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बक्सर महर्षि विश्वामित्र की धरती है... बक्सर रेलवे स्टेशन पर बना म्यूरल। |
कामरेड ज्योति प्रकाश की प्रतिमा - अब मैं पैदल चलता हुआ ज्योति प्रकाश चौक तक जा पहुंचा। चौराहे के बीच में कामरेड ज्योति प्रकाश की प्रतिमा लगी हुई है। कामरेड ज्योति प्रकाश एक शिक्षक और बिहार के प्रसिद्ध वामपंथी नेता थे। वे इटाढ़ी और धनसोई के बीच इंदौर गांव के रहने वाले थे। उनकी बेटी मंजू प्रकाश भी सीपीएम की नेता हैं। कामरेड ज्योति प्रकाश की दिनदहाड़े हत्या हो गई थी। अब उनकी प्रतिमा बक्सर के मुख्य बाजार में लगी है।
जातियों के नाम पर मुहल्लों के नाम- मैं ज्योति प्रकाश चौक से आगे बढ़ता हूं, मुहल्ले का नाम है कोईरीपुरवा। पुराना मुहल्ला है इस मुहल्ले की 90 फीसदी कोईरी लोगों की हैं। पर आगे सुनिए बक्सर में तमाम मुहल्लों के नाम जातीय पहचान लिए हुए हैं। जरा बानगी देखिए- पांडे पट्टी, अहिरौली तो नई बनी भूमिहार कालोनी। एक बंगाली टोला भी है हालांकि अब इसमें ज्यादातर सुनार लोग रहते हैं।
अब जाम की कहानी सुनिए, एक
दुकानदार से पूछता हूं इतनी भीड़ क्यों है। वे बताते हैं कि वैशाख शुक्ल पक्ष
त्रियोदशी के दिन आज मुंडन संस्कार का मुहुर्त है। आसपास के गांव की महिलाएं
ट्रैक्टर में सवार होकर बक्सर पहुंची हैं। इन ट्रैक्टरों के कारण चारों तरफ जाम
है। ट्रैक्टर के ट्राले पर विराजमान महिलाएं ढोलक, झाल की थाप गीत गा रही हैं। कुछ
वीरांगना किस्म की लड़कियां ट्राला के पतली दीवार पर पूरे संतुलन के साथ बैठी हुई
माइक लेकर गीत के बोल ऊंची आवाज में गा रही है। ये सब ग्रामीण महिलाएं हैं। क्या
गजब का महिला सशक्तिकरण है। शहरी महिलाओं से ये काफी आगे हैं, संघर्ष में मुश्किल
हालात में जिंदगी को जीने में। इन महिलाओं के हमारा नमन।
बक्सर दक्षिण बिहार का प्रसिद्ध
धार्मिक स्थल है। गंगा के तट पर बसे इस शहर से कई पौराणिक आख्यान जुड़े हुए हैं।
महर्षि विश्वामित्र का आश्रम यहीं पर था। यह भी कहा जाता है कि रामजी ने
अयोध्या जाने के लिए यहीं से गंगा पार किया था। तो रामजी की याद में यहां पर गंगा तट पर रामरेखा
घाट है।
रामरेखा घाट पर गंदगी का आलम - शाम को हमलोग रामरेखा घाट
पहुंचते है। घाट से पहले गलियों में विशाल बाजार है। मुंडन संस्कार का दिन होने
कारण शाम तक घाट के आसपास काफी भीड़ है। बक्सर की ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन के लिए
भीड़ नियंत्रण करना आज के लिए काफी चुनौती भरा है। प्रशासन की ओर खोया पाया की
घोषणा की जा रही है। कोई नन्हा बच्चा अपनी मां से बिछुड़ गया है तो किसी के पति
मेला में हेरा ( खो) गए हैं।
पर रामरेखा घाट को देखकर निराशा होती है। यहां गंगा का अति सुंदर विस्तार दिखाई देता है घाट पर गंदगी का आलम है। बिहार सरकार के सौंदर्यीकरण किए जाने वाले धार्मिक और पर्यटक स्थलों की सूची में रामरेखा घाट का भी नाम है। रामरेखा घाट पर गंगा के तट पर लंबा पैदल चलने का पथ ( मरीन ड्राईव जैसा) बना है। पर इस पर चलना मुश्किल है क्योंकि यहां मानव मल की भयंकर दुर्गंध आ रही है। यानी खुले में शौच मुक्ति अभियान का रामरेखा घाट और बक्सर के गंगा तट पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।
पर रामरेखा घाट को देखकर निराशा होती है। यहां गंगा का अति सुंदर विस्तार दिखाई देता है घाट पर गंदगी का आलम है। बिहार सरकार के सौंदर्यीकरण किए जाने वाले धार्मिक और पर्यटक स्थलों की सूची में रामरेखा घाट का भी नाम है। रामरेखा घाट पर गंगा के तट पर लंबा पैदल चलने का पथ ( मरीन ड्राईव जैसा) बना है। पर इस पर चलना मुश्किल है क्योंकि यहां मानव मल की भयंकर दुर्गंध आ रही है। यानी खुले में शौच मुक्ति अभियान का रामरेखा घाट और बक्सर के गंगा तट पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।
रामरेखा घाट पर शिव का प्रसिद्ध रामेश्वरनाथ मंदिर है। इस मंदिर में दक्षिण भारत के हिंदू श्रद्धालु भी दर्शन के लिए आते हैं। यह बक्सर का सबसे प्राचीन और पौराणिक मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने स्वयं इस मंदिर की स्थापना की थी। बक्सर ऋषि विश्वामित्र की भूमि मानी जाती है। और यह भी कहा जाता है कि राम ने जनकपुर जाने के लिए गंगा यहीं से पार किया था। यहीं पर ताड़का का वध हुआ था। इसलिए शहर में एक ताड़का नाला का भी अस्तित्व है।
वैसे बक्सर में आप कमलदह तालाब और नौलखा मंदिर भी देख सकते हैं। यहां से गंगा नदी के उस पार यूपी का बलिया जिला है। गंगा पर बने पुल से हजारों लोग यूपी बिहार आते जाते हैं।
वैसे बक्सर में आप कमलदह तालाब और नौलखा मंदिर भी देख सकते हैं। यहां से गंगा नदी के उस पार यूपी का बलिया जिला है। गंगा पर बने पुल से हजारों लोग यूपी बिहार आते जाते हैं।
मेरा दिल्ली जाने के लिए आरक्षण मगध एक्सप्रेस में था। मगध एक्सप्रेस शाम को 8 बजे बक्सर आने वाली थी। पर लेट होते होते सुबह 3 बजे यह बक्सर पहुंची। इस ट्रेन के इंतजार में मुझे और हमारे मित्र को सारी रात जागते रहना पड़ा। रात ढाई बजे राजेश रेलवे स्टेशन पर छोड़ने आए। ट्रेन में सवार होते ही अपनी बर्थ पर जाकर मैं सो गया। नींद
खुली तो समय की सूई दोपहर की ओर बढ़ रही थी और ट्रेन कानपुर जंक्शन पर खड़ी थी। शाम को छह बजे मैं गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पहुंच चुका था।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com
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( BUXAR, RAMREKHA GHAT, RAMESHWARNATH TEMPLE, JYOTI PRAKASH CHAWK,
RAMESHWAR TEMPLE)
जाने कब हम लोग सफाई रखना सीखेंगे। जो जगहे हमारे लिए पवित्र होती है उन्हें भी गन्दा करने से हम बाज नहीं आते हैं। सरकार से ज्यादा जिम्मेदारी लोगों की हैं। मेरा मनना है कि अगर लोग बाग़ गन्दगी फैलाना कम कर देंगे तो पिच्यानवे प्रतिशत साफ़ सफाई वैसे ही हो जाएगी।
ReplyDeleteवृत्तांत पढकर अच्छा लगा।