चांदूर में ब्रिगेंजा हाउस की
तलाश करते हुए हमलोग इसके रहस्यमय दरवाजे पर दस्तक देते हैं। यह एक पुर्तगाली
परिवार का निजी संग्रहालय है। हमारे हिन्दुस्तान के खेल पत्रकार सौरभ अग्रवाल जो
अक्सर गोवा जाते रहते हैं उन्होंने हमें ब्रिगैंजा हाउस जरूर देखने की सलाह दी थी। उनकी सलाह
पर हम यहां पहुंच गए थे। पर ब्रिगैंजा हाउस का दरवाजा अंदर से बंद था। थोड़ी कोशिश करने पर
एक सहायक आया। उसने जाकर मालकिन को सूचना दी। फिर मालकिन नेे आकर दरवाजा खुला। मिसेज परेरा ने
हमारा स्वागत किया और हमलोग ब्रिगेंजा हाउस का मुआयना करने लगे।
हालांकि बाहर से ब्रिगेंजा हाउस देखने
में कुछ खास प्रतीत नहीं हो रहा था। एक विशाल पुराना घर नजर आता है बाहर से। पर अंदर एक अलग दुनिया है। अंदर एक एक कमरे में संग्रह देखने के बाद
उत्सुकता बढ़ती गई।
ब्रिगैंजा हाउस 17वीं सदी का बना हुआ एक पुर्तगाली परिवार का निजी घर था, जिसे अब निजी संग्रहालय में बदल दिया गया है। एक विशाल भवन में दो अलग अलग परिवारों के घर हैं, जिनका प्रवेश द्वार मध्य में एक ही है।
चैपल में संरक्षित हैं संत फ्रांसिस का नाखून -
ब्रिगैंजा हाउस 17वीं सदी का बना हुआ एक पुर्तगाली परिवार का निजी घर था, जिसे अब निजी संग्रहालय में बदल दिया गया है। एक विशाल भवन में दो अलग अलग परिवारों के घर हैं, जिनका प्रवेश द्वार मध्य में एक ही है।
चैपल में संरक्षित हैं संत फ्रांसिस का नाखून -

ब्रिगैंजा हाउस के पूर्वी भाग का स्वामित्व परेरा परिवार के पास है। इस विशाल घर में एक छोटा सा चैपल (प्रार्थना गृह) भी है। इस प्रार्थना गृह की कुछ खास बात है। इसमें संत फ्रांसिस जेवियर के नाखून को संभाल कर रखा गया है। यह नाखून ब्रिगैंजा परिवार के पास कैसे आया ये राज का विषय है। जैसा कि आपको पता ही है कि संत फ्रांसिस जेवियर की ममी 400 से ज्यादा सालों से ओल्ड गोवा के चर्च बॉम बेसेलिका में संरक्षित करके रखी गई है।
विशाल हॉल में लकड़ी के एंटिक फर्नीचर -
इस घर में चार विशाल हॉल हैं
जिसमें लकड़ी के फर्नीचर, झूमर समेत कई आकर्षक संग्रह आप यहां देख सकते हैं। हमें
एक ऐसा सोफा सेट दिखाई दिया जिसमें दो लोग बातें करते हुए एक दूसरे से मुखातिब
होकर बैठ सकते हैं।
किरासन तेल से चलने वाला फ्रिज - आगे एक ऐसा फ्रिज दिखाया गया जो
बिजली के बजाय किरासन तेल से चलाया जाता था। इसे देखना अपने आप में अनूठा अनुभव था। यहां संग्रह में प्रदर्शित वस्तुएं
ब्रिगेंजा परिवार के ऐश्वर्य की कहानी सुनाती प्रतीत होती हैं। विशाल बॉल रुम
देखते ही बनता है जिसके निर्माण में इटैलियन मार्बल का इस्तेमाल किया गया है।
अनूठा सोफा - इसमें दो लोग बैठकर एक दूसरे से बातें कर सकते हैं ... |
यहां हाथी दांत से बनी कई तरह
की सामग्री भी देख सकते हैं। लकड़ी की बनी राजा महाराजाओं जैसी कई पालकी का भी
संग्रह यहां देखा जा सकता है।
एक कमरे में ब्रिगैंजा परिवार
की लाइब्रेरी भी है। इसमें 5000 से ज्यादा किताबें हैं। काफी किताबें पुर्तगाली
भाषा में भी हैं। इसके अलावा इसमें फ्रेंज और अंग्रेजी की भी पुस्तकें मौजूद हैं। यह
गोवा की पहली निजी लाइब्रेरी हुआ करती थी।
यह संग्रह इस परिवार के लुइस डी मेनेजेज ब्रिगेंजा (1878-1938) का है। वे एक जाने माने पत्रकार रहे हैं, उनकी गोवा के मुक्ति संग्राम में भी सार्थक भूमिका रही थी। कुल मिलाकर यहां आप 17वीं और 18वीं सदी के किसी रईस परिवार के जीवन के ऐशोआराम की झलक बखूबी देख सकते हैं।
यह संग्रह इस परिवार के लुइस डी मेनेजेज ब्रिगेंजा (1878-1938) का है। वे एक जाने माने पत्रकार रहे हैं, उनकी गोवा के मुक्ति संग्राम में भी सार्थक भूमिका रही थी। कुल मिलाकर यहां आप 17वीं और 18वीं सदी के किसी रईस परिवार के जीवन के ऐशोआराम की झलक बखूबी देख सकते हैं।
प्रवेश के लिए डोनेशन की मांग -
हालांकि ब्रिगैंजा हाउस में प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं है। पर जब आप हाउस देखकर
निकलने लगते हैं तो आपको डोनेशन बाक्स में दान राशि रखने को कहा जाता है। उनकी ये
उम्मीद होती है कि प्रति व्यक्ति कम से कम सौ रुपये दान किया जाए। केयर टेकर का
कहना है कि इसी राशि से हम इस घर का रखरखाव कर पाते हैं। हालांकि केयर टेकर आपको
साथ साथ पूरा हाउस दिखाती हैं, और यहां प्रदर्शित संग्रह के बारे में बताती भी
हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
(BARAGANZA HOUSE, CHANDOR, GOA )
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