महाबोधि
मंदिर के अलावा बोध गया में 50 से ज्यादा बौद्ध मठ और मंदिर स्थित हैं। महाबोधि
मंदिर के आसपास घूमने पर आपको ऐसा एहसास होता है मानो आप किसी अंतरराष्ट्रीय शहर
में विचरण कर रहे हों क्योकि आपकी आंखों के सामने अलग अलग देशों के मठ और बौद्ध
मंदिरों के बोर्ड देखने को मिलते हैं। इन देशों में बर्मा (म्यांमार) बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन,
मंगोलिया, ताइवान, मलेशिया
जैसे देशों को बौद्ध मठ और मंदिरों के दर्शन होंगे। संबोधि गेट से महाबोधि मंदिर
के बीच कई होटल भी हैं। बोध गया में 32 सूचीबद्ध होटल हैं। इसके अलावा होम स्टे भी
संचालित हैं। सालों भर प्रतिदिन यहां पर कई देशों के श्रद्धालुओं और सैलानियों का
जमघट लगा रहता है।
महाबोधि
मंदिर के बाह्य परिसर को भी काफी सुंदरता से संवारा गया है। इसकी बाहरी दीवारों पर
बुध की जातक कथाओं को तसवीरों में उकेरा गया है। साथ ही हिंदी में कहानी भी लिखी
गई है। इससे परिसर का सौंदर्य और बढ़ गया है।
महाबोधि
मंदिर के पीछे जाने पर बोधगया का पुराना बाजार और पोस्ट आफिस का भवन दिखाई देता
है। यहां पर एक बापू की प्रतिमा भी लगी है। इसके आसपास कुछ खाने पीने के
रेस्टोरेंट भी हैं। यहां से गया रेलवे स्टेशन के लिए आटो रिक्शा भी मिलते हैं। ये
आटो रिक्शा मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर से भी मिलते हैं।
महाबोधि
मंदिर के मुख्यद्वार के बाहर सड़क के किनारे चौपाटी पर सुंदर बाजार सजता है। यहां
से आप बुद्ध की मूर्तियां, टी शर्ट और अन्य यादगारी खरीददारी कर सकते हैं।
महाबोधि
मंदिर से निकलने के बाद मैं सबसे पहले सामने स्थित तिब्बतीयन महायान बौद्ध मंदिर
में प्रवेश करता हूं। इस मंदिर में भी भगवान बुद्ध की सुनहली प्रतिमा है। मंदिर
परिसर में विशाल धर्मचक्र स्थापित किया गया जिसे अकेले दम पर घुमा देना मुश्किल
कार्य है। पर मुझे सफलता मिल गई। इसके बगल में तिब्बत मंदिर गादेन फलेगेलिंग
नामग्येल दत्संग स्थित है। महाबोधि मंदिर के प्रवेश द्वारा के ठीक समाने महाबोधि
सोसाइटी ऑफ इंडिया का विशाल दफ्तर है। यहां पर चैरिटेबल डिस्पेंसरी भी संचालित
होती है।
कम समय है
तो सभी 54 बौद्ध मठ घूम लेना मुश्किल है, इसलिए मैं 80 फीट की बौद्ध प्रतिमा जाने
का रास्ता पूछता हूं। ये प्रतिमा महाबोधि मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर है।
मुख्य सड़क पर होटल सिद्धार्थ के बगल से अंदर जा रहे रास्ते पर आधा किलोमीटर चलने
पर विशाल बौद्ध प्रतिमा के दर्शन होते हैं। ये प्रतिमा 1989 में स्थापित की गई। यह
ध्यान में बैठे हुए बुद्ध की प्रतिमा है। इस प्रतिमा का निर्माण जापान के
दाइजोकोयो सेक्ट ने करावाया। प्रतिमा का अनावरण दलाई लामा ने किया। विशाल परिसर
में हरित प्रांगण में प्रतिमा स्थित है। प्रतिमा मार्ग रास्ते में भी कई बौद्ध
मंदिर मठ नजर आते हैं। इनमें रायल भूटान मानेस्ट्री, कर्मा मंदिर, बौद्ध भिक्खु संघ
आदि प्रमुख है। भिक्खु संघ में मैत्रेय बौद्ध की सुंदर प्रतिमा बनी है। इसके अलावा
आसपास में आप थाई मंदिर, जापानी मंदिर, करमापा मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर मार्ग
पर बिहार सरकार की ओर से एक विशाल उद्यान जय प्रकाश उद्यान का निर्माण कराया गया
है। इसमें सूरजमुखी के फूल खिले हुए दिखे। उद्यान के बगल में बोधगया का संग्रहालय
भी है। पर सुबह-सुबह संग्रहालय खुलने का समय नहीं हुआ था इसलिए मैं इसे देखने से
वंचित रहा।
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- --- विद्युत प्रकाश मौर्य
( ( BODHGYA, BUDDHA STATUE, MATH AND TEMPLES, MAHABODHI SOCIETY OF
INDIA )
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन तुलसीदास जयंती और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत अच्छी जानकारी .
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद.
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