सोलहवीं सदी में
गुलजार नगर विजयनगर यानी हंपी में सुव्यस्थित मार्केटिंग कांप्लेक्स का निर्माण
कराया गया था। इन बाजारों की रचना और उनकी वास्तुकला आज भी देखने वालों को चकित
करती है। पूरे विजय नगर में एक नहीं कई बाजार हुआ करते थे। इन्हें सालू मंडप कहते
थे। यह पत्थरों से निर्मित संरचना थी। पर ऐसे सुव्यवस्थित बाजार आज भी कम देखने को
मिलते हैं। पहला प्रमुख बाजार विरुपाक्ष मंदिर के ठीक सामने था। मंदिर के दोनों
तरफ हमें पत्थरों की बनी हुई बाजारों की संरचना दिखाई देती है। कहीं कहीं ये बाजार
के भवन दो मंजिलों वाले भी हैं। इन बाजारों में एक लंबा गलियारा भी बना हुआ है।
कदाचित यह बारिश के समय ग्राहकों को बचाव करता होगा। साथ ही धूप से भी बचाव होता
होगा। दूसरा प्रमुख बाजार कृष्ण मंदिर के सामने कृष्णा बाजार है। तीसरा बाजार हजार
राम मंदिर के सामने पान सुपारी बाजार है। तो चौथा बाजार विजय विट्ठल मंदिर के
सामने का लंबा बाजार है। हर बाजार की अपनी अलग विशेषता हुआ करती थी।
हीरे जवाहरात बिकते
थे विरुपाक्ष बाजार में- विरुपाक्ष
मंदिर के सामने स्थित बाजार का नाम राजा बीधी ( राज वीथिका) हुआ करता था। यहां कुल
380 दुकानें बनाई गई थीं। इनका निर्माण 1422 ईश्वी में हुआ था। हर दुकान चार बड़े
पत्थरों के स्तंभ और इनके उपर पत्थरों के छत से बनाई गई थी। इनमें बताया जाता है कि
सोने चांदी और हीरे जवाहरात की तिजारत हुआ करती थी। यहां बड़े बड़े व्यापारी आया
करते थे। विजय नगर सम्राज्य के व्यापारिक रिश्ते मालबार, गोवा और उत्तर भारत के
राज्यों से मिलते हैं। वहीं कई विदेशी राज्यों व्यापारी और दूत भी विजयनगर आया
करते थे। यहां पुर्तगाल और पश्चिम एशिया से मुस्लिम व्यापारियों के आने के प्रमाण
मिलते हैं। यह बाजार हफ्ते में एक ही दिन खुलता था और यहां आम तौर पर हर चीज की
खरीद बिक्री होती थी।
कृष्णा बाजार - कृष्णा मंदिर के ठीक सामने विशाल बाजार है। इस बाजार का नाम कृष्णा
बाजार है। पत्थरों की स्थायी संरचना में कभी दुकानें लगती थीं। इस वीरान बाजार को
देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी जमाने में यहां कितनी रौनक रहा करती होगी।
कहते हैं ना कि खंडहर बताता है कि इमारत कितनी बुलंद रही होगी। कृष्णा बाजार के
ठीक बगल में एक विशाल सरोवर (पुष्करिणी) का भी निर्माण कराया गया था। नवंबर 2015
में भारी बारिश के कारण कृष्णा बाजार के मार्केटिंग कांप्लेक्स के कई हिस्से
ध्वस्त हो गए।
पान सुपारी बाजार - कृष्णा बाजार की तरह का ही बाजार हमें देखने को हजार राम मंदिर के
बाहर, जिसका नाम पान सुपारी बाजार था। जैसा कि नाम से जाहिर होता है कि यहां पान
सुपारी जरूरत बिकता होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि यह हरी भरी सब्जियों का भी बाजार
रहा होगा। यह बाजार शाही अहाता के काफी करीब है। इसलिए यहां शाही जरूरतों के
अनुरुप चीजें बिकती होंगी।
घोड़ों के लिए मशहूर था विट्ठल
बाजार - विजय विट्ठल मंदिर के बाहर का बना मार्केटिंग
कांप्लेक्स सबसे विशाल है। इस बाजार की लंबाई 945 मीटर है। यानी तकरीबन एक
किलोमीटर। वहीं बाजार की चौड़ाई 40 मीटर है।
हालांकि इस सुंदर बाजार के अब सिर्फ अवशेष देखे जा सकते हैं। पर विजय नगर सम्राज्य
के समय यह विट्ठल बाजार घोड़ों की खरीद बिक्री के लिए खास तौर पर प्रसिद्ध था। कई
दूसरे प्रांतों के व्यापारी यहां अपने घोड़े लेकर बिक्री के लिए आते थे।

पर हंपी में साल
2016 में भी दर्जनों रिजार्ट और रेस्टोरेंट अवैध तरीके से इमारतें बनाकर संचालित
किए जा रहे थे। जिनको हटाने का आदेश कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच ने दिया था।
- vidyutp@gmail.com
( HAMPI SAALU MANTAPA, MARKET COMPLEX )
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