कर्नाटक में
यूनेस्को की सूची में शामिल दो विश्व विरासत स्थल हैं। पहला पट्टडकल और दूसरा
हंपी। हंपी कर्नाटक का लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। यहां सालों भर विदेशी सैलानियों
का जमावड़ा लगा रहता है। ठीक वैसे ही जैसे, मैसूर, महाबलीपुरम, पुष्कर, जोधपुर या
वाराणसी में होता है। हंपी की आबोहवा, ऐतिहासिक विरासत विदेशी सैलानियों को खूब भाती
है।
साल 1986 में हंपी
के स्मारकों को विश्व विरासत की सूची में यूनेस्को ने शामिल किया। इसे दक्षिण भारत
के विशाल हिंदू सम्राज्य की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। खासकर 14वीं से 16वीं
सदी तक यह गुलजार स्थल था। विजयनगर सम्राज्य के राजाओं कलात्मकता से परिपूर्ण कई
मंदिरों का निर्माण कराया। पर 1556 में मुस्लिम आक्रमण कारियों ने हंपी को काफी
नुकसान पहुंचाया। तालिकोटा के इस युद्ध के बाद हंपी का वैभव धूमिल होने लगा।
हंपी नगर का विस्तार 418724 हेक्टेयर क्षेत्र में था। यह कर्नाटक के बेल्लारी जिले में तुंगभद्रा नदी के बेसिन में स्थित है। एक तरफ नदी दूसरी तरफ पहाड़ियां और बीच में समतल मैदान हंपी के भौगोलिक क्षेत्र को सामरिक महत्व का बनाते हैं। साथ ही इस स्थल का सौंदर्य भी बढ़ाते हैं।
हंपी में आज 1600
के आसपास स्मारक देखे जा सकते हैं। इसमें मंदिर, किले, प्रवेश द्वार, सुरक्षा
चेकपोस्ट, स्तंभ युक्त हॉल, मस्जिद, मंडप आदि शामिल हैं। हंपी को देखते हुए आपको
ये एहसास बखूबी होता है कि कभी यहां कितना समृद्ध नगर रहा होगा। इस समृद्ध विरासत
को महसूस करने के लिए गर्मी की परवाह न करते हुए सालों भर यहां सैलानी पहुंचते
हैं। विदेशी सैलानी तो कई कई दिनों तक यहां प्रवास करते हैं। इनमें से काफी लोग एमटीबी
साइकिलें किराये पर लेकर हंपी के विरासत को निहारने दिन भर दौरा करते हैं। ये गियर
वाली साइकिलें यहां 100 रुपये प्रतिदिन किराये पर मिल जाती हैं।
हंपी रामायण काल में
भी महत्वपूर्ण स्थल था। माना जाता है कि किष्किंधा नगरी यहीं थी। बालि सुग्रीव और
हनुमान इसी क्षेत्र में निवास करते थे। शबरी भी इसी क्षेत्र में रहती थी। सातवीं
सदी के चालुक्य शिलालेख में इसका नाम पंपा क्षेत्र के तौर पर आता है। हंपी का
पुराना नाम विजयनगर है। विजय नगर पहले विद्यानगर
कहलाता था। हंपी से पहले एनेगुंडी में राजधानी हुआ करती थी।
हंपी में चार वंशों ने शासन किया। इनमें पहला था संगम वंश जिसके संस्थापक हरिहर थे। संगम शासक वारंगल से इधर आए थे। हरिहर और बुक्का ने विजयनगर को समृद्ध राजधानी बनाने में बड़ा योगदान किया। विजयनगर पर संगम के बाद सलुवा वंश ने शासन किया। इसमें नरसिम्हराय और नरसिम्हा -2 शासक हुए। इसके बाद तुलुव वंश का शासन आया। इसके पहले शासक वीरनरसिम्हाराय थे। उनके बेटे कृष्णदेव राय अत्यंत प्रतापी राजा हुए। कृष्णदेव राय 25 साल की उम्र में 1509 में वे राजा बने। कृष्णदेव राय ने रायचूर और गुलबर्ग पर विजय प्राप्त की साथ ही मुस्लिम शासकों को भी युद्ध में पराजित किया।
कृष्णदेव राय ने बहमनी शासकों को पराजित कर गोवा पर भी अधिकार किया। उनका सम्राज्य ओडिशा तक विस्तारित था। विभिन्न युद्धों में लगातार विजय के कारण अपने जीवन काल में ही राजा कृष्णदेव राय लोक कथाओं के नायक हो गए थे। कृष्णदेव राय तेलुगू के महान विद्वान थे। उन्होंने तेलुगू के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘अमुक्त माल्यद’ या 'विस्वुवितीय' की रचना की। उसकी यह रचना तेलुगु के पांच महाकाव्यों में से एक है। बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’में कृष्णदेव राय को भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक बताया है। इस महान शासक की 1529 ई. में मृत्यु हो गई। इसके बादके राजा उनके समान प्रतापी नहीं हुए।
हंपी के विरुपाक्ष मंदिर के दाहिनी तरफ सुंदर बाजार बन गया है। यह बाजार हमेशा विदेशी सैलानियों से गुलजार रहता है। यहीं पर कई होम स्टे हैं। यहां बने रेस्टोरेंट में न सिर्फ भारतीय बल्कि आपको इटालियन, स्पेनिश, फ्रेंच हर तरह व्यंजन परोसे जाते हैं। यहां के दुकानदार कई देशों की मुद्राएं स्वीकार कर लेते हैं।

आप हंपी जा रहे हों तो याद रखें कि यहां किसी भी बैंक का एटीएम नहीं है। निकटतम एटीएम कमलापुर में है जो यहां से 5 किलोमीटर है। कुछ अच्छे लग्जरी होटल कमलापुर या होसपेटे में हैं। हंपी में सिर्फ होम स्टे जैसी रहने की सुविधा है, हालांकि यहां भी आपको सारी सुविधाएं मिल जाती हैं। कई होटलों में आयुर्वेदिक मसाज जैसी सुविधाएं भी हैं। हंपी के बाजार से आप एंटिंक वस्तुओं की खरीदारी भी कर सकते हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
(HAMPI, KRISHNADEV RAI, REMEMBER IT'S A WORLD HERITAGE SITE )
हंपी की यात्रा को शुरुआत से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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एक बार तो हम्पी देखने की इच्छा है देखते है कब जाना होता है।
ReplyDeleteबहुत अच्छे लेख व स्थानों का चित्रण हैं. एक एक स्थान का चित्रण बखूबी करते हैं आप. बहुत अच्छा लगा, धन्यवाद....
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