![]() |
पणजी का बस केंद्रीय बस अड्डा। |
आबादी के लिहाज से पणजी गोवा में
वास्कोडिगामा और मडगांव से छोटा शहर है। आजकल इसकी आबादी 60 हजार के आसपास है। पर पणजी
चाकचिक्य भरा शहर है। नदी समंदर के बीच महानगरों जैसा लुक मिलता है। अब शहर में
शापिंग मॉल बन चुके हैं। आबादी का बोझ बढ़ रहा है तो ट्रैफिक व्यवस्था को बनाए
रखने के लिए लंबे फ्लाई ओवर का निर्माण जारी है।
पणजी से नार्थ गोवा की ओर जाने
में मंडोवी नदी पर विशाल पुल नजर आता है। इस पुल के आसपास कई बड़े बड़े जहाज नदी
में तैरते दिखाई देते हैं। वास्तव में ये जहाज भी गोवा में मनोरंजन का केंद्र हैं।
शाम को इन जहाज में लाइव संगीत और खाने पीने का कार्यक्रम होता है। अगर आपके पास
समय है तो इसमें भी जरूर हिस्सा लिजिए।
मंडोवी नदी को कर्नाटक में महादेई नाम से भी जाना जाता है। यह कर्नाटक के बेलागावी जिले से निकलती है। इसकी कुल लंबाई 77 किलोमीटर है जिसमें 29 किमी कर्नाटक में और 52 किमी गोवा में पड़ता है।
मंडोवी नदी को कर्नाटक में महादेई नाम से भी जाना जाता है। यह कर्नाटक के बेलागावी जिले से निकलती है। इसकी कुल लंबाई 77 किलोमीटर है जिसमें 29 किमी कर्नाटक में और 52 किमी गोवा में पड़ता है।
![]() |
कालांगुट में गोवा के पहले मुख्यमंत्री दयानंद वी बांदोडकर की प्रतिमा। |
आपको पणजी से कंडोलियम, कालांगुट,
बागा आदि बीच जाने के लिए लगातार चलने वाली लोकल बसें मिल जाएंगी। इन बसों में
महिला कंडक्टर भी सेवारत मिलती हैं। बसों में लगेज रखने का भी बेहतर इंतजाम है।
भीड़ ज्यादा नहीं होती इसलिए आप सैलानी के तौर पर भी इसमें सफर करके अपने टैक्सी
का खर्च बचा सकते हैं। गोवा में आमतौर पर टैक्सी का किराया महंगा है। यहां ओला-उबर
जैसी सेवाएं अभी नहीं चलती हैं।
कई समुद्र तट पास होने के कारण पणजी में सैलानी रुकना पसंद करते हैं। राजधानी पणजी में यूपी और बिहार के लोग भी बड़ी संख्या में आपको मिल जाएंगे।
हमें पणजी बस स्टैंड के पास हमें नवरात्र पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गई पंडाल दिखाई दे जाती है। अपने उत्तर प्रदेश और बिहार के भोजपुरी भाई बंधु लोग हैं। बड़ी श्रद्धा और मनोयोग से माता का पंडाल सजाया है और दुर्गापूजा की तैयारी कर रहे हैं। हम माता के दर्शन करने पंडाल में पहुंचते हैं। हमें वहां नवरात्र के पहले दिन का प्रसाद मिलता है और हम आगे की यात्रा पर चल पड़ते हैं।
हमें पणजी बस स्टैंड के पास हमें नवरात्र पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गई पंडाल दिखाई दे जाती है। अपने उत्तर प्रदेश और बिहार के भोजपुरी भाई बंधु लोग हैं। बड़ी श्रद्धा और मनोयोग से माता का पंडाल सजाया है और दुर्गापूजा की तैयारी कर रहे हैं। हम माता के दर्शन करने पंडाल में पहुंचते हैं। हमें वहां नवरात्र के पहले दिन का प्रसाद मिलता है और हम आगे की यात्रा पर चल पड़ते हैं।
-
विद्युत
प्रकाश मौर्य
(PANJIM, GOA CAPITAL )
(PANJIM, GOA CAPITAL )
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन डॉ. सालिम अली - राष्ट्रीय पक्षी दिवस - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDelete