
विट्ठल स्वामी का यह मंदिर अपनी अदभुत वास्तुकला, गोपुरम, पत्थर के विशाल रथ और सारेगामा स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है। विट्ठल मंदिर तक जाने के लिए कच्चा इको फ्रेंडली रास्ता है। मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। रास्ते में पुराने बाजार की संरचना और कुछ हौज दिखाई देते हैं। मंदिर के बाहर एक विशाल रथ दिखाई देता है।

सारेगामा स्तंभ से सुनें संगीत - विट्ठल मंदिर परिसर में बाद में राजा कृष्णदेव राय द्वारा 1513 के आसपास यहां 100 खंबों वाले मंडप का निर्माण कराया गया। इन स्तंभों की खास बात है कि इनको ताड़ित करने पर संगीत की स्वर लहरियां सुनाई देती हैं। इन स्तंभों से तब की वैज्ञानिक तकनीक का पता चलता है जब पत्थरों से निकलते संगीत की रचना की गई होगी। कई लोग इसलिए इन स्तंभों को सारेगामा स्तंभ के नाम से भी जानते हैं।
यहां विजयनगर की मंदिर निर्माण शैली का उत्कर्ष दिखाई देता है।
मंदिर के प्रवेश द्वार पर आपको गाइड मिलते हैं जो मंदिर कलात्मकता बारे में बताने
की बात करते हैं। मंदिर परिसर में मुख्य गोपुरम से प्रवेश करने के बाद हमें कल्याण
मंडप और उत्सव मंडप दिखाई देता है। मंदिर में प्रवेश के लिए कुल तीन गोपुरम बने
हैं।
मंदिर में पत्थरों का बना विशाल रथ
विट्ठल स्वामी के मंदिर परिसर में पत्थरों का बना एक विशाल रथ भी आपको चकित करता है। ये रथ इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है। किसी समय में इस रथ के पहियों को घुमाया भी जा सकता था, पर अब इसे संरक्षित रखने के लिए पहियों को सीमेंट से जाम कर दिया गया है। आते जाते लोगों के लिए रथ बड़े आकर्षण का केंद्र है। इसके निर्माण का शिल्प देखने लायक है। मंदिर के पास विशाल पुष्करिणी (तालाब) भी निर्मित किया गया है।
मंदिर में पत्थरों का बना विशाल रथ
विट्ठल स्वामी के मंदिर परिसर में पत्थरों का बना एक विशाल रथ भी आपको चकित करता है। ये रथ इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है। किसी समय में इस रथ के पहियों को घुमाया भी जा सकता था, पर अब इसे संरक्षित रखने के लिए पहियों को सीमेंट से जाम कर दिया गया है। आते जाते लोगों के लिए रथ बड़े आकर्षण का केंद्र है। इसके निर्माण का शिल्प देखने लायक है। मंदिर के पास विशाल पुष्करिणी (तालाब) भी निर्मित किया गया है।
कैसे पहुंचे – विट्ठल स्वामी मंदिर से एक किलोमीटर पहले सभी आटो रिक्शा या पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहनों को रोक दिया जाता है। हमारे आटो वाले स्वामी ने भी हमें यहीं रोक दिया। एक एक छोटा सा बाजार भी है। जहां खाने पीने को कुछ मिल जाता है। गरमी काफी थी तो हमने यहां पर गन्ने का जूस पीया।
नारी शक्ति को सलाम - कर्नाटक टूरिज्म ने विट्ठल मंदिर जाने के लिए बैटरी कार का इंतजाम किया हुआ है। इन सभी बैटरी कारों को महिलाएं चलाती हैं। टिकट बेचने का काम भी महिलाओं के ही हवाले है। यानी नारी सशक्तिकरण का सुंदर उदाहरण। जाने और आने का टिकट 20 रुपये का है। हंपी में बैटरी कार की शुरुआत दिसंबर 2010 में हुई। कुल 20 बैटरी कारें लोगों को पहुंचाने का काम करती हैं। इनका संचालन सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होता है।
विट्ठल स्वामी मंदिर परिसर में घूमते हुए हम थक चुके हैं। सुस्ताने के लिए मंदिर के चौबारे में बैठ जाते हैं। वहां पर हमारी मुलाकात एक परिवार से होती है। वे लोग हमारे बिहार के रोहतास जिले के हमारे पड़ोस के गांव के हैं। पर वे कर्नाटक में एक स्टील उद्योग में कार्यरत हैं। इतनी दूर कोई आपके पड़ोसी गांव का मिल जाए तो काफी खुशी होती है।
नारी शक्ति को सलाम - कर्नाटक टूरिज्म ने विट्ठल मंदिर जाने के लिए बैटरी कार का इंतजाम किया हुआ है। इन सभी बैटरी कारों को महिलाएं चलाती हैं। टिकट बेचने का काम भी महिलाओं के ही हवाले है। यानी नारी सशक्तिकरण का सुंदर उदाहरण। जाने और आने का टिकट 20 रुपये का है। हंपी में बैटरी कार की शुरुआत दिसंबर 2010 में हुई। कुल 20 बैटरी कारें लोगों को पहुंचाने का काम करती हैं। इनका संचालन सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होता है।
हंपी का विट्ठल स्वामी मंदिर - कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है.... |
- - - विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(VITHHAL SWAMI TEMPLE, HAMPI, KARNATKA ECO FRIENDLY ROUTE)
(VITHHAL SWAMI TEMPLE, HAMPI, KARNATKA ECO FRIENDLY ROUTE)
विट्ठल स्वामी मंदिर के बाहर कभी विशाल बाजार भी हुआ करता था..... |
हंपी की यात्रा को शुरुआत से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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