हंपी के तमाम
मंदिरों के बीच शिव का प्रसन्न विरुपाक्ष या भूमिगत शिव मंदिर अनूठा है। इसे
पातालेश्वर मंदिर भी कहते है। सिर्फ हंपी में ही क्यों यह देश के तमाम शिव मंदिरों
में अनूठा स्थान रखने वाला देवालय है। यह मंदिर जमीन के स्तर से नीच एक तालाब में
बनाया गया है। मंदिर में स्थित शिवलिंगम हमेशा पानी में डूबा रहता है। इसे लोग आम
बोलचाल की भाषा में अंडरग्राउंड शिव मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर की छत का स्तर
जमीन के समानंतर है। पूर्वी द्वार के पास
से मंदिर में नीचे प्रवेश के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। मंदिर के वास्तु के आधार
पर प्रतीत होता है कि इसका निर्माण बुक्का राय के शासन काल में हुआ होगा। मंदिर के
गर्भगृह में शिवलिंगम स्थापित है। बाहर इसको देखती हुई नंदी की भी प्रतिमा है।
मंदिर के चारो तरफ नहर बनाया गया है जिससे जल प्रवाहित होता रहता है। मंदिर के दो
कोने पर छोटे छोटे मंदिरों का भी निर्माण कराया गया है। कई बार इस मंदिर में पानी
में सांप भी दिखाई दे जाते हैं।
मंदिर का निर्माण
14वीं शताब्दी की शैली में हुआ है। इसके गर्भगृह, अंतराल, अर्धमंडप और महामंडप
जुड़े हुए हैं। महामंडप के उत्तर और दक्षिण में स्तंभ वाला बरामदा बना हुआ है।
मंदिर से जुड़े एक शिलालेख के मुताबिक राजा कृष्णदेव राय ने अपने पिता नरसा नायक
और माता नगाजी देवी की याद में पुण्य अर्जित करने के लिए इस मंदिर को दान भी किया
था।
हंपी भ्रमण करने
आने वाले सैलानी बड़े ही कौतूहल से इस मंदिर को देखते हैं। यह मंदिर कमलापुर से
हंपी जा रहे सड़क के बगल में स्थित है। मंदिर के आसपास हरियाली नजर आती है।
हालांकि इस मंदिर में आजकल नियमित पूजा नहीं होती। पर यह हंपी के दर्जनों मंदिरों
में अलग और अनूठा मंदिर है।
बडविलिंग मंदिर (
शिवलिंगम )
अब हंपी के एक और
अनूठे शिवलिंगम की चर्चा। बडविलिंग मंदिर में अनूठा शिवलिंगम देखने को मिलता है।
यह तीन मीटर का एकाश्म शिवलिंगम है। यह
अकेले बड़े शिलाखंड पर उत्कीर्ण किया गया है। सपाट और उत्तल शिखर वाला यह शिवलिंग
ऊंची वर्गाकार चौकी पर बना है। इसमें अभिषेक के जल निकासी के लिए नाला बनाया गया
है। निर्माण कुछ इस तरह का है कि शिवलिंगम की पीठ हमेशा पानी में डूबी रहती है।
कहा जाता है कि इस लिंगम का निर्माण के निर्धन महिला (बडवि ) द्वारा कराया गया था।
बडवलिंग मंदिर हंपी बाजार से कमलापुर जाने के मार्ग में थोड़ी दूर चलने पर दाहिनी
तरफ थोड़ा अंदर जाकर बना है।
बडविलिंगम मंदिर के
बगल में ही उग्र लक्ष्मी नरसिम्हा का मंदिर है। यहां 6.7 मीटर ऊंची भव्य लक्ष्मी
नरसिम्हा की मूर्ति है। इसके पीछे एक मकर तोरण भी बना है। हंपी के सभी प्रतिमाओं
में यह आकार में सबसे बड़ी है। नरसिम्हा भगवान विष्णु के दस अवतारों में चौथे
अवतार हैं। इस प्रतिमा के पास 1528 का राजा कृष्णदेव राय का एक शिलालेख भी मिलता
है। हालांकि यह लक्ष्मी नरसिम्हा की मूर्ति थोड़ी खंडित हो गई है। मूर्ति के हाथ
और उनकी बायीं गोद में ललितासन में बैठी लक्ष्मी की प्रतिमा भग्न हो गई है, फिर भी
इसकी भव्यता में कोई कमी नजर नहीं आती है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
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