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गया के बाजार में अनरसा और रामदाना। |
जब कभी भी गया का
नाम लिया जाए और खाने पीने की बात हो तो तिलकुट का नाम सबसे पहले आता है। गया शहर
अपने तिलकुट के लिए प्रसिद्ध है। तिलकुट कुछ वैसी ही चीज है जैसे मुरैना का गज्जक।
गया रेलवे स्टेशन के आसपास में तिलकुट की दर्जनों दुकाने हैं। गया आने वाले लोग
तिलकुट खऱीदकर अपने शहर जरूर ले जाते हैं। गया में तिलकुट बनाने का कारोबार सैकड़ो
साल पुराना है। गया के तिलकुट की खास बात है कि यह काफी खस्ता होता है। इसमें चीनी
की मात्रा काफी कम होती है।
गया के तिलकुट की
प्रसिद्धि सिर्फ बिहार झारखंड में ही नहीं विदेशों तक है। सरदी के दिनों मे खास
तौर पर गया के तिलकुट की मांग रहती है। तिलकुट शरीर को गर्म रखने में काफी मददगार
होता है। इससे ठंड से बचाव होता है। इसकी खास बात है कि यह लंबे समय तक खराब नहीं
होने वाली मिठाई है।
वैसे गया के बाजार में तिलकुट के अलावा रामदाना और अनरसा भी
खूब बिकता है। आपकी पसंद है कि आप क्या खरीदें और खाएं। पर गया में हैं तो इन मिठाइयों
का स्वाद जरूर लें। हो सके तो खरीद कर घर भी ले जाएं। कहा जाता है कि गया के रमना
मुहल्ले में सबसे पहले तिलकुट बनाने का काम शुरु हुआ था। अब कोइरीबाड़ी, टेकारी रोड, स्टेशन रोड पर भी
तिलुकट बनाने और बेचने वाली दुकाने हैं।
मैं गया रेलवे
स्टेशन के आसपास बिहार के प्रसिद्ध व्यंजन लिटटी चोखा की भी दुकाने खूब देखता है।
कुछ दुकानों पर तो सारी रात आपको लिट्टी चोखा खाने को मिल जाएगा। गया स्टेशन पर
चाहे रात के दो बजे हों होटल रेस्टोरेंट खुले रहते हैं। सुबह के नास्ते में
ज्यादातर लोग पूड़ी सब्जी और जलेबी खाते हुए दिखाई दिए। मैं वैसे चाय नहीं पीता, पर गया में सुबह सुबह मिट्टी के करुआ में चाय मिल
रही थी, 5 रुपये की, तो हमने भी सुबह
सुबह चाय की चुस्की ली। महाबोधि मंदिर वाले मार्ग पर बोध गया में सत्तू पीता हूं।
सत्तू तो वैसे मैं दिल्ली में भी रोज पीता हूं, बिहार झारखंड
में हर शहर में आपको सत्तू बेचने वाले ठेले मिल जाएंगे। ये लोग सत्तू में प्याज के
छोटे छोटे टुकडे भी डालते हैं। मिट्टी हांडी में सत्तू घोंटते हैं, तो इस तरह सत्तू पीने का भी अपना आनंद है।
दही बड़ा और
छोला बड़ा का स्वाद
विशाल बुद्ध
मूर्ति से लौटते हुए एक ठेले पर दही बड़ा बेचते हुए सज्जन नजर आते हैं। दही बड़ा
तो बचपन से मेरी कमजोरी है। मैं रूक जाता हूं। 10 रुपये में एक प्लेट दही बड़ा या
फिर बडा और छोला। मैं तुरंत दही बड़ा आर्डर करता हूं। बना बहुत सुस्वादु है। खाने
के बाद दुकानदार का नाम पूछता हूं। बताते हैं कैलाश प्रसाद कुशवाहा। पास के गांव
में घर है इसी सड़क पर रोज सुबह से शाम तक दही बड़ा सालों से बेच रहे हैं। खुद घर
से बनाकर लाते हैं और दिन भर बेचते हैं। उनके ग्राहकों में स्थानीय लोग और बाहर से
आने वाले सैलानी भी होते हैं। कई लोग तो उनके नियमित ग्राहक हैं।
गया के
बाजार में देखता हूं अब डोमिनो पिज्जा भी पहुंच गया है। स्टेशन के आसपास खाने पीने
के कुछ अच्छे होटल भी हैं।
- विद्युत प्रकाश
मौर्य- vidyutp@gmail.com
( GAYA , TILKUT, DAHI BADA, LITTI CHOKHA, ANARSA )
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