बिहार में विश्व
विरासत की श्रेणी में दो दर्शनीय स्थल हैं। पहला महाबोधि मंदिर बोध गया और दूसरा
नालंदा के खंडहर। बोधगया एक बार 1994 में जाना हुआ था सदभवाना रेल के साथ पर तब महाबोधि मंदिर नहीं जा सके थे
हमलोग। वैसे तो मेरे घर सासाराम से गया कि दूरी महज 100 किलोमीटर है। बचपन में सासाराम से गया होकर पटना कई बार आया और गया, पर कभी गया उतर कर घूमने का मौका नहीं मिला। तो इस बार मौका मिल गया गया जाने का। फुआ जी के बड़े बेटे के बेटे यानी हमारे
भतीजे के शादी थी तो टिकट मिला आनंद विहार हावड़ा एक्सप्रेस में। ट्रेन आनंद विहार
से चलकर कानपुर, इलाहाबाद, मुगलसराय के
बाद गया और कोडरमा रुकती है। ठहराव कम है तो गति अच्छी होनी चाहिए। पर कानपुर तक
ट्रेन ठीक चली। उसके बाद लेट होने लगी। मुगलसराय शाम को 7 बजे
की जगह तकरीबन रात 12 बजे पहुंचकर खुली। तो हम गया जंक्शन पर
इस ट्रेन से रात के 2.10 पर उतरे।
आनंद विहार
हावड़ा एक्सप्रेस के एसी2 कोच की रैक बिल्कुल नई है। सीटों की चौड़ाई अच्छी
है। हर सीट पर स्टडी लाइट है। पर मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट साइड के बर्थ में नहीं
बने हैं। यह तो साइड का बर्थ पाने वालों के साथ अन्याय है। वे भी पूरा किराया देकर
सफर कर रहे हैं। ट्रेन में केटरिंग सेवा भी नहीं है। पर कोच एटेंडेंट का व्यवहार
अच्छा है। ट्रेन सासाराम और डेहरी ऑन सोन नहीं रुकती। ये दोनों मेरे घर के पास के स्टेशन
हैं। खैर रात को दो बजे गया स्टेशन के प्लेटफार्म नबंर 2 पर उतरने के बाद
एक नंबर की तरफ बाहर आता हूं। सामने होटल और खाने पीने के दर्जनों रेस्टोरेंट खुले
हुए हैं।मुझे देखकर खुशी हुई कि गया जंक्शन के बाहर का बाजार रात भर गुलजार रहता है। हो भी क्यों नहीं
बिहार का बड़ा टूरिस्ट प्लेस है गया। यह बिहार के इस मिथ को तोड़ता भी है कि यहां कोई नाइट लाइफ नहीं होती।
रेलवे
स्टेशन के सामने खाने पीने की दुकानें खुली हुई हैं। लिट्टी चोखा भी मिल रहा है। स्टेशन के सामने ही कई होटल हैं। इनमें अजातशत्रु और शकुन तो बिल्कुल सामने दिखाई
दे रहे हैं। इनमें रात भर कभी भी पहुंचा जा सकता है। हमने होटल शकुन में एक कमरा
गोआईबीबो डाट काम से बुक करा लिया था। रात को 2 बजे स्वागत कक्ष पर होटल
के मैनेजर मेरा इंतजार कर रहे थे। मैं तुरंत चेकइन के बाद अपने कमरे में गया। पर भूख लगी थी सो
नीचे जाकर होटल के रेस्टोरेंट में जाकर कुछ खाया पीया फिर कमरे में आकर सो गया। लोगों ने बताया कि
बोधगया जाने वाले आटो रिक्शा सुबह 4.30 बजे से मिलने लगेंगे।
मैं सुबह
पौने पांच बजे जगने के बाद स्नानआदि से निवृत होकर बोध गया जाने के लिए निकल पड़ता
हूं। सीधा आटो के इंतजार में देर नहीं करता हूं। पहला आटो मिलता है सिकड़िया मोड
के लिए। दस रुपये में। गया शहर की प्रमुख सड़कों प्रशासनिक दफ्तर जेल आदि को पार
कर हम पहुंचते हैं सिकड़िया मोड। यहां पर निजी बस स्टैंड है। यहां से दूसरा आटो
मिलता है वह बोलता है कि दोमुंहा छोड़ दूंगा। ये दोमुंहा क्या है। वास्तव यह बोधगया
का प्रवेश द्वार है। संबोधि द्वार। यहां से महाबोधि मंदिर दो किलोमीटर है। दोमुंहा से मैं फिर दूसरा आटो लेता हूं। रास्ते
में मगध विश्वविद्यालय का परिसर दिखाई देता है। संबोधि द्वार से 4 किलोमीटर पहले
गया का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। दिल्ली से गया के लिए रोज सुबह 5.55 बजे एयर
इंडिया नॉन स्टाप उड़ान है। एयर इंडिया की उड़ान यहां से कोलकाता, वाराणसी और यांगून के लिए भी है। समय समय पर यहां
थाईलैंड, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका
से भी उड़ाने आती हैं। गया एयरपोर्ट फिलहाल 954 एकड़ में है। रनवे छोटा होने के
कारण बड़े विमान उतरने में दिक्कत है। रनवे विस्तार के लिए 200 एकड़ जमीन और लिए
जाने की बात चल रही है।
गया में कहां
ठहरें – अगर आप गया में
ठहरना चाहते हैं रेलवे स्टेशन के आसपास 20 से ज्यादा होटल हैं। रियायती दर पर भारत
सेवाश्रम संघ में ठहर सकते हैं। इसके अलावा बोध गया में महाबोधि मंदिर के सामने
वाली सड़क पर भी दर्जनों अच्छे होटल उपलब्ध हैं। बोध गया में बिहार टूरिज्म का
होटल सिद्धार्थ विहार, सुजाता विहार और बुद्धा विहार स्थित है।
गया में क्या
देखें – देश भर से गया में
लोग पितरों का पिंडदान करने के लिए भी आते हैं। ये संस्कार फल्गु नदी के तट पर
कराया जाता है। यहां पर फल्गु नदी के तट पर प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर स्थित है। इसके अलावा पिता
महेश्वर मंदिर, बागेश्वरी मंदिर, प्रेतशिला
वेदी, रामशिला वेदी आदि गया में दर्शनीय स्थल हैं। स्थानीय
तौर पर घूमने के लिए शेयरिंग आटो रिक्शा चलते हैं। आप इन्हें अपनी सुविधा से
आरक्षित भी कर सकते हैं।
- vidyutp@gmail.com
(GAYA, BODHGAYA, BUDDHA, MAHABODHI TEMPLE, VISHNUPAD TEMPLE, WORLD HERITAGE SITE )
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