लखनऊ सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध शहर रहा है। तमीज और तहजीब का शहर। नवाबी शान का शहर। हिंदी में कई फिल्में लखनऊ की पृष्ठ भूमि पर बनी हैं। तो कई गाने भी लिखे गए हैं... ये लखनऊ की सरजमीं...ये लखनऊ की सरजमीं...कली कली है यहां नाजनीं। लखनऊ शहर में पहली बार जाने का मौका 1995 में मिला। इसके बाद कई बार गया। हर बार ये शहर कुछ नया लगता है। वह 1995 का मई महीना था जब आईआईएमसी में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा देने मैं पहली बार लखनऊ पहुंचा था। तब अपने पुराने साथी मनोज कुमार बोस के साथ उनके हास्टल मे ठहरा था। वे तब लखनऊ विश्वविद्यालय के नरेंद्र देव छात्रावास में रहते थे। बोस और मैं बीएचयू में बीए की कक्षा में साथ साथ थे। पर बाद में वे एमएसडब्लू करने लखनऊ विश्ववद्यालय आ गए थे।
मैं पहली बार वाराणसी लखनऊ पैसेंजर से सारी रात यात्रा करके सुबह सुबह लखनऊ पहुंचा था। तब पहली यात्रा में लखनऊ की सुबह ने बड़ा आकर्षित किया। सड़कों के किनारे सुबह के नास्ते में अंकुरित चना मूंग मिलते हुए देखा। साथ ही लखनऊ में छाछ पीना अच्छा लगा। तब छाछ यहां दूध की तरह पाउच में मिलता था, 250 मिली का पाउच। अब वैसा नमकीन छाछ कई और शहरों में भी मिलने लगा है।
खैर लखनऊ में ही टेस्ट दिया था और मेरा चयन आईआईएमसी के लिए हो गया। उसके बाद भी लखनऊ कई बार आना हुआ। विकास नगर, इंदिरा नगर, गोमती नगर में कई दोस्तों से मुलाकात और कई बार रात्रि प्रवास। इस दौरान शहर को अलग अलग तरीके से घूमने का मौका मिला। साल 2009 के दिसंबर में जब एक शादी में लखनऊ आया तो हमारे ईटीवी के साथी अलाउद्दीन ने हमें अंबेडकर पार्क दिखाया। उसकी भव्यता देखकर आनंद आ जाता है। इस पार्क के निर्माण के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की बड़ी आलोचना हुई पर अब यह लखनऊ का प्रमुख पर्यटक स्थल बन चुका है। 2013 में एक बार फिर लखनऊ आया था एक और शादी में। यह भव्य वैवाहिक समारोह बलरामपुर गार्डन में था।
सन 1914 का रेलवे स्टेशन-
इस रेलवे स्टेशन पर भारतीय
रेलवे के दो जोन लगते हैं। उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे।
मैं पहली बार वाराणसी लखनऊ पैसेंजर से सारी रात यात्रा करके सुबह सुबह लखनऊ पहुंचा था। तब पहली यात्रा में लखनऊ की सुबह ने बड़ा आकर्षित किया। सड़कों के किनारे सुबह के नास्ते में अंकुरित चना मूंग मिलते हुए देखा। साथ ही लखनऊ में छाछ पीना अच्छा लगा। तब छाछ यहां दूध की तरह पाउच में मिलता था, 250 मिली का पाउच। अब वैसा नमकीन छाछ कई और शहरों में भी मिलने लगा है।
खैर लखनऊ में ही टेस्ट दिया था और मेरा चयन आईआईएमसी के लिए हो गया। उसके बाद भी लखनऊ कई बार आना हुआ। विकास नगर, इंदिरा नगर, गोमती नगर में कई दोस्तों से मुलाकात और कई बार रात्रि प्रवास। इस दौरान शहर को अलग अलग तरीके से घूमने का मौका मिला। साल 2009 के दिसंबर में जब एक शादी में लखनऊ आया तो हमारे ईटीवी के साथी अलाउद्दीन ने हमें अंबेडकर पार्क दिखाया। उसकी भव्यता देखकर आनंद आ जाता है। इस पार्क के निर्माण के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की बड़ी आलोचना हुई पर अब यह लखनऊ का प्रमुख पर्यटक स्थल बन चुका है। 2013 में एक बार फिर लखनऊ आया था एक और शादी में। यह भव्य वैवाहिक समारोह बलरामपुर गार्डन में था।
सन 1914 का रेलवे स्टेशन-
2017 में एक बार
फिर लखनऊ जंक्शन से बाहर निकला हूं। यूं तो लखनऊ से होकर हमारी आपकी ट्रेन अनगिनत बार
गुजरी होगी। पर लखनऊ जंक्शन से बाहर निकलेंगे तो आपको स्टेशन की नवाबी शान वाली लाल
रंग की इमारत देखने को मिलेगी। इस इमारत का निर्माण 1914 में आरंभ हुआ और 1926 में
पूरा हुआ। इसमें मुगल वास्तुकला की छाप दिखाई देती है। ऊपर कई मीनारें बनाई गई
हैं। वैसे लखनऊ में 23 अप्रैल 1867 को कानपुर से ट्रेन का संचालन शुरू हो चुका था।
तब यह अवध रोहिलखंड रेलवे का हिस्सा था। 1925 में यह इस्ट इंडियन रेलवे का हिस्सा
बना। चारबाग में वास्तव में दो रेलवे स्टेशन हैं। लखनऊ जंक्सन और लखनऊ सिटी। एक
कोड है LKO दूसरे स्टेशन का कोड है LJN कुछ
साल पहले तक यहां मीटर गेज की लाइनें भी हुआ करती थीं।
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लखनऊ के अमीनाबाद का व्यस्त बाजार |
वैसे इस इलाके को लखनऊ के लोग चार बाग कहते है।
किसी जमाने में यहां चार बाग रहे होंगे। पर अब कोई बाग दिखाई नहीं देता। रेलवे
स्टेशन की पुरानी ईमारत में अब नए रंग भरे जा रहे हैं। यहां एएच ह्वीलर के अलावा
सर्वोदय बुक स्टाल, कमसम और आईआरसीटीसी के रेस्टोरेंट मौजूद हैं। पर वेटिंग हॉल और
शौचालय आदि की स्थित अच्छी नहीं है। द्वितीय या स्लीपर श्रेणी के वेटिंग हाल से
लगा हुआ शौचालय है ही नहीं।
रेलवे स्टेशन पर
डारमेटरी की सुविधा उपलब्ध है। उसकी बुकिंग के लिए हमेशा यात्रियों की लाइन लगी
रहती है। वैसे आपको स्टेशन के बाहर गौतमबुद्ध रोड पर तमाम सस्ते और मध्यमवर्गीय
होटल रहने के लिए मिल जाएंगे। अब लखनऊ जंक्शन के ठीक सामने से मेट्रो रेल भी गुजर
रही है। 5 सितंबर 2017 से लखनऊ में मेट्रो रेल का संचालन शुरू हो गया है। स्टेशन के ठीक सामने लखनऊ मेट्रो का स्टेशन है जिसका नाम चारबाग रखा गया
है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
( LUCKNOW, LKO, LJN, CHARBAG METRO STATION )
ये बढ़िया किया कि मेट्रो को रेलवे स्टेशन तक ला गये। आने जाने में इससे सुविधा होगी।
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