देश के प्रमुख संग्रहालयों के
बीच पटना संग्रहालय अपना प्रमुख स्थान रखता है। यहां आप खास तौर बिहार,झारखंड,
बंगाल और अफगानिस्तान से प्राप्त प्राचीन वस्तुओं का अदभुत संग्रह देख सकते हैं।
लाल रंग की पटना संग्रहालय की विशाल इमारत पटना शहर की शान है।
यहां पर तीसरी शताब्दी ईस्वी
पूर्व की अदभुत दीदारगंज की यक्षिणी की प्रतिमा के दर्शन कर सकते हैं। साथ ही गौतम
बुद्ध से जुड़ी सैकड़ो मूर्तियों का यहां संग्रह है। एक विशेष दीर्घा में गौतम
बुद्ध के अस्थि कलश भी देखे जा सकते हैं। वहीं पटना कलम पेंटिंग की दीर्घा, राहुल
सांकृत्यायन द्वारा लाई गई सामग्रियों की दीर्घा और देश के प्रथम राष्ट्रपति
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रदान की गई सामग्रियां भी काफी महत्व रखती हैं।
कला प्रेमियों के लिए यहां पूरे दिन देखने योग्य सामग्री है। पटना संग्रहालय की
स्थापना 1917 में ब्रिटिश कालीन भारत में हुई।
संग्रहालय बिहार सरकार के कला
संस्कृति एवं युवा विभाग के तहत आता है। पटना संग्रहालय में प्रवेश करते ही हरित
परिसर आपका मन मोह लेता है। मुख्य इमारत के बाहर भी कई ऐतिहासिक वस्तुएं हैं।
परिसर में आप लार्ड हार्डिंग की विशाल प्रतिमा देख सकते हैं। 1912 मे लार्ड
हार्डिंग भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल थे, जब बंगाल से अलग होकर बिहार और ओडिशा
राज्य बनाए गए थे। पटना में उनके नाम पर
हार्डिंग पार्क हुआ करता था, जिसका नाम बदलकर अब वीर कुअंर सिंह पार्क रख दिया गया
है।
संग्रहालय के मुख्य द्वार के
बाहर पार्क में एक कलात्मक द्वार स्तंभ दिखाई देता है। ये द्वार स्तंभ ओडिशा से
लाकर यहां स्थापित किया गया है। आठवीं सदी का निर्मित ये द्वार उदयगिरी से प्राप्त किया गया था।
संग्रहालय में प्रवेश करते ही
बायीं तरफ विशाल प्रस्तर प्रतिमा दीर्घा है। इसमें आप मौर्य काल की कलात्मक
प्रस्तर प्रतिमाएं देख सकते हैं। यहां दूसरी सदी में पटना के राजेंद्र नगर से
प्राप्त शालभंजिका की प्रतिमा देखी जा सकती है। यह भी दीदारगंज की यक्षी की तरह
आकर्षक है। प्रतिमा में खास चमक आज भी
बरकरार है। इस खंड में आप तीसरी सदी ईस्वी पूर्व की जैन तीर्थंकर की खंडित प्रतिमा
देख सकते हैं। यह पटना के लोहानीपुर इलाके से प्राप्त की गई थी। इस प्रतिमा में भी
अद्भुत चमक है।

और हां यहां एक 20 करोड़साल
पुराना पेड़ भी देख सकते हैं। यह पेड़ धीरे धीरे पत्थरों में तब्दील हो रहा है।
इसके बारे में बताया गया है कि चीड़ प्रजाति का यह पेड़ किसी बड़ी झील के किनारे
रहा होगा।
कैसे पहुंचे –
पटना म्यूजियम की दूरी पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर के करीब है। डाक
बंगला चौक और मौर्यलोक कांप्लेक्स से आप टहलते हुए पटना म्युजियम पहुंच सकते हैं।
कोलकाता म्युजियम की तरह लोग इसे जादू घर के नाम से भी बुलाते हैं। परिसर के अंदर
पार्किंग की भी सुविधा उपलब्ध है।
प्रवेश टिकट-
संग्रहालय में प्रवेश का टिकट भारतीय नागरिकों के लिए 15 रुपये का है। मोबाइल
कैमरा के लिए 20 रुपये का शुल्क है। अगर आप गौतम बुद्ध के अस्थि कलश देखना चाहते
हैं तो उसके लिए 100 रुपये का शुल्क है। अगर आपके पास बड़ा बैग है तो स्वागत कक्ष
पर उसे रखने के लिए क्लाक रुम की सुविधा भी उपलब्ध है।
- vidyutp@gmail.com
( PATNA MUSEUM, SHALBHANJIKA, OLDEST TREE DIDARGANJ, YAKASHHINI, STATUE )
( PATNA MUSEUM, SHALBHANJIKA, OLDEST TREE DIDARGANJ, YAKASHHINI, STATUE )
बढ़िया जानकारी।
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 101वीं जयंती : पंडित दीनदयाल उपाध्याय और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteपटना के संग्रहालय से जुड़ी उत्तम जानकारी !
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