
इस पार्क में रामलीला, दशहरा और लखनऊ महोत्सव जैसे समारोहों का आयोजन होता है। हर रोज सुबह पार्क में मार्निंग वाकर्स की चहल पहल भी देखी जा सकती है। पार्क में हरी हरी घास बिछी नजर आती है। बीच में सुंदर रास्ते भी बनाए गए हैं। शाम को पार्क में फव्वारे चलते भी देखे जा सकते हैं। पार्क के आसपास कई राजनीतिक जलसों का आयोजन भी हुआ करता था।

आखिर कौन थीं बेगम हजरत महल। बेगम
हजरत महल अवध के नबाब वाजिद अली शाह की पत्नी थीं। लखनऊ में 1857
की क्रांति का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को गद्दी पर बिठाकर उन्होंने
अंग्रेज़ी सेना का स्वयं मुक़ाबला किया। उनमें संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी। साल
1820 के आसपास फैजाबाद में जन्मी बेगम हजरत महल का जीवन बड़ा उतार चढ़ाव भरा रहा। उनका
बचपन का नाम मोहम्मदी खातून था। गरीबी के कारण उनके मां बाप ने उन्हें बेच दिया
था। पर वे नवाब वाजिद अली शाह की महारानी बनीं। हालात ने उन्हें तवायफ बना दिया ।
पर उनपर नवाब वाजिद अली शाह की नजर पड़ी और वे महारानी बन गईं।
जब ब्रिटिश अधिकारियों ने नवाब
वाजिद अली शाह को गिरफ्तार कर कोलकाता भेज दिया तो बेगम हजरत महल ने 7 जुलाई 1857
को बगावत की बागडोर संभाल ली। पर 21 मार्च 1858 को लखनऊ ब्रिटेन के अधीन हो गया।
बेगम की कोठी अंग्रेजी शासन के कब्जे में चली गईं। बेगम को भागना पड़ा। पर
उन्होंने अंग्रेजों की सत्ता नहीं स्वीकारी। वे भागकर अपने बेटे के साथ नेपाल चली
गईं। वहां के राणा जंगबहादुर ने उन्हें शरण दी। 7 अप्रैल 1879 को उनका काठमांडू में
ही इंतकाल हो गया। बेगम हजरत महल के साथ इतिहास के पन्नों पर ज्यादा न्याय नहीं हुआ है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भूले बिसरे क्रांतिकारियों की सूची में शामिल हैं।
बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ के
चारबाग रेलवे स्टेशन से चार किलोमीटर की दूरी पर है। आप शेयरिंग आटो रिक्शा से
लाटूस रोड होते हुए यहां पहुंच सकते हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
( BEGAM HAJARAT MAHAL PARK, LUCKNOW )
( BEGAM HAJARAT MAHAL PARK, LUCKNOW )
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