ऐतिहासिक शहर हंपी में भ्रमण की
हमारी शुरुआत गणेश मंदिर से हुई थी , तो अंत भी गणेश मंदिर से हुआ। हमने जाते समय कडलेकालु गणेश जी के दर्शन किए थे, तो अब वापसी में ससिवेकालु
गणेश जी के दरबार में पहुंचे हैं। यह गणेश प्रतिमा 2.4 मीटर ऊंची है। अत्यंत
कलात्मक गणेश प्रतिमा वर्गाकर मंडप में स्थापित है। गणेश जी को नमन।
इससे पहले हमलोग चंडिकेश्वर मंदिर
में रुके थे। सोलहवीं सदी के बने चंडिकेश्वर मंदिर में भी हनुमान, गरुड, बालकृष्ण
आदि की अदभुत मूर्तिकारी देखी जा सकती है। वैसे हंपी में कई मंदिर हैं अभी जो देखने से रह गए हैं।
कमलापुर का संग्रहालय - लेकिन हंपी के बारे में
समग्र तौर पर जानने के लिए आप कमलापुर में
स्थित हंपी संग्रहालय जरूर जाएं। संग्रहालय बड़ा ही व्यवस्थित है। अंदर पूरी
तरह वातानुकूलित है। शीतल पेयजल और शौचालय आदि का सुंदर इंतजाम है।
संग्रहालय में हंपी का मानचित्र, हंपी के बारे में जानकारी के साथ ही अलग अलग गैलरी में हंपी और आसपास से मिली मूर्तियां देखी जा सकती हैं। यहां आप कम से कम एक घंटे का समय जरूर दें। कमलापुर में खाने पीने के विकल्प मौजूद हैं। यहां क्लार्क इन समेत कई अच्छे आवासीय होटल भी हैं। हंपी से इसकी दूरी पांच किलोमीटर है।
दिन भर घूमने का
बाद हमलोग वापस अपने लक्ष्मी हेरिटेज होम में आ गए हैं। आटो वाले स्वामी को
धन्यवाद देकर उनसे विदा ली। अब अपने कमरे का एसी चलाकर हमलोग आराम करने लगे। पर
भूख भी तो लगी थी, लेकिन किसी भी कमरे से निकल कर आसपास के रेस्टोरेंट में जाने की
इच्छा नहीं थी। तो हमने तय किया कि गोपी रुफ टॉप रेस्टोरेंट से खाना यहीं लाकर
खाया जाए।
मैंने जाकर गोपी में वेज बिरयानी का आर्डर दिया। उनकी कल की बिरयानी इतनी
उम्दा थी कि कुछ और आजमाने की कोशिश नहीं की।
उन्होंने हमें थाली पैक करके ले जाने की सुविधा प्रदान कर दी। फिर हमने कमरे में बैठकर बिरयानी खाने का लुत्फ उठाया। फिर हम गोपी से चाय भी लेकर आए और काफी देर तक चुस्की ली। तो आप भी हंपी में हों तो गोपी में भोजन के लिए जरूर पहुंचे।

उन्होंने हमें थाली पैक करके ले जाने की सुविधा प्रदान कर दी। फिर हमने कमरे में बैठकर बिरयानी खाने का लुत्फ उठाया। फिर हम गोपी से चाय भी लेकर आए और काफी देर तक चुस्की ली। तो आप भी हंपी में हों तो गोपी में भोजन के लिए जरूर पहुंचे।
एक दिन पहले रात को
अनादि की मसाला डोसा खाने की इच्छा हुई थी, गोपी में मसाला डोसा का विकल्प नहीं
था, तो हमलोग पड़ोस के अर्चना रुफटॉप रेस्टोरेंट में खाने चले गए। पर खाने के बाद
महसूस हुआ कि उनका खाना काफी घटिया था। भले ही वहां कई देशों के सैलानी स्वाद ले
रहे थे, पर हमें उनका सब्जियां बासी, डोसा जला हुआ मिला। तो आप भी अर्चना में मत
जाना कभी। हां गोपी की चाय, बिरयानी या कोई भी डिश हो सब ताजा और स्वाद उम्दा होता
है। हर व्यंजन वे आर्डर पर बनाते हैं इसलिए थोड़ा वक्त लगता है।
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तुंगभद्रा नदी में स्नान। |
हंपी में कोई बैंक या एटीएम नहीं
हंपी के विरुपाक्ष मंदिर के पास के बाजार में एटीएम की कमी खटकती है। हालांकि कई जगह आप कार्ड से लेनदेन कर सकते हैं। साथ ही यहां दुकानदार कई देशों की मुद्रा का विनिमय कर देते हैं।
हंपी के विरुपाक्ष मंदिर के पास के बाजार में एटीएम की कमी खटकती है। हालांकि कई जगह आप कार्ड से लेनदेन कर सकते हैं। साथ ही यहां दुकानदार कई देशों की मुद्रा का विनिमय कर देते हैं।
फिल्म अग्निवर्षा में हंपी - साल 2002 में आई फिल्म अग्नि वर्षा की शूटिंग हंपी में की गई है। गिरिश कर्नाड की कहानी पर बनी इस फिल्म में राज्य में अनावृष्टि होने से दो प्रतिद्वंद्वी पुजारी, यावाकरी और पार्वासु अपनी-अपनी विधियों से वर्षा के देवता को खुश करने का प्रयास करते हैं,जिसमें व्यभिचार, कपट और हत्याओं के तरीके शामिल हैं। फिल्म में जैकी श्राफ, रवीना टंडन, सोनाली कुलकर्णी, मिलिंद सोमण प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
बेंगलुरु के लिए हमारी
ट्रेन होसपेटे रेलवे स्टेशन से रात को 9.30 बजे है। हंपी बाजार से रात 8 बजे तक बसें
होसपेटे बस स्टैंड के लिए चलती हैं। हमलोग 7.30 बजे वाली बस में सवार हो गए। हमने बड़े
भरे मन से महान ऐतिहासिक विरासत वाले शहर हंपी अलविदा कहा। यहां घूमने के लिए दो
दिन तो कम ही हैं। कर्नाटक रोडवेज बस के ड्राइवर महोदय ने हमें होसपेटे बाजार में पहुंचने
पर एक चौराहे पर उतर जाने की सलाह दी। यहां से रेलवे स्टेशन 400 मीटर की दूरी पर
था। तो हम टहलते हुए स्टेशन पहुंच गए।
होसपेटे रेलवे स्टेशन यहां के बस स्टैंड की
तरह भव्य नहीं है। रात खाना हमलोगों ने स्टेशन की कैंटीन में ही खाया। 20 रुपये का
मसाला डोसा और 25 रुपये की बिरयानी। साथ में नमकीन छाछ का पैकेट। भला आज के दौर
में इससे सस्ता खाना और क्या हो सकता है। स्टेशन पर आरओ वाटर की मशीनें लग गई हैं।
यहां आप पांच रुपये में एक लीटर पानी ले सकते हैं। प्लेटफार्म पर हमारी मुलाकात एक बार फिर जर्मनी की इवा और उनके दोस्त से होती है। उन्हें भी हंपी एक्सप्रेस पकड़नी है। वे अब मैसूर जा रहे हैं। पर वे हमारे साथ बस से नहीं आए। उन्होंने आटो बुक किया, और आटो वाले ने स्टेशन छोड़ने के 400 रुपये ले लिए। हमने उन्हें कहा अगर हमारे साथ बस से आते तो महज 36 रुपये ही लगते।
हंपी एक्सप्रेस
अपने नियत समय पर आई। हमने अपनी सीट पर जाकर जगह ले ली। मैं अगले कुछ घंटे जागता रहा। तोरांगालु जंक्शन के बाद
बेल्लारी जंक्शन आया। बेल्लारी कर्नाटक का सीमांत जिला है। वही बेल्लारी जो खानों
के लिए प्रसिद्ध है।
बेंगलुरु जाने वाली ट्रेन यहां से आंध्र प्रदेश में प्रवेश कर जाती है। रास्ते में गुंतकल जंक्शन, अनंतपुर, धरमवरम जंक्शन, पेनुकोंडा, हिंदूपुर जैसे स्टेशन आते हैं। ये सभी आंध्र के अनंतपुर जिले में पड़ते हैं। हमारी ट्रेन दुबारा गौरी बिदानौर से कर्नाटक के चिकबालपुर जिले में प्रवेश करती है। इसके बाद डोडाबालपुर आता है जहां से बेंगलुरु की सीमा शुरू हो जाती है। हमारी ट्रेन नियत समय पर सुबह छह बजे क्रांतिवीर संगोल्ली रायणा (केएसआर बेंगलुरु) स्टेशन पर पहुंच जाती है।
बेंगलुरु जाने वाली ट्रेन यहां से आंध्र प्रदेश में प्रवेश कर जाती है। रास्ते में गुंतकल जंक्शन, अनंतपुर, धरमवरम जंक्शन, पेनुकोंडा, हिंदूपुर जैसे स्टेशन आते हैं। ये सभी आंध्र के अनंतपुर जिले में पड़ते हैं। हमारी ट्रेन दुबारा गौरी बिदानौर से कर्नाटक के चिकबालपुर जिले में प्रवेश करती है। इसके बाद डोडाबालपुर आता है जहां से बेंगलुरु की सीमा शुरू हो जाती है। हमारी ट्रेन नियत समय पर सुबह छह बजे क्रांतिवीर संगोल्ली रायणा (केएसआर बेंगलुरु) स्टेशन पर पहुंच जाती है।
- vidyutp@gmail.com
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