भव्य मंदिर है मंजूनाथ स्वामी मंदिर। यानी शिव जी का
मंदिर। मंजूनाथ शिव का लोककल्याणकारी रुप है। कर्नाटक में शिव का लोकप्रिय नाम है
मंजूनाथ। दक्षिण कन्नड़ जिले के इस शिव मंदिर की श्रद्धालुओं में काफी मान्यता है।
कादरी का मंजूनाथ स्वामी मंदिर
12वीं सदी का बना हुआ है। इस मंदिर की संरचना विजय नगर शैली में है। मंजूनाथ
स्वामी की मूर्ति पंच लोहा धातु ( मिश्रित धातु) की बनी हुई है। 15वीं और 16वीं
सदी में मंदिर को नया रुप प्रदान किया गया। कादरी पहाड़ी का सुंदर नजारा मंदिर के
आसपास से दिखाई देता है। मंदिर में लगे 12वीं-13वीं सदी के एक अभिलेख के मुताबिक
राजा ने यहां मंजूनाथस्वामी का मंदिर बनवाया। राजा का नाम स्पष्ट नहीं है। पर माना
जाता है कि अलुपा सम्राज्य की रानी बाली महादेवी (1277-1288) मंजूनाथ स्वामी की
बड़ी भक्त थीं।
हिंदू पौराणिक कथा के मुताबिक
कादरी मंजूनाथ की कथा भारद्वाज संहिता में आती है। इसके मुताबिक भगवान परशुराम ने
शिव को प्रसन्न कर यहां कादलीवन में मंजूनाथ के रुप में रहने के लिए मनाया।
कभी बौद्धमत का बड़ा केंद्र था - यहां कुछ पूर्व ऐतिहासिक काल की
गुफाएं भी देखी जा सकती हैं। कादरी पहाड़ी कभी बौद्ध मत का भी बड़ा केंद्र हुआ
करती थी। बौद्ध मत के मुताबिक काद्रिका का मतलब पहाड़ के पास की उर्वर भूमि होती
है। 968 ई के अभिलेख के मुताबिक यहां काद्रिका विहार हुआ करता था। दसवीं सदी तक
यहां बौद्ध धर्म का काफी प्रभाव था।
इसी विहार क्षेत्र में सनातन
धर्म का प्रभाव बढ़ा। अलुपा सम्राज्य के राजा कुंदावर्मा ने दसवीं सदी में यहां त्रिलोकेश्वर
(विष्णु) की मूर्ति स्थापित की। यह मंजूनाथ स्वामी मंदिर परिसर की सबसे प्राचीन
मूर्ति है। साथ ही यह देश के श्रेष्ठ कांस्य प्रतिमा मानी जाती है।
दसवीं सदी के बाद मंगलुरु में
बौद्ध धर्म का प्रभाव कमजोर होने लगा और नाथ संप्रदाय का प्रभाव बढ़ने लगा। तब
यहां शिव के उपासकों की संख्या बढ़ने लगी और नाथ पंथ के जोगीमठ का भी निर्माण हुआ।
अभी भी कादरी की पहाड़ी पर साधु
संतों और जोगियों का बसेरा रहता है। जोगी मठ के आसपास की गुफाओं को लोग पांडव
गुफाएं कहते हैं। इन गुफाओं का उपयोग योगी लोग तपस्या के लिए किया करते थे। जोगीमथ
में नाथ संप्रदाय से जुड़े भूतनाथ, मत्स्येंद्रनाथ, गोरखनाथ के छोटे छोटे मंदिर
देखे जा सकते हैं।
मंजूनाथ स्वामी का मंदिर परिसर
अत्यंत मनोरम है। मंदिर का गुंबद सफेद रंग का है। मंदिर के गोपुरम के ऊपर गणेश जी
स्थापित हैं। इसके पृष्ठ भाग में सुंदर सरोवर है, जहां श्रद्धालुगण स्नान करते
हैं। यहां पहाड़ों से नियमित जल आता रहता है, जिसका नाम काशी भागीरथी तीर्थ दिया
गया है।
मंदिर से ऊपर जाकर आप जोगीमठ,
काशी काल भैरव और परशुराम धुनी सीता कुआं, पांडव गुफा आदि के दर्शन करने जा सकते
हैं। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए अन्नक्षेत्र की सुविधा भी उपलब्ध है। निःशुल्क
कूपन लेकर मैं भोजनकक्ष में पहुंचा को खाने में खिचड़ी और सांबर का वितरण हो रहा
था।
कैसे पहुंचे –
मंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन से मंजूनाथ स्वामी मंदिर की दूरी 4 किलोमीटर है। यह
कादरी इलाके में स्थित है। शहर के किसी भी कोने से आटोरिक्शा से पहुंचा जा सकता
है। मंदिर के लिए सिटी बसें भी चलती हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर जूता स्टैंड और
लगेज जमा करने की भी सुविधा है।
-vidyutp@gmail.com
(KADRI MANJUNATH TEMPLE )
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