कभी बसवनगुडी
इलाके में खेती खूब शानदार होती थी। तब इस इलाके का नाम सनकेनहाली हुआ करता था। पर
इस इलाके के खेतों की फसलों को जानवर आए दिन चर (खा) जाया करते थे। यहां बड़े
पैमाने पर मूंगफली की खेती होती थी। पर जानवरो के हमले से किसान और जमींदार काफी
परेशान थे। फसलों के बचाव का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। तब एक बार जमींदार को
सपना आया कि अगर यहां एक नंदी का मंदिर स्थापित कर दिया जाए तो इससे फसलों की
जानवरों से रक्षा हो सकेगी।

मंदिर
का प्रवेश द्वार यानी गोपुरम द्रविड़ शैली में बना है। पर प्रवेश द्वार से आगे
बढ़कर जब आप गर्भ गृह में जाते हैं तो वहां विशाल नंदी की प्रतिमा है। यह प्रतिमा
एकल पत्थर से बनाई गई है। नंदी प्रतिमा की ऊंचाई 15 फीट है जबकि इसकी लंबाई 20 फीट
के करीब है।
चारकोल
और तेल से लगातार सालों से घर्षण के कारण प्रतिमा काले रंग की दिखाई देती है। पहले
नंदी की यह प्रतिमा खुले में थी। पर बाद में बीसवीं सदी में इसके ऊपर छत निर्माण
कर इसे गर्भ गृह का रुप दिया गया। कार्तिक माह में हर साल बुल टेंपल के पास विशाल
मेला लगता है। खेती किसानी पर केंद्रित यह मेला सैकड़ो साल से लगता आ रहा है।
बुल
टेंपल के बाहर जूता घर बना है। मंदिर खुलने बंद होने का समय निश्चित है। यहां सुबह
6 से शाम 8 बजे तक दर्शन किया जा सकता है। मंदिर में पुजारी की भी बहाली की गई है।
यह बेंगलुरु शहर के प्रसिद्ध मंदिरों शामिल है। बेंगलुरु दर्शन के सभी पैकेज में
बुल टेंपल जरूर शामिल रहता है।
मक्खन
के गणेश जी - बुल
टेंपल के बगल में आप बगल रॉक गार्डेन और गणेश मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं। बुल
टेंपल के बगल में स्थित गणेश मंदिर की खास बात है कि यहां गणेश मूर्ति 110 किलो
मक्खन की बनी है। पर यह मक्खन कभी पिघलता नहीं है। हर चार साल बाद इस मक्खन को बदल
दिया जाता है। मंदिर का मक्खन लोगों में
प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है।
अगर आप
बुल टेंपल देखने पहुंचे हैं तो बसवन गुडी इलाके में शापिंग भी कर सकते हैं। यह शहर
का संभ्रात इलाका है जहां कपड़ों का अच्छा बाजार और खाने पीने के लिए अच्छे
रेस्टोरेंट भी मौजूद हैं।
बसवन
गुडी में बुल टेंपल वाली सड़क का नाम ही बुल टेंपल रोड है। इस मंदिर के पास स्थित
चौराहे पर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा है। साथ ही पास में ही बेंगलुरु के रामकृष्ण
मिशन का दफ्तर भी है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य ( BULL TEMPLE, SHIVA, GANESHA, BASAWANGUDI )
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